सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं

सुनकर सीखना: कर्मचारियों के सुझाव, रणनीति तय करने में हमारी मदद करते हैं

अक्टूबर 2018
चीन में मौजूद हमारे सप्लायर के कारखानों में से एक का नज़ारा

Google का 'ज़िम्मेदार सप्लाई चेन (आरएससी)' कार्यक्रम हमारी सप्लायर आचार संहिता को ध्यान में रखकर बनाया गया है. यह संहिता काम करने वालों से मिली जानकारी, स्थानीय कानूनों, और हमारे मूल सिद्धांतों के आधार पर बनी है. हम अपने वर्कर सर्वे की मदद से कई काम करते हैं. जैसे, सप्लायर से उसका खुद का मूल्यांकन करवाना, जोखिम का मूल्यांकन करना, और काम की जगह का ऑडिट करना. इसके अलावा, अपने वर्कर सर्वे से हम सप्लायर की उत्पादन लाइन पर काम करने वालों से सीधे तौर पर जुड़ने के मौके तैयार करते हैं. वर्कर सर्वे की हमारी यह पहल 2015 में शुरू हुई थी. हमें लगता है कि सप्लायर के कारखानों में काम के हालात के बारे में समझने और वर्कर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह के जुड़ाव बहुत ज़रूरी हैं.

जहां सर्वे के ये नतीजे, वर्कर और Google के लिए अहम हैं, वहीं ये चीन के हाई-टेक उत्पादकों के लिए भी बुनियादी रोल अदा करते हैं, क्योंकि उन्हें भी ज़्यादा टर्नओवर रेट (एक तय अवधि में कर्मचारियों का कंपनी छोड़ना) की वजह से वर्कर को रोके रखने के लिए नए रास्तों की तलाश करनी पड़ती है. बहुत अच्छी तरह काम कर रहे कारखानों से भी किसी एक महीने में 15% से 20% लोग काम छोड़ सकते हैं. कुछ सप्लायर ने तो लूनर न्यू ईयर (चांद के हिसाब से शुरू होने वाला नया साल) के बाद टर्न ओवर की दर के 70% तक पहुंचने के बारे में बताया है.

Google के आरएससी कार्यक्रम की प्रमुख, लिएन स्पेता का कहना है, "हमारे सप्लायर इस फ़ीडबैक की बहुत कद्र करते हैं." “उत्पादन से जुड़े मुख्य क्षेत्रों में, कर्मचारी न मिलने की समस्या बढ़ रही है. इस समस्या को देखते हुए सप्लायर यह महसूस करने लगे हैं कि कर्मचारियों को नौकरी छोड़कर जाने से रोकने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी. इस समस्या को सुलझाने में हम यह जानकारी देकर उनकी मदद कर रहे हैं कि कर्मचारियों ने हमें अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं के बारे में क्या बताया.”

सुझाव, जो सब तक पहुंचता है

हमारे वर्कर सर्वे का सबसे ज़रूरी मकसद है, कर्मचारियों की बातें सीधे उन ही की ज़ुबानी सुनना. वाई-फ़ाई की सुविधा वाले टैबलेट या मोबाइल फ़ोन से किए गए इन सर्वे में, कर्मचारियों से काम को लेकर संतुष्टि, स्वास्थ्य और सुरक्षा, काम करने की जगह की स्थिति, और कर्मचारियों के प्रबंधकों के साथ संबंध जैसी बातों को लेकर उनकी राय, शिकायत या सुझाव पूछे गए. साथ ही, काम के घंटों, वेतन, और मिलने वाले फ़ायदों जैसी चीज़ों पर उनसे उनकी राय, शिकायत या सुझाव मांगे गए. पिछले साल, 10 अलग-अलग सप्लायर के कारखानों के 1,000 लोगों ने इस सर्वे में हिस्सा लिया. कर्मचारी सर्वे पहल की शुरुआत होने के बाद से हमने करीब 2,000 कर्मचारियों से सीधे तौर पर फ़ीडबैक (सुझाव/राय/शिकायत) लिया है, बिना उनकी पहचान उजागर किए.

काम की जगह पर मूल्यांकन करते समय भी हम सीधे तौर पर फ़ीडबैक (सुझाव/राय/शिकायत) इकट्ठा करते हैं. इसके लिए इंटरव्यू, छोटे समूहों में विचार-विमर्श, और दूसरी तरह के सर्वे का सहारा लिया जाता है. 2013 से लेकर अब तक हम इस तरह के सर्वे से 4,700 और लोगों से फ़ीडबैक ले चुके हैं.

इंटरव्यू और सर्वे में भाग लेने के लिए अलग-अलग मापदंडों के आधार पर कर्मचारियों को चुना जाता है. कर्मचारियों को किसी तय क्रम के हिसाब से नहीं चुना जाता. इसकी मदद से हम अलग-अलग तरह के कर्मचारियों और अस्थायी कामगारों से फ़ीडबैक (राय/सुझाव/शिकायत) ले पाते हैं. कर्मचारियों को किसी भी तरह की बदले की कार्रवाई से बचाने के लिए उनकी पहचान उजागर नहीं की जाती. हर सर्वे खत्म होने के बाद हम सप्लायर के प्रबंधन से मिलकर, उन्हें काम करने की जगह की स्थितियां बेहतर बनाने से जुड़े सुझाव देते हैं.

वर्कर सर्वे पहल की प्रोग्राम मैनेजर, सेरेना चेन बताती हैं, "आम तौर पर हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि प्रबंधन टीम को वर्कर की भर्ती और उन्हें कंपनी छोड़ने से रोकने में किस तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ता है. उसके बाद हम वर्कर की ज़रूरतें पूरी करने के तरीके ढूंढने के लिए विचार-विमर्श करते हैं और ऐसे आज़माए गए तरीके शेयर करते हैं, जो हमने दूसरे कारखानों से सीखे और समझे हैं.”

कर्मचारियों का एक ग्रुप फ़ैक्ट्री फ़्लोर पर मीटिंग करते हुए.
साल 2017 में, हमारे वर्कर सर्वे में 10 अलग-अलग साइटों पर तकरीबन 1,000 लोगों ने भाग लिया था. यह सर्वे वाई-फ़ाई पर काम करने वाले टैबलेट या मोबाइल फ़ोन की मदद से कराए गए थे.

सर्वे से कभी-कभी ऐसे नतीजे मिल जाते हैं जिनकी हमने उम्मीद नहीं की होती है. मेहनताने की बात की जाए, तो सर्वे से पता चलता है कि जब वर्कर को साफ़ तौर पर यह समझ में आता है कि उनके मेहनताने का हिसाब कैसे लगाया जाता है, तब यह ज़रूरी हो जाता है कि उन्हें इस बात का भरोसा हो कि उन्हें मिलने वाला मेहनताना सही है. इस बात को ध्यान में रखते हुए, कुछ सप्लायर मेहनताने से जुड़ी जानकारी देने वाले कैंपेन शुरू कर रहे हैं. कारखानों में सुधार को लेकर ज़्यादातर कर्मचारियों का कहना था कि काम के घंटे कम करवाने के बजाय वे बेहतर कैफ़ेटीरिया सेवा चाहेंगे, जहां स्थानीय और स्वादिष्ट खाने की चीज़ें मिलें.

सर्वे के मुताबिक, नौजवान पीढ़ी को किसी भी दूसरी चीज़ के मुकाबले करियर बेहतर बनाने के ज़्यादा मौके चाहिए. हाालांकि, यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जिसमें करियर आगे बढ़ाने के बहुत ज़्यादा मौके नहीं मिलते. चेन कहती हैं, “इन कर्मचारियों को खुश करने के लिए हम सुपरवाइज़र ट्रेनिंग पर ज़ोर देते हैं.” “कुछ लाइन मैनेजर, मैनेजमेंट का पारंपरिक तरीका इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, हम ऐसे कर्मचारियों की संख्या बढ़ते हुए देख रहे हैं जो मेंटर और लीडर चाहते हैं.”

लोगों को अहमियत देना

सप्लायर को अपने कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने से रोकने के लिए, उनकी मदद करना ज़रूरी है. साथ ही, हमारे सर्वे, कर्मचारियों को नियमों और पर्यावरण से जुड़ी कोशिशों के केंद्र में लाकर खड़ा करते हैं. हम इन पहलुओं को एक ऐसी सप्लाई चेन बनाने के लिए बहुत अहम मानते हैं जहां सभी बराबरी पर हों और जिसमें किसी के साथ बुरा न हो रहा हो. हमने अपना आरएससी कार्यक्रम स्थानीय कानून और कंपनी की नीतियाें का पालन करने के लिए बनाया है. साथ ही साथ, हमारे उत्पाद बनाने वाले लोगों और दूसरे मुख्य साझेदारों से, सीधे तौर पर मिलने वाले सुझाव शामिल करने के लिए भी कार्यक्रम बनाया गया है.

हम चाहते हैं कि कारखानों में काम करने वाले लोगों को वे बदलाव साफ़ तौर पर दिखें जो वे चाहते हैं. जैसे कि ज़्यादा मेहनताना, रहने की बेहतर जगह, और करियर बेहतर बनाने के मौके. मैनेजमेंट और कर्मचारियों के बीच की बातचीत भी हमारे सर्वे का एक अहम हिस्सा है. क्या लोग अपनी समस्याएं, मैनेजर के पास ले जाने में सहज महसूस करते हैं? शिकायत दर्ज कराने के लिए लोग कहां जा सकते हैं?

चेन कहती हैं, "सप्लायर से बात करते समय, मैं उन वर्कर की संख्या पर ज़ोर देती हूं जो प्रबंधन टीम पर भरोसा करते हैं और अपनी शिकायतें उन तक पहुंचाने में झिझकते नहीं हैं. इससे कारखाने के माहौल के बारे में काफ़ी अच्छी जानकारी मिलती है. साथ ही, प्रबंधक अपने वर्कर की प्रतिक्रिया को कितना महत्व देते हैं, यह भी जानने का मौका मिलता है.”

फ़ैक्ट्री की चेक प्रिंट वाली वर्दी पहने, अपने चेहरे पर हाथ रखकर हंसते हुए एक कर्मचारी की क्लोज़-अप फ़ोटो.
हमारे सर्वे हमें उन बदलावों के बारे में खास जानकारी देते हैं जो कारखानों में लोग देखना चाहते हैं. जैसे, बेहतर कैंटीन सेवा या आगे बढ़ने के और ज़्यादा अवसर.

हमारे मापदंडों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है, यह पक्का करने के लिए हम ज़मीनी तौर पर लोगों को आने वाली समस्याओं के बारे में जानने की कोशिश करते हैं, क्योंकि ऑडिट डेटा हमेशा पारदर्शी हो, यह ज़रूरी नहीं है.

स्पेता का कहना है, “अगर सप्लायर के टाइमकार्ड से पता चलता है कि कर्मचारी ओवरटाइम नहीं करते, लेकिन कर्मचारी कहते हैं कि उन्हें जितना भी ओवरटाइम मिले, वे करना चाहते हैं, तो समझ जाना चाहिए कि कुछ गलत है.” “हम उस जानकारी को साइट के हमारे पूरे आकलन में शामिल करेंगे. साथ ही, ज़्यादा जानकारी वाले इंटरव्यू और दूसरी रिसर्च करके, इसके बारे में और जानने की कोशिश करेंगे.” वर्कर सर्वे, ऑन-साइट मूल्यांकन के कई कॉम्पोनेंट में से एक हैं. इनमें कारखानों और रहने की जगह का निरीक्षण, मैनेजमेंट मीटिंग, कर्मचारियों से आमने-सामने इंटरव्यू, और दस्तावेज़ की समीक्षाएं शामिल हैं.

सर्वे से एक और फ़ायदा भी होता है: कर्मचारियों की संतुष्टि का खयाल रखने से उनकी कंपनी छोड़ने की दर में कमी आती है. इन नतीजों से, काम करने के माहौल में सुधार के लिए एक बिज़नेस केस स्टडी तैयार होता है. इसके साथ ही, इससे और ज़्यादा जानकारी पाने की भूख पैदा होती है.

स्पेता का कहना है कि इस कार्यक्रम को काफ़ी पसंद किया गया है. स्पेता के मुताबिक, "हमें कई सप्लायर ने वापस आकर कहा है कि हम और सर्वे करें ताकि उन्हें और फ़ीडबैक (सुझाव/शिकायत/राय) मिल सके. इस माहौल में, वर्कर की परेशानियां जानकर उनका भरोसा जीतना बहुत ज़रूरी है."