पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
Google कैंपस के आस-पास अब हरियाली दिखाई देने लगी है
2018 के बसंत की शुरुआत में केट मामग्रेन ने Google के माउंटेन व्यू परिसर के किनारे चार्ल्सटन रिटेंशन बेसिन में उगे ढेर सारे जंगली फूलों की खूबसूरती को देखा तो वह तारीफ़ किए बिना नहीं रह पाईं. Google के पर्यावरण से जुड़े प्रोग्राम ने, कई अंदरूनी और बाहरी पार्टनर के साथ मिलकर दो साल पहले बेसिन को फैलाने में सहयोग किया था. तब इस बात की उम्मीद थी कि पेड़-पौधों की मदद से जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास को बढ़ाकर यहां आने वाले लोगों को बेहतर अनुभव दिया जा सकेगा. साथ ही, उन्हें प्रकृति के ज़्यादा करीब लाने में मदद मिलेगी.
2015 से ही इस प्रोग्राम को आगे ले जाने के लिए काम कर रहीं मामग्रेन कहती हैं, "फूल बेहद खूबसूरत थे. पिछले साल हमने हाथों से बीज रोपे थे, लेकिन सर्दियों में होने वाली बारिश की वजह से बीज नीचे चले गए. हालांकि, इस साल फूल खिले और उनकी खुशबू ज़बरदस्त थी. इन सबको देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कैंपस में जान आ गई हो.”
इस प्रोग्राम के लिए, जंगली फूलों और बाकी स्थानीय पौधों को सिर्फ़ उनके रंग-रूप की ही वजह से नहीं चुना गया. ये सब फूल किसी न किसी तरह से पर्यावरण के लिए ज़रूरी हैं. इस तरह के जंगली फूल, पराग फैलाकर नई उपज बढ़ाने वाले फ़ायदेमंद कीट-पतंगों को लुभाने का काम करते हैं. विलो के पेड़ों के नए झुंड (इनको सौसल कहा जाता है), इसलिए लगाए गए थे कि कीड़ों को खाने आई चिड़ियां वहां अपना हरा-भरा नया घर ढूंढ लें. नज़दीक ही आधे मील के कॉरिडोर में लगाए गए ओक के पेड़ इतने पास-पास लगाए गए थे कि उन्हें पराग के लेन-देन में परेशानी न हो. साथ ही, कुदरती आवास के लिए एक जगह से दूसरे जगह तक जाने वाली चिड़ियां वहां थोड़ी देर ठहर कर फिर से उड़ान भर सकें.
कम शब्दों में कहें, तो बेसिन में हमने हर उस फूल, पेड़, झाड़ी, और ढांचे को चुना जो स्थानीय पर्यावरण को और बेहतर बना सकता था. यह सब Google की इमारतों के बाहरी इलाके में रेज़ीलिएंस साइंस को शामिल करने की हमारी कोशिशों का एक हिस्सा था. यही वह साल था जब हमारी चुनी हुई जगहों पर हरियाली आनी शुरू हुई.
मामग्रेन का कहना है, "हम उस लम्हे के लिए काम कर रहे हैं जब हमारे अलग-अलग प्रोजेक्ट एक साथ जुड़ें और पर्यावरण में सुधार करने की हमारी कहानी सबके सामने आए." मामग्रेन ने 2018 में प्रोग्राम की अगुवाई केट रैंडोल्फ को सौंप दी. “इस साल हमारा प्रोग्राम उस मकाम तक पहुंच गया. जैसे-जैसे हमें ऑनलाइन प्रोजेक्ट मिल रहे हैं, वैसे-वैसे हम सिलिकॉन वैली को एक ऐसे बड़े लैंडस्केप में बदलने की कोशिश कर रहे हैं, जो बदलते मौसम का सामना करने में पर्यावरण की मदद कर सके.”
सैन फ़्रैंसिस्को एस्चुरी इंस्टिट्यूट (एसएफ़ईआई) में 'रेज़ीलिएंट लैंडस्केप प्रोग्राम' के सह-निर्देशक के तौर पर हमारे प्रोजेक्ट में विज्ञान पर सलाह देने वाले रॉबिन ग्रॉसिंगर का कहना है कि “बदलाव का सामना करने के लिए यह ज़रूरी है कि पूरा सिस्टम एक-दूसरे से जुड़ा हो और मिलकर काम कर रहा हो. इस साल से पहले, हमने व्यक्तिगत तौर पर किए गए कई प्रोजेक्ट कामयाब होते देखे हैं. अब हम एक साथ डिज़ाइन किए गए कई प्रोजेक्ट से पर्यावरण को फ़ायदा होता देख रहे हैं.”
बदलते मौसम का सामना करने के लिए हरी-भरी जगह डिज़ाइन करना
2014 में जब हमने Google का पर्यावरण से जुड़ा प्रोग्राम शुरू किया, तो हमारा मकसद पर्यावरण को बदलते मौसम का सामना करने के लिए तैयार करने का था. हमने शुरू से ही सबसे बेहतर तकनीक और डेटा को शामिल किया. बेहतर पर्यावरण का खाका बनाने के लिए, हमने एसएफ़ईआई को प्रायोजित किया, ताकि वे लैंडस्केप रेज़ीलिएंस फ्रेमवर्क तैयार कर सकें. हमने बाहर के पर्यावरण के जानकारों, लैंडस्केप की रूपरेखा बनाने वालों, और स्थानीय गैर-सरकारी संस्थाओं की भी मदद ली, ताकि यह तय किया जा सके कि हमारे उपाय, आने वाले वक्त में इलाके के पर्यावरण को बेहतर बना पाएंगे या नहीं.
हमने साथ मिलकर इन उद्देश्यों के लिए काम किया: जंगली जीवों के कुदरती आवास को बढ़ाना, ऐसी विविधता भरी लैंडस्केप तैयार करना जो मौसम में बदलाव के असर का सामना कर सके. साथ ही, बेहतर पर्यावरण के लिए ऐसे ज़रूरी कामों को करना जो पूरी घाटी में दफ़्तर और पार्क बनाए जाने की वजह से रुक गए थे.
ये सब उद्देश्य क्लाइमेट रेज़ीलिएंस यानी बदलते मौसम के हिसाब से पर्यावरण को तैयार करने पर ज़ोर देने की Google की उस रणनीति की तर्ज़ पर हैं जो पूरी कंपनी पर लागू होती है. मौसम में आ रहे बदलाव के बावजूद, एक कारोबार और समुदाय के तौर पर पर्यावरण में ज़रूरी बदलाव लाने को हम अपनी ताकत की तरह देखते हैं. 2017 में हमने Google के क्लाइमेट रेज़ीलिएंस के नियम पेश किए (इनमें एसएफ़ईआई के लैंडस्केप रेज़ीलिएंंस फ़्रेमवर्क की जानकारी थी और उसका असर भी था). यह एक ऐसा फ़्रेमवर्क था जो एक व्यवसाय के तौर पर हमारे फ़ैसलों की निगरानी कर रहा था, जबकि Google और बाकी दुनिया मौसम से जुड़े खर्चों और खतरों को समझ रही थी. हमारी रणनीति में सबसे ज़्यादा ध्यान इस बात पर दिया गया था कि हम एक ऐसा सेहतमंद और जैवविविध पर्यावरण बनाएं जो बदलते मौसम का सामना कर सके और उसके हिसाब से बदल सके. एक प्रोजेक्ट के नज़रिए से क्लाइमेट रेज़ीलिएंस की रूपरेखा तैयार करना एक बड़ी तस्वीर देखने जैसा है—कुछ वैसे ही जैसे Google Earth दिखाता है. हम हर प्रोजेक्ट को इलाके के हिसाब से सोचकर शुरू करते हैं. पिछले वक्त में इलाके के किन संवेदनशील कुदरती आवासों को नुकसान हुआ है? इस वक्त और भविष्य में, बदलते मौसम के मद्देनज़र किस तरह के कुदरती आवासों की ज़रूरत होगी? हम अपने पड़ोस और बाकी इलाके में एक बदलते मौसम का सामना करने की ताकत बढ़ाने का कुदरती तरीका कैसे ढूंढ सकते हैं?
इसके बाद, हम पर्यावरण के अंदर हमारे प्रोजेक्ट की ज़रूरत के बारे में सोचते हैं. इस तरह के पर्यावरण में कौनसा पौधा या कौनसी प्रजाति ज़रूरी होगी? ये पौधे दलदल, खाड़ी या बाकी मौजूदा हालात में कैसे रहेंगे?
इसके बाद, हम सीधे साइट (जगह या इलाके) को देखते हैं. साइट (जगह या इलाके) को और बेहतर करने के लिए क्या किया जा सकता है? क्या उसे खोदना होगा? मिट्टी में सुधार करना होगा या उसे पूरी तरह बदलना होगा? आखिर में हम लैंडस्केपिंग पर काम करते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौनसा पौधा, जीवों के अलग-अलग प्रजातियों को बनाए रखने में मदद करेगा और पर्यावरण के हिसाब से कौन ज़्यादा बेहतर होगा.
प्रोजेक्ट को बना लेने के बाद हम देखते हैं कि क्या काम कर रहा है, उसे दोहराते हैं और अगले प्रोजेक्ट के लिए उससे सीखते हैं.
बदलते मौसम का सामना करने की ताकत को सामने देखना
यहां पूरे हो चुके हमारे दो प्रोजेक्ट और अभी चल रहे एक प्रोजेक्ट की मदद से हम देख सकते हैं कि हमारे लैंडस्केप रेज़ीलिएंस प्रिंसिपल्स से कैसे नतीजे मिले हैं.
द ग्रीन लूप
द ग्रीन लूप, शहरी पर्यावरण पर हमारा पहला बड़ा प्रोजेक्ट था. इसने शहरी पर्यावरण सुधारने के लिए बनाए गए नियमों को Google के सभी प्रोजेक्ट में लागू कराने के लिए, Google की हैबिटैट डिज़ाइन गाइडलाइन बनाने में मदद की. शहरी पर्यावरण को बेहतर बनाने वाले Google के प्रोजेक्ट से जुड़े मुख्य सलाहकार और एच. टी. हार्वी एंड असोसिएट के वाइस प्रेसिडेंट, डैन स्टीफ़ेंस कहते हैं कि “Google ने दरअसल अपनी डिज़ाइन टीम और बाहर से आए पर्यावरण के जानकारों को एक कमरे में बैठाकर कहा, ‘हम चाहते हैं कि आप इस सफ़र का हर कदम, साथ मिलकर तय करें." "हमने देसी पौधों की सैकड़ों प्रजातियां देखी, ताकि यह पहचान की जा सके कि उनमें से कौनसी प्रजातियों में घनी पत्तियों वाली शाखाएं होती हैं, बढ़ने के बेहतर ढांचे हैं, और पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद कीड़ों और पक्षियों को आवास बनाने में मदद करने के गुण मौजूद हैं."
हमारी तरफ़ से पेश किए गए ज़्यादातर समाधान ऐसा कुदरती पर्यावरण बनाने पर केंद्रित हैं जो अलग-अलग प्रजातियों के जीवों और पौधों को पोषित करता रहे. कुल मिलाकर, हमने 1.4 एकड़ ज़मीन पर स्थानीय पौधे लगाए, जिनमें कैलिफ़ोर्निया पॉपी, बड़े फलों वाले मैंज़ानीटा, और यैरो शामिल हैं. ये पौधे, पक्षियों और कई अन्य नस्ल के जीव-जंतुओं का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं.
साइट पर लगे स्थानीय पेड़ों में ओक की कई किस्में हैं, जो द ग्रीन लूप को चार्ल्सटन रिटेंशन बेसिन और पूर्वी चार्ल्सटन जैसे बाकी शहरी पर्यावरण प्रोजेक्ट से जोड़ती हैं. एक वक्त था जब सिलिकॉन वैली में बस ओक ही ओक नज़र आते थे. इन्हें दोबारा लगाना पर्यावरण के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि ये सूखे का सामना कर सकते हैं, काफ़ी सारा कार्बन इकट्ठा कर सकते हैं, और कई तरह के जानवरों को खाना दे सकते हैं. ऐसा करने के लिए, इन्हें बहुत कम जगह की ज़रूरत होती है री-ओकिंग सिलिकॉन वैली नाम की अपनी रिपोर्ट में एसएफ़ईआई ने स्थानीय जैव-विविधता और जानवरों को ओक से हो सकने वाले फ़ायदों की पड़ताल की. इस रिपोर्ट को Google ने फ़ंड किया.
चार्ल्सटन रिटेंशन बेसिन
चार्ल्स्टन रिटेंशन बेसिन के साथ हमने अपने परिसरों से बाहर निकलकर आस-पास के पर्यावरण के लिए सोचना शुरू किया. एक वक्त था जब साउथ बे, विलो के पेड़ों और नदी किनारे मिलने वाली बाकी पेड़ों की किस्मों से पटा हुआ था. लेकिन, विकास के लिए होते फैलाव ने इन सब बेशकीमती कुदरती आवासों को समेट कर रख दिया. बेसिन को बढ़ाने के लिए, हमने सिटी ऑफ माउंटेन व्यू, HCP Life Science और LinkedIn को पार्टनर बनाया. एक बड़ा दलदल और विलो पेड़ों के लिए, हमने 134 पार्किंग की जगहों को खाली किया. स्टीफ़ेंस कहते हैं, “ये कुदरती आवास जितने बड़े होंगे उतना ही उनमें आपसी तालमेल होगा, क्योंकि अंदर की तरफ़ घोंसला बना रहीं चिड़ियां बाहरी शोरगुल से ज़्यादा दूर रहेंगी.”
बेसिन में विलो के झुरमुट लगाए गए, जो ऐसा दलदली कुदरती आवास बना सकते हैं जहां गर्मियों के मौसम में भी चिड़ियां घोंसले बना सकती हैं. इसके अलावा, जंगली फूल, कॉटनवुड के जंगल और ढेर सारे ओक भी लगाए गए. चार्ल्सटन बेसिन का पहला हिस्सा 2017 में पूरा कर लिया गया. इस दौरान नदी किनारे के आवास में करीब 5.9 एकड़ ज़मीन और जोड़ते हुए 1800 स्थानीय पेड़ लगाए गए.
बे व्यू
बे व्यू हमारे सबसे नए प्रोजेक्ट में से एक है. माउंट व्यू के पास, खाड़ी की ज़मीन के किनारे की इस साइट पर अभी काम चल रहा है. हमारी यह साइट, बाकी साइटों की तरह दफ़्तरों और इमारतों से घिरी हुई नहीं है. इसे खाड़ी के किनारे की तरह दिखने और उसी तरह काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. बड़े-बड़े घास के मैदानों और मीठे पानी के दलदल के अलावा, इस इलाके में लगाए गए विलो पेड़ों के अब तक के सबसे बड़े झुरमुट हैं.
स्टीफ़ेंस कहते हैं, “बे व्यू में आप पानी और ज़मीन की तस्वीर को साफ़ समझ सकते हैं. 100 साल पहले यहां घास के ऐसे गीले मैदान थे जो बारिश होने पर पानी में डूबे रहते थे. यह पानी खारे और नमक वाले दलदलों में चला जाता था. यह इलाका पर्यावरण से भरा-पूरा था. हम ऐसे कई कुदरती आवासों को फिर से ज़िंदा करने की कोशिश कर रहे हैं जो साइट से पूरी तरह गायब हो चुके थे.
एक जुड़ा हुआ सिस्टम
2020 में जब बे व्यू खुलेगा तो हम उम्मीद करते हैं कि ये माउंंटेन व्यू परिसर के हमारे तमाम प्रोजेक्ट की कड़ी को पर्यावरण के नज़रिए से और फ़ायदा पहुंचाएगा.
ग्रोसिंगर कहते हैं, “मौसम में बदलाव का सामना करने की ताकत की बात करें, तो पर्यावरण के लिहाज़ से शहरों के काम करने के रिवायती तरीके में काफ़ी कमियां हैं. "इन प्रोजेक्ट की बदौलत हमारे पास, बदलते मौसम के हिसाब से पर्यावरण को बेहतर बनाने का एक अच्छा मौका है. ये प्रोजेक्ट रेज़ीलिएंस के विज्ञान पर आधारित हैं जिसका मतलब है कि किसी सिस्टम की ऐसी क्षमता जो सिस्टम को हुए किसी नुकसान से उबरने के लिए ढाल सके, ताकि वह सिस्टम पहले जैसे ही ठीक से काम करता रहे. वातावरण को हो रहे नुकसान से उबारने के लिए, हम यह ध्यान में रखते हैं कि ज़मीन कैसी है, उसका आकार कैसा है, और ज़मीन को आस-पास के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए ढालते हैं. ये इन सिद्धांतों को हकीकत में बदलने की तरफ़ एक बड़ा कदम है.”
मामग्रेन कहती हैं कि रेज़ीलिएंस प्लानिंग (वातावरण को हो रहे नुकसान से उबारने के लिए उठाए गए कदम) की तैयारी, Google के विकास के अपने ही सफ़र का हिस्सा है.
वे कहती हैं, “इस साल हमारे प्रोजेक्ट किस तरह पूरे किए जाएंगे, यह पहले से तय है. जिससे हमें बड़े स्तर पर, मास्टर प्लानिंग की कोशिशों की मदद से डिज़ाइन को पूरी तरह समझने में मदद मिलती है." Google में हमने इतिहास बनाते हुए, पहले से मौजूद जगहों को अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के पैमानों में शामिल किया है. अब हमारे पास कुछ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट हैं, जो हमारे अपने हैं. हम इलाके के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सोचे-समझे फ़ैसले ले रहे हैं. इसे हकीकत में बदलते देखना बहुत खास है.”