सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं
शक्तिशाली बनने की राह पर बढ़ते कदम: डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ऊकवेली में सच्चाई बताते कॉन्गो के कलाकार
“दुनिया भर में फैले उपभोक्तावाद की वजह से, एक ऐसी संस्कृति ने जन्म लिया है जिसके चलते लोग सिर्फ़ चीज़ों का उपभोग करने में लगे हैं. वे इस बात को नहीं समझते कि इसके नतीजे क्या होंगे. कला, चीज़ों को नए नज़रिए से देखने का ज़रिया होती है.” — मुगाबो
कॉन्गो के कलाकार, मुगाबो ज़मीन पर रखे पैनल पर काम कर रहे हैं. मुगाबो, मौसम की मार झेलकर खराब हुई लकड़ी के पैनल पर पेंट, रंगीन शीशे, पुराने कंप्यूटर के मदरबोर्ड, और दूसरी चीज़ों की मदद से एक पेंटिंग बना रहे हैं.
फ़िल्म में मुगाबो ने भी आवाज़ दी है. फ़िल्म में एक जगह वे कॉन्गो की आज़ादी में अहम भूमिका निभाने वाले महान नेता पैट्रीस लुमुम्बा के बारे में बात कर रहे हैं. मुगाबो कहते हैं, "लुमुम्बा ने एक बार कहा था कि अफ़्रीका की कहानी, किसी पश्चिमी या पूर्वी देश के हिसाब से नहीं लिखी जाएगी. अफ़्रीका की कहानी, अफ़्रीका में ही लिखी जाएगी और उसे यहीं के लोग लिखेंगे." मुगाबो आगे कहते हैं, “मुझे लगता है कि जिस पीढ़ी के बारे में लुमुम्बा ने कहा था, हम उसी पीढ़ी के हैं.”
कॉन्गो की कवयित्री, रीता, ज़ंग लगे हवाई जहाज़ों के बीच खड़ी होकर, कैमरे में कुछ कह रही हैं. उनकी कविताएं असल मुद्दों से जुड़ी होती हैं. साथ ही, जोश से भरी होती हैं. रीता कहती हैं, “डर की वजह से लोग चुप्पी साध लेते हैं. यह चुप्पी, सच्चाई का गला घोंट देती है. मैंने चुप रहने से मना कर दिया है. ऐसे में अगर मैं उन महिलाओं के लिए काम करते-करते मर भी जाऊं जिनके लिए मैंने अपनी आवाज़ बुलंद की है, तो मेरा सर हमेशा ऊंचा ही रहेगा.”
कॉन्गो के डांस ग्रुप, स्ट्रीट डांसर्स का एक सदस्य लोगों से घिरा हुआ है और धूल भरी सड़क पर जोश में डांस कर रहा है. उसके डांस में खुशी, सकारात्मकता, और खुद पर भरोसे का भाव छलक रहा है.
डांसर का कहना है, “दुनिया के हर देश की एक अलग कहानी है, लेकिन सच्ची कहानी वही है जो उस देश के लोगों की ज़ुबानी बाहर आए.” “इसलिए, यहां आओ, मुझसे बात करो, मुझसे सवाल करो. मेरे देश की खराब छवि दिखाना बंद करो. मेरा देश बहुत खूबसूरत है!”
ऊकवेली (द ट्रूथ) फ़िल्म के ज़रिए, यही मैसेज देने की कोशिश की गई है. ऊकवेली, 23 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म है, जिसे Google ने बनाया है. इस फ़िल्म में कॉन्गो के तीन कलाकारों के जीवन की झलक दिखाई गई है. इसमें वे कलाकार अपनी ज़िंदगी की सच्चाई बता रहे हैं. उनका मकसद अपनी खो चुकी विरासत को वापस पाना है.
इसमें ये कलाकार हमें, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) को एक अलग नज़रिए से देखने का मौका देते हैं. वे बताते हैं कि कॉन्गो को सिर्फ़ युद्ध, विवाद, यौन हिंसा, और गरीबी से जूझ रहे देश के रूप में न देखें, बल्कि एक ऐसे देश के रूप में देखें जहां के लोग बेहद प्रतिभाशाली और जोशीले हैं. साथ ही, अपना भविष्य बेहतर बनाने की दिशा में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. ये कलाकार बताते हैं कि कॉन्गो के खराब माहौल की सबसे बड़ी वजह, उन खनिजों का कारोबार है जिनका इस्तेमाल स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में होता है.
हम में से ज़्यादातर लोग, किसी न किसी तरह से कॉन्गो से जुड़े हुए हैं और हमें इस बारे में पता भी नहीं है. हम अपनी जेबों में जो स्मार्टफ़ोन लेकर चलते हैं उसका भी कोई न कोई पार्ट कॉन्गो से आया होता है. कॉन्गो की खदानों से निकाले गए खनिजों की वजह से, हम अपने लैपटॉप पर वीडियो कॉल कर पाते हैं. ऊकवेली ने Google की दूसरी फ़िल्मों और प्रोजेक्ट के लिए भी रास्ता तैयार किया है. जैसे, जर्नी ऑफ़ गोल्ड और ऑगमेंटेड रिएलिटी (एआर) का अनुभव देने वाला प्रोजेक्ट जर्नी थ्रू आर सप्लाई चेन. इस तरह की फ़िल्में और प्रोजेक्ट, ज़िम्मेदारी से खनिजों का खनन करने के इतिहास और इसके असर से हमें रूबरू करवाते हैं. साथ ही, इसे देखने का एक नया नज़रिया देते हैं.
Google, कॉन्गो के साथ-साथ दूसरी जगहों के अधिकारियों और अपने पार्टनर के साथ मिलकर काम करता है, ताकि टंगस्टन, टिन, टैंटलम, सोना, और कोबाल्ट जैसे खनिजों का खनन ज़िम्मेदारी के साथ किया जा सके.
हम अपने कॉन्गो पावर प्रोग्राम के ज़रिए भी, इन समुदायों को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस प्रोग्राम के तहत, कॉन्गो के कई इलाकों में सौर ऊर्जा से चलने वाले माइक्रोग्रिड इंस्टॉल किए जा रहे हैं. साथ ही, अक्षय ऊर्जा से जुड़े दूसरे प्रोजेक्ट भी शुरू किए जा रहे हैं. हमारा मानना है कि कॉन्गो के लोगों को ऐसा बनाया जाए कि वे अपने बारे में फ़ैसले ले सकें. यह उन्हें खोई आत्मशक्ति को फिर से पाने में मदद करने के सबसे सही तरीकों में से एक है. ऐसा करके, उन्हें वे अवसर दिए जा सकते हैं जो आज उनके पास नहीं हैं.
हमें उम्मीद है कि ऊकवेली जैसी फ़िल्मों से उपभोक्ताओं, दूसरी कंपनियों, और सप्लाई करने वाले हमारे पार्टनरों को प्रेरणा मिलेगी. साथ ही, वे भी सप्लाई चेन से जुड़े समुदायों के लिए, इसी तरह के बेहतर कदम उठाएंगे.
सिस्टम में बदलाव लाने के लिए, एक मज़बूत नेटवर्क की ज़रूरत होती है. हम फ़िल्म की रिलीज़ के साथ एक कैंपेन भी लॉन्च करेंगे. यह कैंपेन, पंज़ी फ़ाउंडेशन, सेंट्री प्रोजेक्ट, ऐक्शन किवू, और रिस्पॉन्सिबल मिनरल्स इनिशिएटिव की मदद से, लॉन्च किया जाएगा. इस कैंपेन का मकसद, यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को सशक्त बनाना है, ताकि वे अपनी खोई हिम्मत और आत्मविश्वास वापस पा सकें.
यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को सशक्त बनाना, ताकि वे ज़िंदगी में मज़बूती से आगे बढ़ सकें
“मैंने मौजूदा हालातों की बेड़ियों को तोड़ डाला. मैं तुम्हारी बहन हूं. मैं तुम्हारी मां हूं. मैं आंसू नहीं बहाऊंगी. अपनी हिम्मत टूटने नहीं दूंगी.” — रीता
पिछले कुछ दशकों से कॉन्गो, दो युद्धों और उसके बाद से जारी मिलिशिया ग्रुप के टकरावों से जूझता रहा है. ये ग्रुप खनन वाले कई इलाकों के साथ-साथ पूरे देश में बिना रोक-टोक के अपने काम को अंजाम देते रहे हैं. युद्ध के दौरान इन मिलिशिया ग्रुप का सबसे ख़ौफ़नाक हथियार होता है, महिलाओं का बलात्कार करना.
एमिली वार्न, पंज़ी फ़ाउंडेशन में स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ऐंड कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर हैं. वे कहती हैं, “यह ताकत दिखाने, सामने वाले के ज़हन में डर पैदा करने, और आतंक मचाने का एक तरीका है.” पंज़ी फ़ाउंडेशन, कॉन्गो में मौजूद एक जाना-माना केयर सेंटर है, जो यौन हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करता है. “बलात्कार को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल करना, एक पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है. इससे न सिर्फ़ बलात्कार की शिकार महिला की ज़िंदगी बर्बाद होती है, बल्कि इससे समुदायों की सामाजिक व्यवस्था और आपसी रिश्ते भी बिखर जाते हैं.”
कमज़ोर आर्थिक स्थिति और ऊर्जा से जुड़े इन्फ़्रास्ट्रक्चर की कमी, कॉन्गो की दिक्कतों को और बढ़ा देती हैं. डैन कम्मेन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कली में एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर हैं. वे कहते हैं, “कल्पना करें कि गरीब और बेहद कम संसाधनों पर गुज़ारा करने वाले समुदाय से आने वाली उन महिलाओं पर क्या बीतती होगी जो मिट्टी के तेल और डीज़ल से भरी कैन, दुकान से अपने घर तक लेकर आती हैं. ईंधन लाने के दौरान पूरे रास्ते उन्हें यह डर सताता रहता है कि कहीं उनका बलात्कार न हो जाए." कम्मेन ने Google के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत वे कॉन्गो में अक्षय ऊर्जा से जुड़े कई प्रोजेक्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
ऊकवेली में लिंग-आधारित हिंसा को साफ़ तौर पर नहीं दिखाया गया है. हालांकि, फ़िल्म के मैसेज और कॉन्गो की महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश के बीच के संबंध को साफ़ देखा जा सकता है. इस फ़िल्म में रीता का एक डायलॉग है, “मैं जब मंच पर अपनी कविताएं सुनाती हूं, तो मेरा मकसद कॉन्गो के लोगों और पूरी दुनिया को यह बताना होता है कि महिलाएं हर वह काम कर सकती हैं जो एक पुरुष कर सकता है.”
फ़िल्म का मैसेज, पंज़ी फ़ाउंडेशन के मकसद से पूरी तरह मेल खाता है. यह संस्था, महिलाओं को उनके समुदायों में बराबरी का हक दिलाने की कोशिश में लगी है. वार्न कहती हैं, “यह अलग-अलग रूप में अपने अधिकारों को फिर से पाने की तरह है. हम यह पक्का करना चाहते हैं कि अगर यौन हिंसा की शिकार महिलाएं खुद पर हुए अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना चाहती हैं, तो उन्हें इस लड़ाई में हर ज़रूरी मदद मिले. साथ ही, उनको इस तरह सशक्त किया जाए जिससे वे खुद की देखभाल कर सकें और अपना भविष्य बेहतर बना सकें. इसके अलावा, हम चाहते हैं कि न्याय व्यवस्था तक उनकी पहुंच बने, ताकि वे अत्याचार करने वाले लोगों को सज़ा दिला सकें और इंसाफ़ पा सकें.”
1 मार्च को ऊकवेली के प्रीमियर के मौके पर, पंज़ी फ़ाउंडेशन के संस्थापक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ॰ डेनिस मकवीज ने यौन हिंसा झेल चुकी उन महिलाओं के बारे में बातचीत की जिन्होंने अपनी ज़िंदगी को फिर से संवारकर, एक नई शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि वे इन महिलाओं की ज़िंदगी में आए बदलावों को बहुत करीब से देखते आ रहे हैं. पुरस्कार विजेता अभिनेत्री और महिलाओं के हक के लिए आवाज़ उठाने वाली कार्यकर्ता, थैंडी न्यूटन से हुई इस बातचीत में, उन्होंने आगे कहा कि पंज़ी फ़ाउंडेशन इन महिलाओं को फिर से सशक्त बनाने के रास्तों की तलाश करता रहेगा. साथ ही, कुछ ऐसी कोशिशें भी करेगा जिससे दुनिया भर के लोग, इन महिलाओं की मदद के लिए आगे आ सकें.
पंज़ी फ़ाउंडेशन ने, समाज को बेहतर बनाने की दिशा में एक ऐसा मॉडल पेश किया है जिसमें सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को एक साथ जोड़कर, सुलझाने की कोशिश की जाती है. इस संस्था ने Google के साथ साझेदारी करके, एक नया प्रोग्राम बनाया है. इसके तहत, यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को सौर ऊर्जा से जुड़े उद्योगों में काम करने की शिक्षा दी जाएगी. इस प्रोग्राम के तहत, पंज़ी के कुछ केंद्रों पर सौर ऊर्जा से जुड़ी टेक्नोलॉजी इंस्टॉल की जाएगी. साथ ही, पीड़ित महिलाओं को इंजीनियरिंग, वेल्डिंग या सेल्स जैसे कामों के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि आगे चलकर वे इन क्षेत्रों में नौकरी पा सकें. इजवी द्वीप पर मौजूद पंज़ी का एक लीगल क्लीनिक (कानूनी मदद पहुंचाने वाला ऑफ़िस), पहले से ही सोलर माइक्रोग्रिड से जुड़ा हुआ है. इसे 2019 में लगाया गया था.
सौर ऊर्जा से जुड़े उद्योगों वाला प्रोग्राम, पंज़ी फ़ाउंडेशन की ओर से महिलाओं को दी जा रही ट्रेनिंग में न सिर्फ़ और रोज़गारों को शामिल करेगा, बल्कि इससे भी बड़े लक्ष्य की तरफ़ आगे बढ़ेगा. वार्न कहती हैं, “ये महिलाएं जान पाएंगी कि कैसे सौर ऊर्जा से जुड़े कामों को सीखकर, वे अपने अंदर एक नई ऊर्जा जगा सकती हैं. साथ ही, उन ही की तरह यौन हिंसा का शिकार हुई दूसरी महिलाओं की मदद किस तरह कर सकती हैं. इन सबसे ज़्यादा हम यह उम्मीद करते हैं कि इस नए हुनर, आत्मविश्वास, और आज़ादी से, ये महिलाएं अपने दर्द और तकलीफ़ों को भूल जाएं. साथ ही, वे अपनी ज़िंदगी को फिर से संवारें और खुद को सशक्त बनाएं.”
मार्केट तक अपनी पहुंच बनाकर, खुद को सशक्त बनाना
“मैं आने वाले समय को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं. इसलिए, क्योंकि आने वाला कल मेरा है.” — स्ट्रीट डांसर्स का सदस्य
बेल्जियम ने, 1870 के दशक में कॉन्गो को अपना उपनिवेश बनाना शुरू किया था. तब से कॉन्गो के प्राकृतिक संसाधनों को लेकर विवाद और हिंसा होती रही है. आज के समय में कॉन्गो की स्थिति बेहद नाज़ुक है और इससे उबर पाना काफ़ी मुश्किल. इसकी दो बड़ी वजहें हैं. एक तो, देश की कमज़ोर केंद्र सरकार और दूसरी वजह है, देश का बड़ा क्षेत्रफल. साथ ही, एक और बड़ी समस्या है. वह है, ऊर्जा से जुड़े इन्फ़्रास्ट्रक्चर की कमी, जिसकी वजह से यहां के ज़्यादातर समुदाय आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं.
हमारा मानना है कि कॉन्गो में हमारी उपस्थिति से, खनन से जुड़े समुदायों पर बेहतर प्रभाव पड़ा है. साथ ही, हम यह भी मानते हैं कि यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम वहां रहने वाले लोगों के जीवन को बेहतर बनाएं. हम पूरी ज़िम्मेदारी के साथ यह काम करते हैं. हम ऐसी खदानों से खनिज लेते हैं जहां कोई विवाद या संघर्ष न हो. साथ ही, ऐसे अवसरों की तलाश में लगे रहते हैं जिनसे संसाधनों को यहां वापस लाया जा सके.
कॉन्गो पावर प्रोग्राम की मदद से, हम 2018 से गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े संगठनों, और टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं. इसके ज़रिए, हम इजवी द्वीप, इटुरी, न्यामुरैल, वालीकाली, और कॉन्गो के दूसरे क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा से जुड़े सिस्टम इंस्टॉल कर रहे हैं. ये सिस्टम, साइज़ और क्षमता के मामले में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इन सभी को इंस्टॉल करने का मकसद एक ही है. इनका लक्ष्य, ऊर्जा की सुविधाओं की मदद से लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करना और उन्हें मज़बूत बनाना है.
कम्मेन कहते हैं, “जब तक आपको आपके मानवाधिकारों और आर्थिक अधिकारों के बारे में नहीं पता होता, तब तक आप अपनी कहानी बताने का साहस नहीं कर पाते.” “साथ ही, कॉन्गो में अक्सर लोगों की आवाज़ को हिंसा का डर दिखाकर खामोश कर दिया जाता है.”
“हालांकि, अगर आप स्कूल से लेकर स्थानीय कारोबार तक के लिए, सुरक्षित तरीके से स्वच्छ ऊर्जा की सुविधा देते हैं, तो इससे गरीब समुदायों की ज़िंदगी बदल सकती है. इससे उनके पास आर्थिक रूप से मज़बूत ज़िंदगी जीने का अवसर होगा. ऐसे में उन्हें वॉरलॉर्ड (मिलिशिया लीडर) को, खून-खराबा करके कमाए गए पैसे देने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.”
ऐसी जगहों पर जीवन बिताना जहां संघर्ष चल रहा है
“गोमा अपने-आप में एक खास जगह है और उसकी अपनी एक अलग खूबसूरती है. अगली पीढ़ी को यह बताना बहुत ज़रूरी है कि हर जगह की अपनी अलग खूबसूरती होती है और उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए.” — मुगाबो
एक कंपनी के तौर पर, सप्लाई चेन से जुड़े जितने भी बड़े फ़ैसले हमने लिए उनमें से एक यह है कि हम कॉन्गो में रहकर इन समुदायों के हक की लड़ाई लड़ेंगे. हम चाहते, तो खनन करने वाले “सुरक्षित” देशों से ही खनिजों का आयात कर सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. हम जानते हैं कि कॉन्गो को अनदेखा कर देने से, खनन को लेकर हो रहे टकराव की समस्या हल नहीं हो सकती. खनन को लेकर हो रहे टकराव और संघर्ष से जूझने के लिए हम कॉन्गो को अकेले नहीं छोड़ सकते. इस समस्या को इलेक्ट्रॉनिक सामानों से जुड़ी सप्लाई चेन ने कई गुना बढ़ा दिया है.
मरियाना स्मिरनोवा, रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस अलाएंस के रिस्पॉन्सिबल मिनरल्स इनिशिएटिव (आरएमआई) में स्टैंडर्ड ऐंड एश्योरेंस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर हैं. वे कहती हैं, “हम कंपनियों को जिन बातों पर ज़ोर देने के लिए कहते हैं उनमें से एक, संघर्ष से प्रभावित इलाकों में ज़िम्मेदार तरीके से खनिजों का खनन करना है.” आरएमआई, सप्लाई चेन में स्रोत से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में, Google जैसी अपनी सदस्य कंपनियों की मदद करता है. साथ ही, आरएमआई, सशक्तिकरण के लिए चल रहे ऊकवेली कैंपेन का प्रायोजक भी है.
इसके लिए, एक तरीका यह है कि हम ज़िम्मेदार तरीके से खनन करने को बढ़ावा देने के लिए, यहां चल रहे अभियानों से जुड़ें. साथ ही, खदानों और खनन के काम में शामिल दूसरे लोगों की क्षमता बढ़ाने की कोशिश करें. स्मिरनोवा कहती हैं कि खनन का काम करने वाले लोगों के साथ हमें सम्मान और विनम्रता के साथ पेश आना चाहिए.
वे आगे कहती हैं, “हम खनन उद्योग से जुड़े कुछ नेताओं से मिले जिनमें से कुछ महिलाएं थीं और कुछ पुरुष थे. इन लोगों के पास अपनी ज़मीन और इन खनिजों के इस्तेमाल को लेकर एक साफ़ विज़न था.” “ज़मीन पर मौजूद असल समस्याओं को समझना और नीचे से लेकर उच्च स्तर के लोगों के साथ मिलकर हल ढूंढना बेहद ज़रूरी है. समस्याओं के हल कई बार हमारी आंखों के सामने ही होते हैं. ऐसे में उन्हें ढूंढने के लिए हमें बस मदद और थोड़ी ज़्यादा कोशिश करने की ज़रूरत होती है. इसके अलावा, अगर फिर भी कोई कमी रह जाती है, तो हम स्थानीय हिस्सेदारों के साथ मिलकर उसे दूर करने की कोशिश करते हैं. हम कॉन्गो और ज़्यादा जोखिम वाले इलाकों में, हमेशा ऐसे लोगों के साथ साझेदारी करने की कोशिश करते हैं जो समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.”
स्मिरनोवा कहती हैं कि ऊकवेली जैसे प्रोजेक्ट, इस तरह के डाइनैमिक को समझने में कंपनियों की मदद कर सकते हैं. वे आगे कहती हैं, “चुनौती को मानवीय तरीके से दूर करना ज़रूरी है.” “फ़िल्म की आधिकारिक रिलीज़ से पहले ही उसे आरएमआई के वार्षिक सम्मेलन में दिखाया गया. इस दौरान, हमारे सदस्यों और पार्टनरों ने पूछा कि वे फ़िल्म के मैसेज को पूरा करने यानी कि लोगों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में कैसे योगदान दे सकते हैं. मेरे मुताबिक, यह फ़िल्म मिलकर काम करने पर ज़ोर देती है और उन देशों की समस्याओं की ओर ध्यान खींचती है जहां खनन किया जा रहा है.”
हमें उम्मीद है कि फ़िल्म, उपभोक्ताओं और कॉर्पोरेशन, दोनों को कॉन्गो के खनिजों के कारोबार के बारे में जागरूक करेगी. साथ ही, वे जान पाएंगे कि यहां कॉन्गो के लोगों के लिए क्या दांव पर लगा है.
देखा जाए, तो ऊकवेली एक आंदोलन का हिस्सा है. इसकी मदद से, हमें कॉन्गो को एक ऐसे देश के रूप में समझने में मदद मिलेगी जो अपनी पहचान वापस पाना चाहता है.
“मैं इसलिए लड़ रहा हूं, ताकि लोगों को समझ आ सके कि कॉन्गो हमारा है. क्या आप मेरी बातों को समझ पा रहे हैं?” — स्ट्रीट डांसर्स का सदस्य
इस आंदोलन का हिस्सा बनें
- ऊकवेली और इससे जुड़े कैंपेन को अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करके, खनन उद्योग से जुड़ी समस्याओं को लोगों के सामने लाने में मदद करें. अपनी आवाज़ लोगों तक पहुंचाने के लिए, #raisethemic, #buildthepower, #ukwelitruth, और #knowyourgold हैशटैग इस्तेमाल करें.
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कॉन्टेंट को अपने संगठन के या अपने Facebook, Instagram, Twitter या LinkedIn के खातों पर पोस्ट करने का शेड्यूल बनाने के लिए, नीचे दिए गए पोस्ट टेंप्लेट इस्तेमाल करें:
- @[COMPANY] क्या आप जानते हैं कि आप #knowyourgold का इस्तेमाल करके, कॉन्गो की खदानों में काम करने वाले हज़ारों लोगों को एक सुरक्षित रोज़गार देने और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को कम करने में मदद कर सकते हैं? क्या आप उनकी मदद करेंगे? #buildthepower #ukwelitruth
- @PanziUSA और Dr. @DenisMukwege जैसे संगठनों की मदद करें, ताकि वे यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को सशक्त बनाने और कॉन्गो के लोगों की ओर से चलाए जाने वाले प्रोग्राम से लोगों को जोड़ सकें. #raisethemic #buildthepower #ukwelitruth
- हिंसा को खत्म करने की मांग करके और #buildthepower के तहत, कॉन्गो के लोगों के लिए मदद की गुहार लगाकर, #ukwelithetruth में दिखाई गईं कलाकार रीता और उन जैसे कलाकारों की मदद करें.
मेरी कंपनी इसमें किस तरह मदद कर सकती है?
- आपकी कंपनी ऐसे स्मेलटर (जहां धातु को पिघलाया जाता है) और रीफ़ाइनर (जहां धातु को शुद्ध बनाया जाता है) की सेवाएं ले सकती है जहां पर कोई विवाद न हो. इस तरह आपकी कंपनी अपना योगदान दे पाएगी. कई कंपनियां अब भी ऐसे स्मेलटर से सेवाएं ले रही हैं जिनसे खनिजों को लेने पर विवाद हो चुका है और वे खनन के ऑडिट में भी खरे नहीं उतरे हैं. यही वजह है कि मौजूदा समय में भी कॉन्गो के लोगों का शोषण हो रहा है.
- कुछ कंपनियों ने अब अफ़्रीकन ग्रेट लेक (अफ़्रीका की खूबसूरत झीलों) से खनिज लेना शुरू कर दिया है. वित्तीय निवेश और लोगों की मदद से, बिना विवाद वाले सोने के खनन और इस काम में लगे लोगों के लिए, रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने में अपना योगदान दें. उन संगठनों के बारे में ज़्यादा जानें जो इस मुहिम में अपना योगदान दे सकते हैं: पीपीए, आरएमआई.
- सप्लाई चेन से जुड़ी जांच-पड़ताल की सार्वजनिक रिपोर्टिंग में सुधार करें और उसमें अपना योगदान दें. आरएमआई की छोटे स्तर पर सोने के खनन से जुड़ी गाइड या ओईसीडी की जांच-पड़ताल से जुड़ी गाइड की मदद से ज़्यादा जानें.
- पूरे साल ज़रूरी जांच-पड़ताल करें, न कि सिर्फ़ सालाना रिपोर्टिंग के समय. लगातार होने वाली जांच-पड़ताल की प्रक्रिया, समय गुज़रने के साथ पहले से आसान और कम खर्च में पूरी हो जाएगी. सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए, लगातार सुधार करने पर ध्यान दें.