सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं
खनिज (मिनरल) की सप्लाई चेन ट्रैकिंग में, खनिज का पूरी तरह से पता लगाने के लिए, ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या आप जानते हैं कि जिस टिन मेटल का आप इस्तेमाल करते हैं, वह कहां से आता है?
ऐसी कोई जगह नहीं जहां टिन का इस्तेमाल न होता हो. चाहे वह तकनीक और निर्माण का क्षेत्र हो या फिर, अलग-अलग उत्पादों के निर्माण में इसके इस्तेमाल किए जाने की बात हो. इसमें Google के उत्पाद भी शामिल हैं. खनन किए जाने वाले दूसरे खनिजों की तरह ही टिन का खनन, ऐतिहासिक तौर पर चुनौती भरा रहा है क्योंकि टिन को खोजे जाने से लेकर इसको पिघलाने, फिर से बनाने, और ग्राहकों तक उसे पहुंचाने की प्रक्रिया काफ़ी मुश्किल है. कई चरणों वाली इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल होती है.
Google, एक कंपनी के तौर पर हमारे खनिजों का ज़िम्मेदारी से पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, हम खान में काम करने वालों से लेकर उपभोक्ताओं तक खनिज पहुंचाने के लिए, मिनरल-ट्रैकिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के नए तरीकों पर काम कर रहे हैं. साल 2018 में हम, रेस्पॉन्सिबल मिनरल्स इनिशिएटिव के सदस्य, Cisco, SGS, Volkswagen, और पेरुवियन खनन कंपनी Minsur से जुड़े. ताकि, खनिजों का पता लगाने से जुड़ी योजना लॉन्च की जा सके.
हमने बर्लिन के एक स्टार्टअप, Minespider के साथ मिलकर ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल से जुड़ी एक योजना बनाई है. यह एक शेयर किया गया डिजिटल लेजर (बहीखाता) है जिससे किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. यह स्टॉर्टअप खनिजों से जुड़ी हर जानकारी रखता है. साथ ही, यह भागीदारों की निजता की सुरक्षा भी करता है.
योजना के पहले चरण में हमारा पूरा ध्यान, Minsur की सैन रफ़ाएल खानों से मिलने वाले टिन पर रहेगा. यहां पूरी दुनिया में सप्लाई किए जाने वाले टिन का करीब 6% उत्पादन किया जाता है. जो उत्पाद सैन रफ़ाएल में बनते हैं उनमें टिन को शामिल करने के लिए, हम Minespider तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही, हम अपने पार्टनर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उनके साथ अहम जानकारी और इस दौरान मिलने वाले अनुभव भी शेयर कर रहे हैं.
Minespider के संस्थापक नेथन विलियम्स का कहना है कि "यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें खनिजों का पता लगाने के एक लक्ष्य के साथ, ग्लोबल लीडर्स मिलकर काम कर रहे हैं". “हम जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर रहे हैं वह पूरी इंडस्ट्री को एक साथ जोड़े रखने में योगदान देती है.”
ब्लॉकचेन की तकनीक को खानों तक लाना
किसी चीज़ के छोटे पैमाने पर मौजूद होने का मतलब यह नहीं है कि उसमें लोगों की दिलचस्पी कम है. असल में, जैसे-जैसे मानवाधिकारों और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, उपभोक्ता, उत्पादों और उनमें मौजूद खनिजों से पर्यावरण पर होने वाले असर के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाहते हैं.
विलियम्स कहते हैं, "फ़िलहाल, खनन उद्योग भी जांच के उसी दौर से गुज़र रहा है जिससे टेक्सटाइल उद्योग करीब एक दशक से भी ज़्यादा समय पहले गुज़रा था. यह ऐसा समय था जब मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे पहली बार खुलकर सामने आए थे." “हालांकि, उस समय टेक्सटाइल उद्योग के पास पूरी सप्लाई चेन को ट्रैक करने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी. अब ब्लॉकचेन की मदद से, हमारे पास उस लेवल की पारदर्शिता उपलब्ध कराने की सुविधा मौजूद है जो लोग चाहते हैं.”
ब्रैंड और खनन उद्योग में काम करने वाली कंपनियों को इस तकनीक की ज़रूरत महसूस हो रही है. ग्राहकों और उपभोक्ताओं की मांगें पूरी करने, ज़िम्मेदार तरीके से खनन करने, और विवाद वाले खनिजों से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए, खानों को सैकड़ों ऑडिट पूरे करने होते हैं. विवाद वाले खनिजों से जुड़े नियमों के उदाहरण: यू.एस. डॉड-फ़्रैंक ऐक्ट की धारा 1502, द फ़्रेंच ड्यूटी ऑफ़ विजिलेंस लॉ, द डच चाइल्ड लेबर ड्यू डिलिजेंस बिल, और द न्यू ईयू कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स रेगुलेशन.
कई सप्लायर, कच्चे माल के स्रोत के बारे में स्प्रेडशीट की मदद से जानकारी देते हैं. ये स्प्रेडशीट इस तरह डिज़ाइन की जाती हैं कि सेवा देने वाली सभी कंपनियों से जानकारी लेकर इनमें डाली जा सके. इन्हें रेस्पॉन्सिबल मिनरल्स इनिशिएटिव के विवाद वाले खनिजों की रिपोर्टिंग का टेंप्लेट कहा जाता है. इसके बाद, सप्लायर इन स्प्रेडशीट को उन अलग-अलग टूल में इंपोर्ट करते हैं जिनमें बार-बार बदलाव करना पड़ता है और जिनमें सीमित ऑटोमेशन मौजूद होता है. इसका मतलब है कि नियमों का पालन करना काफ़ी मुश्किल हो सकता है.
Minsur के कॉर्पोरेट मामलों की मैनेजर, एनालिया कैलमेल डेल सोलर कहती हैं, "जानकारी की ज़रूरत लगातार बनी रहती है." "असल में, Minsur की टीम, सर्टिफ़िकेशन को लेकर हुई एक बातचीत के सिलसिले में Google की टीम से मिली थी." कैलमेल डेल सोलर कहती हैं कि इस बातचीत के दौरान, यह साफ़ तौर पर पता चला कि जानकारी पाने के लिए एक जैसे अनुरोध, कई बार किए जा रहे थे. "इसलिए, Google की टीम ने Minespider से सलाह ली और यह प्रस्ताव दिया कि हमें ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करके देखना चाहिए. इसकी मदद से, अनुरोध करने और जवाब देने की संख्या को कम किया जा सकता है."
आभासी मुद्रा से होने वाले लेन-देन के दौरान सुरक्षा और भरोसा बनाए रखने के लिए, ब्लॉकचेन को बनाया गया. अलग-अलग जगहों पर लेजर (बहीखाता) उपलब्ध कराने की ब्लॉकचेन की तकनीक से ऐसे स्थायी रिकॉर्ड मिलते हैं जिनकी पुष्टि की जा सकती है और जिनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. इन रिकॉर्ड को सार्वजनिक तौर पर ऐक्सेस किया जा सकता है.
Minespider ने खनन और खनिज उद्योग के लिए, ओपन सोर्स सार्वजनिक प्रोटोकॉल बनाया है. यह प्रोटोकॉल, दुनिया भर में खनिजों की सप्लाई को किसी ऐसी बड़ी कंपनी के एकाधिकार के खतरे से बचाता है जिसके पास निजी ब्लॉकचेन मौजूद हो. Minespider के डिज़ाइन की मदद से, प्रोटोकॉल को अलग-अलग जगहों से नियंत्रित किया जा सकता है. इस दौरान, मालिकाना डेटा की गोपनीयता को भी बनाए रखा जा सकता है.
पहले पेरू, फिर पूरी दुनिया में शुरुआत
टिन को विवाद वाले खनिजों की सूची में रखा गया है, क्योंकि इसकी ज़्यादातर मात्रा उन छोटी खानों से निकाली जाती है जो कॉन्गो गणराज्य (डीआरसी) और अफ़्रीका के ग्रेट लेक्स क्षेत्र के उन इलाकों में मौजूद है जो संघर्ष से प्रभावित हैं. ब्लॉकचेन तकनीक के इस्तेमाल की शुरुआत कॉन्गो (डीआरसी) के बजाय पेरू से क्यों, जबकि टिन के स्रोत की जानकारी रखना डीआरसी में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है?
इस प्रोजेक्ट को किसी ऐसी खनन कंपनी के साथ शुरू करना ज़्यादा बेहतर है जिसके लिए पारदर्शिता मायने रखती है. Minsur, टिन उद्योग की ऐसी पहली कंपनी है जो इंटरनैशनल काउंसिल ऑन माइनिंग ऐंड मेटल्स का हिस्सा है. Minsur के सीईओ जुआन लुइस क्रुगर कहते हैं, “हम खनन के क्षेत्र में पारदर्शिता की शुरुआत कर रहे हैं. हमें इस पर गर्व है और हम इसे लेकर काफ़ी उत्साहित हैं. यह खनन और उन वैल्यू चेन का भविष्य है जिनमें खनिज शामिल होते हैं.”
Minsur की सैन रफ़ाएल खान, दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी खान है जो ज़मीन के नीचे मौजूद है. यहां टिन का अयस्क सबसे ज़्यादा पाया जाता है. Minsur, दुनिया भर में मौजूद अलग-अलग उद्योगों से जुड़ी कई कंपनियों तक खनिज पहुंचाता है. इस दौरान, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उसे कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है.
Google के रेस्पॉन्सिबल मटीरियल्स कार्यक्रम की प्रबंधक एलिसा न्यूमैन कहती हैं, "फ़िलहाल, कई ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट की मदद से, बड़ी खानों के बजाय, ऐसी छोटी खानों को टारगेट किया जा रहा है जिनमें जोखिम ज़्यादा है." “हमने एक बड़ी खान को टारगेट किया, क्योंकि हम प्रोटोकॉल की जांच करने के साथ-साथ, इसे ऑडिट करने लायक उद्योग मानकों से जोड़ना चाहते थे. ऐसा करके, हमें कई औद्योगिक और छोटी खानों के साथ काम करने और उपकरणों को बेहतर बनाने का मौका भी मिलता है.”
अगर इस प्रयोग के तहत ऐसा टेंप्लेट मिल जाता है जिससे खनन उद्योग में पारदर्शिता को लेकर आने वाली समस्या हल हो जाए, तो ज़्यादा जोखिम वाली जगहों पर इसके काम करने की संभावना बढ़ जाएगी.
हम खनन के क्षेत्र में पारदर्शिता को अपवाद के तौर पर देखे जाने की बजाय, बहुत सामान्य होते देखना चाहते हैं. दुनिया भर की छोटी-बड़ी खानों में ब्लॉकचेन सिस्टम लागू करके, ऐसा किया जा सकता है.
मिलकर काम करने का खुला न्योता
प्रयोग में शामिल पांच कंपनियां, एक-दूसरे से बिल्कुल अलग दिख सकती हैं. कैलमेल डेल सोलर कहती हैं, "Google, Volkswagen, Cisco, और SGS जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम करके हमने बहुत कुछ सीखा." हालांकि, बोर्ड में शामिल सभी कंपनियों को एक ही तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
कैलमेल डेल सोलर आगे कहती हैं, “आखिर में, सप्लाई चेन के अलग-अलग चरणों में, हम सब एक ही तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं.” “यही बात हमें एक साथ जोड़ती है और इस प्रोजेक्ट को अहम बनाती है.”
आगे बढ़ने के साथ-साथ, हम ऐसा प्लैटफ़ॉर्म बना रहे हैं जिससे कोई भी उद्योग जुड़ सकता है. साथ ही, खनन और खनिज उद्योग में पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकता है.
न्यूमैन कहती हैं, “खनिज से जुड़ी पारदर्शिता के इस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल सिर्फ़ अपनी सप्लाई चेन के लिए करना, हमारा आखिरी लक्ष्य नहीं है. हमारा लक्ष्य है कि यह प्रोटोकॉल, उद्योग के सभी लोगों और ऐसे नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जो अपने सामान में शामिल खनिजों के स्रोत और मानवाधिकारों को लेकर चिंतित रहते हैं.” "मिलकर शुरू की गई इस पहल का मकसद, हमारे सभी हिस्सेदारों के साथ पारदर्शिता बनाए रखना है."