सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं
सेहत को नुकसान न पहुंचाने वाले तरीके से उत्पाद बनाने के लिए सुरक्षित केमिस्ट्री
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में लेड जैसे ज़हरीले केमिकल या आग रोकने के लिए इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को लेकर उपभोक्ताओं की चिंता जायज़ है. हम Pixel 2 या Chromebook, जैसे उत्पादों में इन केमिकल का कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं. साथ ही, उत्पाद बनाने की प्रक्रिया के दौरान नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ों के इस्तेमाल को भी हम गंभीरता से लेते हैं. हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि हमारे उत्पाद बनाने वाले लोग सुरक्षित रहें.
जैसे Google के उत्पाद का इस्तेमाल करते समय किसी को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, वैसे ही Google के उत्पाद बनाते समय भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
केमिकल चुनने, उन्हें प्रबंधित करने, और उनसे जुड़े प्रशिक्षण को नियंत्रित करने की ज़िम्मेदारी अक्सर हमारे सप्लायर की होती है. इसलिए, नुकसान पहुंचाने वाले इन केमिकल का इस्तेमाल बंद करने के लिए, हमें अपने सप्लायर के साथ काम करना होगा. यही वजह कि हम केमिकल को प्रबंधित करने के मौजूदा तरीकों के कारणों और असर को समझने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसकी मदद से, हम अपने सप्लायर को ऐसी जानकारी और मदद दे पाएंगे जिससे वे केमिकल के सुरक्षित विकल्प इस्तेमाल कर पाएंगे.
उत्पाद बनाने की प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल होने वाले बहुत सारे केमिकल, उपभोक्ताओं को मिलने वाले उत्पाद या पैकेजिंग पर नहीं दिखते हैं. इसके बजाय, ये केमिकल क्लीनर, डीग्रीसर, और काटने में इस्तेमाल होने वाली मशीनों के फ़्लूइड में मौजूद होते हैं. ये ऐसे केमिकल होते हैं जिनका इस्तेमाल मशीन को चलाने, उसकी सफ़ाई करने या उसका रख-रखाव करने में किया जाता है. इन केमिकल से हमारी सप्लाई चेन में काम करने वाले लोगों और पर्यावरण, दोनों को खतरा हो सकता है.
उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाली जिन चीज़ों को हम हटाना चाहते हैं उनमें बेंज़ीन शामिल है. इसे अक्सर कैंसर से जोड़ा जाता है और यह क्लीनर में पाया जाता है1; इसके अलावा, टोयूईन और एन-हैक्सेन भी शामिल हैं. एन-हैक्सेन बहुत ज्वलनशील सॉल्वेंट (विलायक) होते हैं और ये इंसान के नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) और प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं. 2 साथ ही, ऐसे प्राकृतिक सॉल्वेंट भी शामिल हैं जिनमें क्लोरीन होता है और जिनका इस्तेमाल डीग्रीसर, साफ़-सफ़ाई करने में या किसी तरल को पतला करने के लिए होता है. इनसे सिर दर्द और त्वचा पर चोट जैसे निशान होने के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र), जिगर, और गुर्दे खराब होने का खतरा बढ़ सकता है3.
हम ऐसे केमिकल को भी हटाना चाहते हैं जिनके इस्तेमाल से ग्रीनहाउस गैस निकलती है. उदाहरण के लिए, हम सल्फ़र हेक्साफ़्लोराइड का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करने की तैयारी कर रहे हैं. यूनाइटेड नेशन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज के मुताबिक़, यह एक ऐसी ग्रीन हाउस गैस है जो 100 साल में, कार्बन डाईऑक्साइड से 22,880 गुना ज़्यादा ग्लोबल वॉर्मिंग कर सकती है4.
कर्मचारियाें की सुरक्षा करने का बेहतर तरीका
हमारे उत्पादों काे बनाने वाले हर व्यक्ति की सेहत और हित की रक्षा करना, Google का मूल काम है. 2013 में हमारे सप्लाई चेन कार्यक्रम को और भी ज़िम्मेदार बनाने के कुछ ही समय बाद, हमने उत्पाद बनाने की प्रक्रिया के दौरान खतरनाक केमिकल के इस्तेमाल और उनके प्रबंधन के लिए सप्लायर की जांच करनी शुरू की. जांच करने से जुड़े हमारे मानकाें में सभी ज़रूरी चीज़ें शामिल हैं, जैसे यह देखना कि सप्लायर के पास केमिकल काे पहचानने, उन पर नज़र रखने और कर्मचारियाें का खतरनाक पदार्थाें का कम से कम इस्तेमाल करने से जुड़ा काेई सिस्टम हाे. साथ ही, सप्लायर के पास सुरक्षित तरीके से केमिकल का इस्तेमाल करने, इन्हें रखने, और निपटाने के लिए भी ज़रूरी चीज़ें हाें.
जैसे-जैसे हमारा काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे हम हमेशा कर्मचारियाें की रक्षा करने और सप्लायर को ज़्यादा जवाबदेह बनाए रखने के बेहतर तरीके अपना रहे हैं. 2017 में, हमने अपने उपभोक्ता हार्डवेयर उत्पादों के लिए, उत्पादन से जुड़े प्रतिबंधित पदार्थों (एमआरएसएल) की एक नई सूची प्रकाशित की. इसे हमने प्रतिबंधित पदार्थ निर्देश में शामिल किया है. हमने बाद में, Google उपभोक्ता हार्डवेयर सप्लायर के लिए, एक नया एमआरएसएल आकलन कार्यक्रम लॉन्च किया.
इस कार्यक्रम के तहत, खुद जांच करने वाली व्यवस्थित प्रक्रिया के ज़रिए दूसरे केमिकल में से प्रतिबंधित पदार्थों की पहचान की जाती है. इस प्रक्रिया काे पूरा करने का ज़िम्मा, Google के लिए हार्डवेयर बनाने वालाें का हाेता है. इन जांचाें की मदद से हम यह देखते हैं कि एमआरएसएल (अगर कोई केमिकल माैजूद है) में दिए गए कौनसे केमिकल का इस्तेमाल हमारे सप्लायर अभी करते हैं, केमिकल का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, उन केमिकल के प्रभाव काे अभी कैसे नियंत्रित किया जा रहा है, और इस प्रक्रिया से कितने कर्मचारियाें पर असर पड़ता है. हम सप्लायर के निगरानी रखने के तरीके भी समझना चाहते हैं: क्या वे अभी काम की जगह पर इस्तेमाल हाे रहे एमआरएसएल में माैजूद खास केमिकल की एयर कंसनट्रेशन (वायु सांद्रता) को माप रहे हैं? क्या वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि काम की जगह पर हवा आने-जाने की जगह हाे? क्या वे इस बात का रिकॉर्ड रखते हैं कि कर्मचारी किस तरह के केमिकल के संपर्क में आते हैं?
एक बार जब हम पूरी जानकारी ले लेते हैं, तो हम इन सप्लायर के साथ सुधार करने और सूची में माैजूद केमिकल का इस्तेमाल न करने की योजना बनाते हैं.
दुर्घटना से देर भली
यह बहुत ज़रूरी है कि सप्लायर हमारी जांच प्रक्रिया और हमारी उम्मीदाें को समझें. यही वजह है कि हमने जनवरी 2018 में एमआरएसएल ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू किया. यह कार्यक्रम Google के सभी हार्डवेयर सप्लायर के लिए उपलब्ध है और इसमें पायलट वेबेनार (इंटरनेट के ज़रिए हाेने वाले सेमिनार), वर्कशॉप, सप्लायर के कारखानों में हाेने वाली निजी ट्रेनिंग शामिल हैं. साथ ही, अंग्रेज़ी और चाइनीज़ में ई-लर्निंग काेर्स भी शामिल किए गए हैं. कार्यक्रम का पालन करवाने के लिए, हम एमआरएसएल वाले केमिकल के खतरों और उन पर नियंत्रण लगाने के लिए लगातार जांच और साइट पर जाकर आकलन करते हैं.
क्योंकि, चीज़ाें को सही तरीके से करना ज़रूरी है. इसलिए आकलन प्रक्रिया कई बार मुश्किल हाे जाती है. कुछ मामलों में, हम सप्लायर से कहते हैं कि वे सालाें से जाे प्रक्रिया अपना रहे हैं, उनमें थाेड़ा बदलाव करें और नए तरीके के नियंत्रण, ट्रेनिंग, और सुरक्षा प्रक्रियाओं काे शामिल करें. हालांकि, इससे लागत बढ़ सकती है और उत्पादन धीमा हो सकता है.
हम सप्लायर से कहते हैं कि वे एमआरएसएल वाले पदार्थों की जगह दूसरी चीज़ाें काे इस्तेमाल करने का सुझाव दें. ऐसी चीज़ें, जो कर्मचारियाें के लिए सुरक्षित हाें और इससे उत्पाद की क्वॉलिटी पर भी काेई असर न पड़े या जिससे कुछ भी अनचाहा काम न हाे. हम लाेगाें, पर्यावरण, उत्पादन, नियमाें, और उत्पादन की क्वॉलिटी काे ध्यान में रखते हुए इस्तेमाल में लाई जाने वाली दूसरी चीज़ाें की पूरी तरह से जांच करते हैं.
कुछ मामलों में, खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल फ़ाैरन राेकना थाेड़ा मुश्किल हाेता है. किसी केमिकल का सुरक्षित विकल्प ढूंढते समय, हम इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि कर्मचारी सुरक्षित रहें. इसके लिए हम यह सुनिश्चित करते हैं कि सप्लायर के पास दुर्घटना रोकने की रणनीति, प्रशिक्षण, और सुरक्षा से जुड़े उपकरण मौजूद हों.
हमारा कार्यक्रम अभी शुरुआती दाैर में है, लेकिन हमारा लक्ष्य काफ़ी बड़ा है. जैसे-जैसे यह कार्यक्रम आगे बढ़ेगा, हम उम्मीद करते हैं कि सप्लायर, गैर सरकारी संगठन, और हमारे उद्याेग के दूसरे लोग इस काम में हमारी मदद करेंगे. इससे, केमिकल के प्रबंधन के मानकों पर सहमति बनेगी और सभी इनके इस्तेमाल के बेहतर तरीकाें काे शेयर कर सकेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि सप्लायर, उत्पाद बनाने वाली अपनी सभी फ़ैक्ट्री में, खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल रोकने की मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे और इसके सुरक्षित विकल्पों को लागू करने की पूरी काेशिश करेंगे. सप्लायर, Google उत्पादों को बनाते समय खतरनाक चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन अगर वे Google के अलावा दूसरे उत्पादों के लिए इन केमिकल का इस्तेमाल करते हैं, ताे इन खतरनाक केमिकल के विकल्प उपलब्ध कराने के उद्योग आगे नहीं बढ़ेंगे. इन पदार्थों का इस्तेमाल खत्म करने के लिए, हर किसी काे एक ही तरह से काम करना हाेगा.
आखिरकार, एमआरएसएल आकलन कार्यक्रम हमारे इस सफ़र का एक बड़ा कदम है. एक कंपनी के रूप में, हम उन सभी की ज़िंदगी में सुधार करना चाहते हैं जो हमारे उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं और हमारे उत्पादों को बनाते हैं. साथ ही, हमारा काम करने में हमारी मदद करते हैं. इसके लिए ऐसे सप्लाई चेन मॉडल की ज़रूरत होती है जो हर स्तर पर लोगों की सुरक्षा करता हाे.
1 “बेंज़ीन फ़ैक्टशीट,” नैशनल बायोमॉनिटरिंग प्रोग्राम, सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी), आखिरी बार 7 अप्रैल, 2017 को अपडेट किया गया, https://www.cdc.gov/biomonitoring/Benzene_FactSheet.html.
2 “टॉल्यूईन,” नैशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर ऑक्यूपेशनल सेफ़्टी ऐंड हेल्थ, सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी), आखिरी बार 26 जून, 2018 को अपडेट किया गया, https://www.cdc.gov/niosh/topics/toluene/default.html, https://www.cdc.gov/niosh/pel88/110-54.html.
3 “ऑर्गैनिक सॉल्वेंट्स,” नैशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर ऑक्यूपेशनल सेफ़्टी ऐंड हेल्थ, सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी), आखिरी बार 10 अक्टूबर, 2017 को अपडेट किया गया, https://www.cdc.gov/niosh/topics/organsolv/default.html.
4 जलवायु परिवर्तन 2007: द फ़िज़िकल साइंस बेसिस, जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय पैनल की चौथी आकलन रिपोर्ट में वर्किंग ग्रुप I का योगदान, 2007, https://www.ipcc.ch/publications_and_data/ar4/wg1/en/ch2s2-10-2.html.