पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
नॉर्दर्न एक्सपोज़र: नॉर्डिक देशों में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों से हो रहे फ़ायदे
Google के चार महाद्वीपों में 14 डेटा केंद्र और 150 देशों में ऑफ़िस हैं, जहां कुल-मिलाकर ऊर्जा की बहुत खपत होती है. हम अपनी कंपनी को पर्यावरण की ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखकर चलाना चाहते हैं. 2012 में हमने 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा इस्तेमाल करने का लक्ष्य तय किया था. इसका मतलब था कि एक साल में हम दुनिया भर में इतनी अक्षय ऊर्जा खरीदेंगे जितनी ऊर्जा की खपत हम कंपनी के तौर पर करते हैं.
ऐसा करने के लिए, हमने कई बाज़ारों में ऊर्जा खरीदने के समझौते (पीपीए) किए हैं. ये लंबी अवधि वाले समझौते हैं, जिनके तहत कंपनियां अक्षय ऊर्जा के नए प्रोजेक्ट बनाती हैं और उनसे एक तय समय के लिए, एक तय कीमत पर ऊर्जा खरीदने की गारंटी दी जाती है. इन समझौतों की वजह से अक्षय ऊर्जा के नए प्रोजेक्ट तो बनते ही हैं, साथ ही इनसे Google को वित्तीय तौर पर भी फ़ायदा होता है. जब हम एक तय कीमत पर, लंबे समय के लिए पवन ऊर्जा या सौर ऊर्जा खरीदने का समझौता करते हैं, तो हम आने वाले समय में बाज़ार में इन ऊर्जाओं की बढ़ती कीमतों से खुद को बचा लेते हैं. ऊर्जा के बारे में रणनीति बनाने वाली Google की टीम की प्रमुख, नेहा पामर कहती हैं, “हम अपनी लागतें लंबे समय तक एक तय सीमा में बनाए रख सकते हैं." “पीपीए न सिर्फ़ पृथ्वी के लिए, बल्कि हमारे कारोबार के लिए भी फ़ायदेमंद हैं.”
जब 2010 में हमने अपने पहले विंड एनर्जी (पवन ऊर्जा) पीपीए पर हस्ताक्षर किए थे, तब Google, ऊर्जा न बनाने वाली उन पहली कंपनियों में से एक था जो अपने काम के लिए बड़ी मात्रा में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा था. जैसा कि यहां बताया गया है, दुनिया भर में कुल 2.6 गीगावॉट ऊर्जा उत्पादन के लिए, हमने 2016 तक 20 प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किए. इन प्रोजेक्ट की वजह से, Google अक्षय ऊर्जा खरीदने वाला दुनिया का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट खरीदार बन गया है. इन कोशिशों की वजह से, हम 2017 में 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा इस्तेमाल करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे.
यह एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यह सिर्फ़ शुरुआत है. आने वाले समय के लिए हमने लक्ष्य तय किया है कि हम उतनी अक्षय ऊर्जा खरीद सकें जितनी ऊर्जा की हम खपत करते हैं, वह भी एक ही पावर ग्रिड में. यूरोप में Google के दो डेटा केंद्र, जो फ़िनलैंड और नीदरलैंड्स में हैं, इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. फ़िनलैंड में हमने ऊर्जा बनाने के लिए, सीधे नॉर्डिक क्षेत्र की हवा का इस्तेमाल किया. नीदरलैंड्स का डेटा केंद्र, ऐसा पहला डेटा केंद्र बना जिसमें पहले दिन से ही 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है.
Nord Pool का ऊर्जा का बाज़ार, जो स्कैंडेनेविया में ऊर्जा पहुंचाता है, इस बात का बहुत अच्छा उदाहरण है कि जब निजी कंपनियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में विकास करती हैं, तो इसका क्या असर होता है. सभी लोग इस बाज़ार की सेवा ले सकते हैं और इसके ज़रिए ग्राहक अपनी पसंद की ऊर्जा पा सकते हैं. यह बाज़ार ऊर्जा खरीदने के नए और अलग तरीके देने के लिए काम कर रहा है. बाज़ार की व्यवस्था के साथ स्थानीय बाज़ारों में Google की बढ़ती मौजूदगी, अक्षय ऊर्जा देने के पक्के इरादे, और लंबे समय के लिए ऊर्जा के विकास में खर्च करने की इच्छा के मिले-जुले नतीजों की वजह से यह कंपनी 600 मेगावॉट की पवन ऊर्जा बना पाई है. नॉर्डिक इलाके में ऊर्जा के नए संसाधनों में यह एक बड़ी बढ़ोतरी है और इसकी वजह से दुनिया के उस हिस्से में अक्षय ऊर्जा के कारोबार का विकास तेज़ी से हो रहा है.
हमने अक्षय ऊर्जा खरीदने का नया तरीका बनाने को बढ़ावा दिया है. नीदरलैंड्स में हमने Akzo Nobel, Philips, और DSM के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा खरीदी. इससे हमने यह दिखाया है कि आने वाले समय में इस तरह की डील काम कर सकती हैं. मार्क ओमान कहते हैं, “सेवा देने वाली कंपनियां अक्सर बिचौलिए का काम करती हैं." मार्क ने 2015 की शुरुआत में Google में काम करना शुरू किया, ताकि ऊर्जा खरीदने के काम तेज़ी से किया जा सके. साथ ही, इलाके में कंपनी के अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे काम प्रबंधित किए जा सकें. “इस मामले में, हमने ऊर्जा को सीधे उसे बनाने वालों से खरीदा.” इसका मतलब है कि हमने उन दो डच सहकारी समितियों के साथ काम किया जो पवन ऊर्जा फ़ार्म बनाती हैं. इनके साथ काम करके, हमने उनकी बनाई हुई पूरी ऊर्जा खरीदने का वादा किया और उनके प्रोजेक्ट को वित्तीय सुरक्षा भी दी.
पिछले साल, जून में हस्ताक्षर किए गए किसी दूसरे समझौते की वजह से टेलेन्स, नॉर्वे में 160 मेगावॉट की क्षमता वाली 50 टरबाइन बनाने का प्रोजेक्ट चालू हो सका. यह पहली बार था जब इस देश में पवन ऊर्जा फ़ार्म बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था बनाई गई. इस प्रोजेक्ट को जर्मन और डच बैंक से लोन मिला और आगे की वित्तीय मदद निवेश करने वाली एक कंपनी ने की. Google ने इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली पूरी ऊर्जा को एक तय कीमत पर खरीदने का वादा किया, जिससे इस प्रोजेक्ट को ज़रूरी वित्तीय सुरक्षा मिली. नॉर्वे में पानी से बिजली बनाने का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन पवन ऊर्जा के क्षेत्र में इस देश में कम ही काम हुआ था. ईयू (यूरोपीय संघ) में नीतियों और सामुदायिक संबंधों के क्षेत्र में काम करने वाले एंड्रू हेलैंड कहते हैं, “जिस दिन हमने इस समझौते की घोषणा की. “उस दिन नॉर्वे के ऊर्जा मंत्री ने ट्वीट किया, 'आज बहुत खुशी का दिन है.’”
इस तरह की चीज़ों से न सिर्फ़ Google को सीधा फ़ायदा होता है, बल्कि पूरी दुनिया पर इसका बहुत बड़ा असर पड़ता है. क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, दो ऐसे क्षेत्र हैं जो लगातार बढ़ रहे हैं. ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, जैसे-जैसे ये क्षेत्र बढ़ेंगे वैसे-वैसे इनके लिए डेटा केंद्रों की ज़रूरत भी बढ़ेगी. इनमें बिजली की खपत काफ़ी ज़्यादा होती है. जब डेटा केंद्र चलाने वाली कंपनियां अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल से कारोबार में होने वाले फ़ायदों को समझ जाएंगी, तब दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा की मांग बढ़ेगी. आने वाले समय में डेटा केंद्रों की ज़रूरत होगी, साथ ही आने वाले समय में अक्षय ऊर्जा भी ज़रूरी होगी.
जब से Google ने अक्षय ऊर्जा खरीदने की ओर कदम बढ़ाए हैं, तब से कई और कंपनियों ने भी इस ओर रुख किया है. आज कई बड़ी कंपनियां पीपीए पर हस्ताक्षर कर रही हैं और ओमान का मानना है कि जैसे-जैसे बाज़ार बढ़ेगा, छोटी कंपनियां भी एक साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने लगेंगी. ओमान कहते हैं, "हमारा लक्ष्य यह है कि हम जिन भी ग्रिड का इस्तेमाल करते हैं उनमें कार्बन का इस्तेमाल न हो. हम चाहते हैं कि हमें हर समय स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध हो.” ऐसा लगता है कि इस लक्ष्य को पूरा करने में तेज़ चलने वाली नॉर्डिक हवाएं, हमारी मदद कर सकती हैं.