सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं

वीआर (वर्चुअल रिएलिटी) की मदद से, खनन की असलियत के बारे में बताना

अक्टूबर 2018
दो आदमी, एक शांति का निशान दिखाता हुआ और दूसरा हंसता हुआ.

हज़ारों मील दूर बैठे उपभोक्ताओं के लिए उस कीचड़, गर्मी, और खराब हालात की कल्पना करना मुश्किल हो सकता है जिसका सामना कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) की खदानों में काम करने वाले लोग, कीमती खनिजों को निकालते समय करते हैं. इन खनिजों का इस्तेमाल कार, चिकित्सा से जुड़े डिवाइस, और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे प्रॉडक्ट में किया जाता है. वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) वाले एक नए प्रोजेक्ट की मदद से, हम दुनिया भर के दर्शकों को इन चीज़ों का अनुभव लेने का मौका दे रहे हैं. यह खनिज सप्लाई चेन को लेकर, लोगों में जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश का एक हिस्सा है.

हमने 2012 में अपने कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स प्रोग्राम की शुरुआत की, ताकि टिन, टैंटलम, टंगस्टन, और सोने (जिन्हें 3TG के तौर पर जाना जाता है) के खनन में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सके. इसका मकसद, इन खनिजों के लिए ऐसे स्रोत विकसित करना भी था जिसे लेकर किसी तरह का संघर्ष न हो. शुरुआत से ही हमारी रणनीति रही है कि हम इलेक्ट्रॉनिक और दूसरे उद्योगों से जुड़े सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ मिलकर काम करें. साथ ही, उनके लिए ऐसे स्रोत उपलब्ध कराएं जिसे लेकर किसी तरह का विवाद न हो.

कानून का ज़िम्मेदारी के साथ पालन करने वाले स्रोतों की अहमियत और उनके फ़ायदों को हाइलाइट करने के लिए, हमने रिस्पॉन्सिबल आर्टिसनल गोल्ड सॉल्यूशंस फ़ोरम और StoryUp XR के साथ मिलकर Journey of Gold फ़िल्म बनाई है. इस फ़िल्म को YouTube पर देखा जा सकता है.

इस वीआर फ़िल्म को, Jump कैमरों का इस्तेमाल करके फ़िल्माया गया है. इसमें, न्यामुरैल की एक सोने की खदान में काम करने वाले लोगों की ज़िंदगी और उनकी स्थिति की झलक देखने को मिलती है. यह खदान, छोटी होने के साथ-साथ तकनीक के लिहाज़ से भी पिछड़ी हुई है. यह खदान, कानून का पालन करने वाली डीआरसी की तीन आर्टिसनल (छोटी खदानें, जहां हाथ से इस्तेमाल होने वाले टूल से खनन किया जाता है) सोना खदानों में से एक है.

कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स (विवादों में फंसे देशों या इलाकों से मिलने वाले खनिज) के मामलों के लिए, Google की प्रोग्राम मैनेजर और Journey of Gold की प्रोड्यूसर, अलिसा न्यूमैन कहती हैं, “वीआर की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह टेलीपोर्ट करने वाला डिवाइस है”. “ऐसे लोग जो कभी डीआरसी नहीं गए हैं, हम उन्हें वीआर की मदद से वहां लेकर जा सकते हैं.”

Responsible Minerals Initiative और Responsible Artisanal Gold Solutions Forum के सदस्य के तौर पर Google, सोने के कारोबार से जुड़े तनावों को अच्छी तरह समझता है. साथ ही, हम कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद करने के लिए, कई तरह के कदम उठा रहे हैं. हम यह पक्का करना चाहते हैं कि हमारी सप्लाई चेन में, सोना जहां से आता है वहां कानून का पालन हो रहा हो. हमारे मुताबिक, इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमारे सप्लायर पार्टनर की भागीदारी और ज़िम्मेदारी को ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ाया जाए. साथ ही, हम ऐसे पार्टनर के साथ मिलकर काम करें जो अपने प्रॉडक्ट में सोने का इस्तेमाल करते हैं. जैसे, इलेक्ट्रॉनिक, गहने, ऑटो, और अन्य चीज़ें सप्लाई करने वाले पार्टनर.

कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स के ख़िलाफ़ हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी, Journey of Gold, और इस तरह के अन्य प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा को बढ़ावा देकर, हम इनके ज़रिए सप्लायर और उपभोक्ताओं, दोनों में, एक ऐसी दुनिया बनाने की इच्छा पैदा कर सकते हैं जिसमें खनन करने से पर्यावरण और लोगों को नुकसान न पहुंचे.

आदर्श को बदलना

कॉन्गो और उसके आस-पास के क्षेत्र में 3TG धातुओं में से सोने को ज़िम्मेदारी के साथ निकालना सबसे बड़ी चुनौती है. इस चुनौती की अहम वजह वहां बड़े पैमाने पर होने वाला गैरकानूनी खनन और तस्करी है. Google के Conflict Minerals प्रोग्राम के तहत हम सरकारी संगठनों, औद्योगिक समूहों, और एनजीओ के साथ पार्टनरशिप करके बिना संघर्ष के खनिजों को निकालने में मदद मुहैया कराते हैं.

2012 तक, न्यामुरैल की खदानों पर हथियारबंद समूहों का कब्ज़ा था जो ज़िम्मेदार सप्लाई चेन के ख़िलाफ़ थे. लेकिन, वेंज ब्चाइज़ा पायलट प्रोजेक्ट की कोशिशों की मदद से, यहां बहुत बड़े बदलाव हुए.

यूएस एजेंसी फ़ॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) की आर्थिक मदद से चलने वाले और Tetra Tech की ओर से न्यामुरैल में लागू किए गए इस पायलट प्रोग्राम से, डीआरसी की सरकार और खनन को-ऑपरेटिव को निगरानी करने और सुरक्षा से जुड़े सिस्टम लागू करने में मदद मिली. मई 2017 तक, एक जॉइंट क्वालीफ़िकेशन टीम ने इस बात की पुष्टि कर दी थी कि न्यामुरैल में कानूनी तरीके से सोने का खनन होता है.

कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य में, एक व्यक्ति काम करने वाले दूसरे मज़दूरों के साथ सुबह-सुबह चर्चा करता हुआ.
काम शुरू होने से पहले, मुज़ुंगु खदान में काम करने वाले दूसरे लोगों के साथ सुबह की चर्चा करते हैं. सोने की खदान के चुनौती भरे माहौल में, समुदाय एक साथ काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मददगार साबित होता है.

यह सच है कि हर खदान को ऐसे खदान में बदलना मुश्किल होगा जहां ज़िम्मेदारी के साथ खनन होता है—इसका विरोध करने वाली ताकतें बहुत ज़्यादा हैं. लेकिन, न्यामुरैल से इसे लेकर हमें एक बेहतर रास्ता मिला है और Journey of Gold इस मैसेज को फ़ैलाने में मदद कर रही है.

पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी

हम जानते हैं कि ज़िम्मेदार सोर्सिंग में सिर्फ़ जागरूकता से काम नहीं चलेगा. इसके लिए बड़े पैमाने पर, बहु-उद्योग प्रतिबद्धता और सहयोग की ज़रूरत होगी, ताकि यह पक्का हो सके कि जिन खनिजों को लेकर टकराव है उनका खनन ज़िम्मेदारी से किया जाए.

इस मामले में हमने काफ़ी तरक्की की है. 2013 में, Google ने अपनी सप्लाई चेन में सोने के 38 स्मेल्टर की पहचान की, जिन्हें एक तीसरे पक्ष ने “अनुकूल” या बिना संघर्ष वाला माना. 2017 में, यह संख्या बढ़कर 102 हो गई. इसके अलावा सोने के छह स्मेल्टर 'अनुकूल' बनने की राह पर हैं. ज़्यादा जानकारी के लिए, Alphabet Inc. की 2017 की कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल रिपोर्ट देखें.

एक मज़दूर अपने घुटने पर बाजू रखकर आराम करते हुए. वह सीधे कैमरे में देख रहा है.

हमें उम्मीद है कि वीआर के ज़रिए डीआरसी का जो अनुभव लोगों को मिला वह इस आंदोलन को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा. The Journey of Gold लॉन्च कैंपेन में वीडियो के शेयर किए जा सकने वाले लिंक और सोशल मीडिया हैशटैग, जैसे कि #knowyourgold शामिल हैं. साथ ही, खनन के बारे में चर्चा को बढ़ावा देने के इरादे से बनी चीज़ें भी हैं. ये कंपनियों को—जिनमें Google भी शामिल है—सोने की विशाल सप्लाई चेन में अपनी भूमिका को लेकर ईमानदार बने रहने में मदद करते हैं.

न्यूमैन कहते हैं, “हम वीआर अनुभव इसलिए नहीं बना रहे हैं, क्योंकि किसी ने हमसे कहा है”. "हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि हमें ऐसी समस्याएं दिखती हैं जो बहुत ज़्यादा मुश्किल लगती हैं. लेकिन हम समस्या को अलग नज़रिए से देखने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें हम समस्या को हल करने के ऐसे नए तरीके ढूंढेंगे जिन्हें न सिर्फ़ हम खुद अपना सकें, बल्कि जिन्हें हमारे सप्लायर और प्रतिस्पर्धी भी अपना सकें."