पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
डेटा का भंडार: 1.4 अरब वर्ग मील से भी ज़्यादा जगह पर, गैरकानूनी तरीके से मछली पकड़े जाने की निगरानी
जून 2015 में, किरिबाती के फ़ीनिक्स आइलैंड प्रोटेक्टेड एरिया (PIPA) में एक मछली पकड़ने वाले जहाज़ का पता लगा था. आइलैंड वाला यह देश, प्रशांत महासागर में 10 लाख वर्ग मील से ज़्यादा इलाके में फैला है. मुख्य शहरों से दूर बसी, इस जगह पर सरकार ने राजधानी से गैरकानूनी गतिविधियों की जांच कर, इस पर कार्रवाई करने वाली संस्था का एक जहाज़, चार दिन की यात्रा पर भेज दिया.
दुनिया की सबसे बड़ी यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज़ मरीन साइट, PIPA में हाल ही में मछलियां पकड़ने की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. यह उस इलाके के बीचों-बीच है जहां टूना मछलियां पकड़ने का कारोबार सबसे ज़्यादा होता है. लेकिन जब जहाज़ आई-किरिबाती पहुंची तो, वहां मौजूद लाखों डॉलर का कारोबार करने वाली नाव के कैप्टन ने साफ़ तौर पर इनकार किया कि वह मछली पकड़ रहा था. कैप्टन ने उसकी कंपनी के ख़िलाफ़ कोर्ट में मुकदमा ले जाने की चुनौती दी. उसे लग रहा था कि सज़ा दिलवाने के लिए न तो किरिबाती के पास सबूत हैं और न ही संसाधन.
लेकिन, यह उसकी भूल थी. वापस बंदरगाह पर लाए जाने के बाद, कैप्टन को उसके जहाज़ की हलचल का विज़ुअलाइज़ेशन दिखाया गया. गतिविधि की पाबंदी वाले इलाके में, अपनी जहाज़ को मछली पकड़ने के लिए खास तरह से एक गोलाकार पैटर्न में चलाते हुए देखकर, कैप्टन ने तुरंत मामला वहीं सुलझाने का फ़ैसला किया.
समुद्र बड़े होते हैं — इनका क्षेत्रफल है 1.4 अरब वर्ग मील या धरती का 71% हिस्सा, जिसका अभी तक 5% से भी कम देखा जा सका है. लाखों लोग रोज़गार के लिए समुद्र पर निर्भर हैं. पोषण के लिए मुख्य रूप से मछली पर निर्भर लोगों की संख्या एक अरब से ज़्यादा है. लेकिन मौजूदा समय में, गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने, बहुत ज़्यादा मछली पकड़े जाने, और मछलियों की रहने की कुदरती जगहें नष्ट होने से दुनिया भर में मछलियों की संख्या खतरे में है. कुछ प्रजातियों की संख्या 90% तक कम हो गई है. इससे भी खराब बात यह थी कि हाल के समय तक समुद्र के बहुत बड़े क्षेत्रफल को देखते हुए इस नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को नापना मुश्किल था, इसके बारे में कुछ करने की सोचना तो छोड़ ही दीजिए.
1990 के दौर में बड़े जहाज़ों ने ऑटोमैटिक आइडेंटिफ़िकेशन सिस्टम (एआईएस) नाम की तकनीक इस्तेमाल करनी शुरू की. समुद्र में जाने वाले जहाज़ों की सुरक्षा के लिए यह एक जीपीएस प्रोटोकॉल था. इससे यह पक्का होता था कि उस इलाके में मौजूद दूसरे जहाज़ों को उनकी जगह की जानकारी हो. 2013 तक संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ज़्यादा से ज़्यादा व्यावसायिक जहाज़ पर एआईएस होना ज़रूरी बना दिया. इससे सैटलाइट, खुले समुद्र पर इन सिग्नलों का डेटा इकट्ठा करने लगे. (International Space Station पर भी एक एंटेना था.) एक दशक से थोड़े ज़्यादा समय में, ऐसी जहाज़ों की संख्या शून्य से बढ़कर 2,50,000 हो गई जो समुद्र में दूर तक निकल गई हैं और उन पर खुले तौर पर नज़र रखी जा रही है.
2013 के आखिर में, सैटलाइट के ज़रिए पर्यावरण पर नज़र रखने वाली गैर-लाभकारी संस्था SkyTruth, Google के सालाना Geo for Good User Summit में हिस्सा ले रही थी. संस्था, फ़्रैकिंग वाले इलाकों और जिन इलाकों में प्राकृतिक गैस मिल सकती है उनकी पहचान के लिए Google के साथ काम कर रही थी. Google Earth Outreach कार्यक्रम के मैनेजर ब्रायन सुलिवन से बातचीत करते समय, SkyTruth ने दिखाया कि किस तरह संस्था समुद्र के संरक्षित क्षेत्र पर नज़र रखने के लिए एआईएस डेटा इस्तेमाल कर रही है. साथ ही, एक विश्लेषक, जहाज़ के रास्तों और मछली पकड़ने के पैटर्न पर नज़र रख रहा है. सुलिवन ज़ोर देकर कहते हैं, “इंसान ऐसा कर रहे थे.” इससे एक बात समझ आती है कि अगर एक इंसान किसी छोटे से इलाके से जुड़े डेटा के ज़रिए उस जगह के बारे में चीज़ें समझ सकता है, तो Google के पास बड़े पैमाने पर चल रहे मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म से रीयल टाइम में समुद्र में मौजूद मछली पकड़ने की नावों को पहचाना जा सकता है.
दुनिया भर में हमेशा से मछली पकड़ने वाली नावें चोरी-छिपे काम करती हैं: आम तौर पर ऐसी जगहों पर जहां नज़र नहीं जाती और ये अक्सर बच निकलती हैं. अब इलाके और समय के हिसाब से मछली पकड़ने की नावों को सार्वजनिक रूप से दिखाने का मौका आ गया था. SkyTruth और Google की तकनीकी टीम एक शुरुआती कॉन्सेप्चुअल प्रोटोटाइप पर साथ मिलकर काम करने लगी. उसके बाद, पूरी तरह समुद्र के लिए काम करने वाली गैर-लाभकारी संस्था Oceana भी इस मुहिम से जुड़ गई और इन तीनों भागीदारों ने इस सोच को Global Fishing Watch (GFW) प्लैटफ़ॉर्म में बदल दिया.
यह सिस्टम साधारण एआईएस डेटा से शुरू होता है — यानी नाव का अक्षांश, देशांतर, गति, दिशा, और पहचान. सबसे पहला कदम है गड़बड़ियों को पहचानना. सुलिवन नपे-तुले अंदाज़ में कहते हैं, "अगर कोई जहाज़ किसी मैदान से ब्रॉडकास्ट कर रहा है, तो कोई गड़बड़ी है." इसके बाद, हम इस जानकारी को समझने की कोशिश करते हैं. टीम ने जहाज़ों के हज़ारों रास्तों की जानकारी को मैन्युअल तरीके से कई श्रेणियों में बांटा, ताकि मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म को मछली पकड़ने के पैटर्न "समझाए" जा सकें. कार्गो फ़्रेटर, टगबोट, लॉन्ग-लाइनर, ट्रॉलर — हर एक जहाज़ का चलने का अपना एक खास तरीका है. नाव की गति कितनी है? यह कितनी जल्दी दिशा बदलती है? पानी कितना गहरा है? क्या आस-पास दूसरी नावें भी हैं? क्या जहाज़, मछली पकड़ने की जहाज़ों की सार्वजनिक रजिस्ट्री में दिखाई दे रही है? ये सभी बातें, उन मॉडल में जाती हैं जो हर एक उपलब्ध डेटा से मछली पकड़ने की संभावना का पता लगाते हैं. Google के क्लाउड इंफ़्रास्ट्रक्चर से टीम को यह मॉडल, नावों की करोड़ों अलग-अलग स्थितियों पर लागू करने और पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध इंटरैक्टिव सार्वजनिक मैप तैयार करने में मदद करता है.
Global Fishing Watch ने अपना पहला प्रोटोटाइप नवंबर 2014 में दिखाया और सितंबर 2016 में यू.एस. स्टेट डिपार्टमेंट के आवर ओशियन कॉन्फ़्रेंस में इसे लॉन्च कर दिया. एक समय यह सवाल खड़ा हुआ, जो आज भी हमारे सामने है: अब पत्रकार, सरकारें, और नागरिक खुद ही देख सकते हैं कि कहां मछली पकड़ी जा रही हैं, क्या इस जानकारी से व्यवहार में बदलाव आएगा? क्या Global Fishing Watch इस गैरकानूनी लेकिन फ़ायदे वाली गतिविधि पर रोक लगा सकता है?
पैसों के रूप में मिलने वाले इनाम से, इस तरह की गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट मिलने की उम्मीद बंधती है. मछली पकड़ने से जुड़ी पूरी जानकारी, अगर किसी तरह मिल भी जाती थी, तो भी काफ़ी महंगी मिलती थी. इस वजह से, जिन देशों को इस जानकारी की ज़रूरत थी वे इसे खरीद नहीं पाते थे. ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच (जीएफ़डब्ल्यू) प्लैटफ़ॉर्म पर, दुनिया भर से जानकारी शामिल करने और इसे सभी को उपलब्ध कराने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग मिल रहा है. व्यवसाय के तौर पर मछली पकड़ने वालों से समझौता करके, किरिबाती ने करीब 2.2 मिलियन डॉलर वसूले. सुनने में यह रकम शायद बहुत ज़्यादा न लगे, लेकिन यह देश की GDP का एक प्रतिशत है. सुलिवन कहते हैं, "इससे भी ज़्यादा ज़रूरी बात, मछली पकड़ने का काम करने वाले लोग यह समझ गए हैं कि अब दूर-दराज़ के इलाकों पर भी नज़र रखी जा रही है."
मछली पकड़ने की दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक इंडोनेशिया ने, हाल ही में अपने मालिकाना हक़ वाले ट्रैकिंग सिस्टम को GFW प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने के लिए सहमति दी है — यह एक ऐसा प्लैटफ़ॉर्म है जिसका इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है और जिसमें दूसरे देश भी अपनी रुचि दिखा रहे हैं. साथ ही, यूएन फ़ूड ऐंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइज़ेशन के पोर्ट स्टेट मेज़र्स एग्रीमेंट में करीब 60 देश शामिल हैं. आपसी सहयोग के लिए, इस साल तैयार किए गए इस समझौते में शामिल देशों के बंदरगाहों को, ऐसे किसी भी जहाज़ को हटाने का अधिकार है जिस पर अवैध तरीके से मछली पकड़ने का शक हो.
हालांकि, सिर्फ़ गलत व्यवहार करने वाले को सज़ा देना ही काफ़ी नहीं है. अच्छा व्यवहार करने वाले को इनाम देना भी ज़रूरी है. अमेरिका को स्नैपर (एक मछली) निर्यात करने वाली, इंडोनेशिया की सबसे बड़ी कंपनी Bali Seafood, छोटी नावों पर नज़र रखने के देश के सबसे बड़े पायलट प्रोग्राम के लिए Global Fishing Watch के साथ मिलकर काम कर रही है. अंतरराष्ट्रीय रूप से, पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाए गए उत्पादों की मांग इतनी बढ़ गई है कि कंपनी को लगता है कि पारदर्शिता बनाए रखने से कंपनी को व्यावसायिक फ़ायदा मिलेगा. इसी तरह, सी-फ़ूड डिजिटल सप्लाई चेन कंपनी Trace Register ने वादा किया है कि वह Whole Foods जैसे ग्राहकों के लिए मछली पकड़े जाने से जुड़े दस्तावेज़ों की पुष्टि के लिए GFW का इस्तेमाल करेगी.
आने वाले समय के लिए ये ज़रूरी कदम हैं. हालांकि, दुनिया भर में मछली पकड़े जाने की असली तस्वीर अब भी अधूरी है. GFW, शोध संस्थानों के साथ मिलकर कई विषयों पर शोध कर रहा है. इस शोध से यह पता लगाया जा रहा है कि किसी देश में ऐसी जगहों पर सब्सिडी का क्या असर होता है जहां मछलियां पकड़ी जाती हैं. इसके अलावा, यह भी शोध किया जा रहा है कि समुद्र के तापमान और अल निनो में बदलाव होने पर मछलियां आखिर कहां जाती हैं. सुलिवन कहते हैं, “जब भी मैं किसी को लाइव मैप दिखाता हूं, तो वे मुझे कोई ऐसी बात बताते हैं जो मुझे नहीं पता थी.” “जियोपॉलिटिकल विशेषज्ञ मुझसे कहते हैं, 'इतने सारे जहाज़ फ़ाकलैंड्स के किनारे क्यों खड़े हैं.' एक ओशिएनोग्राफ़र (समुद्र वैज्ञानिक) कहेगा, 'यहां मछलियां नहीं पकड़ी जाती हैं, पानी बहुत गर्म है. हालांकि, इसकी पश्चिमी दिशा में दुनिया भर में मौजूद टूना मछलियों की आधी आबादी मिल जाएगी.' GFW के पास अरबों डेटा बिंदु हैं, लेकिन पांच सेकंड में यह ऐसी कहानियां बयां कर सकता है जो पहले कभी नहीं की गईं.” मछली पकड़े जाने वाली जगहों को हम पहले जैसा कर पाएं, ताकि हमारी आने वाली नस्लों को इससे खाना मिलता रहे. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम इन कहानियों को किस तरह से देखते हैं.
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सितंबर 2016
मशीन लर्निंग के ज़रिए, दुनिया भर में मछली पकड़े जाने के बारे में जानना
मछली पालन का काम वैश्विक खाद्य सुरक्षा (ग्लोबल फ़ूड सिक्यॉरिटी), बंधुआ मज़दूरी से जुड़ी समस्याओं, रोज़गार, संप्रभु संपत्ति, और जैवविविधता (बायोडायवर्सिटी) से जुड़ा है, लेकिन मछली पकड़ने का कारोबार इतना ज़्यादा हो रहा है कि वह लगातार चलते रहने के स्तर से आगे निकल चुका है. इन गंभीर ट्रेंड के बीच हम इन चुनौतियों से लड़ने के लिए अच्छी तरह तैयार भी हैं. इस तैयारी के लिए शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए तकनीकी विकास का, लोगों को जानकारी मिलना बढ़ने का और पूरी दुनिया में बढ़ रही भविष्य को बेहतर बनाने की इच्छा का.
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सितंबर 2016
दुनिया भर में मछली पकड़ने से जुड़ी समस्याओं के ख़िलाफ़ कार्यकर्ताओं (ऐक्टिविस्ट) ने ऑनलाइन मुहिम शुरू की
यह एक ऐसी वेब सेवा है जो व्यावसायिक नावों की गतिविधि को सार्वजनिक करके, गैर-कानूनी रूप से मछली पकड़ने के ख़िलाफ़ लड़ती है.
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मार्च 2016
समुद्र में लुकाछिपी पर लगाम
हम दिखाते हैं कि कैसे एआईएस (ऑटोमैटिक शिप आईडेंटिफ़िकेशन सिस्टम) डेटा का इस्तेमाल, जगह के हिसाब से महत्वाकांक्षी, समुद्र में कामकाज, और रिसर्च के नए युग की शुरुआत कर सकता है.
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Fishing Watch की वेबसाइट
ग्लोबल फ़िशिंग वॉच की मदद से, इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा रखने वाला कोई भी व्यक्ति, समुद्र में कहीं भी मछली पकड़े जाने की गतिविधि देख सकता है. यह प्लैटफ़ॉर्म, करीब-करीब रीयल-टाइम में गतिविधियों को देखने की सुविधा देता है.
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