सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं
पर्यावरण को ध्यान में रखकर सप्लाई चेन बनाने के लिए, भावनात्मक रुकावटों को कम करने से लेकर ई-कचरे को रीसाइकल करने तक का काम
क्या आपने कभी सोचा है कि शायद आपकी अलमारी में कहीं तांबा पड़ा हो. पुरानी कबाड़ बनी दराज़ों में टिन हो. घर के कुछ ऐसे कोने जिन्हें व्यवस्थित करने का समय न मिल पाया हो, वहां कहीं सोना मौजूद हो सकता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि हमारे घरों में रखे, धूल खाते पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, किसी छोटे खज़ाने की तरह हैं. इनमें खनिजों के अलावा, कई अन्य चीज़ें मौजूद हैं. ये ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें रीसाइकल करके, सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा दिया जा सकता है.
तो सवाल यह है कि आखिर ज़्यादातर लोग, इन चीज़ों को रीसाइकल क्यों नहीं कर रहे हैं?
डेविड बॉर्न, Google की कंज़्यूमर हार्डवेयर टीम के सस्टेनबिलिटी स्ट्रैटजिस्ट हैं. वे कहते हैं, “दुनिया भर में, ग्राहकों के इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाले सामान में से, सिर्फ़ 20% ही रीसाइकल होने के लिए जाता है. मौजूदा समय में, रीसाइकल किया गया ज़्यादातर सामान, मैन्युफ़ैक्चरिंग की प्रोसेस के दौरान निकलने वाले अवशेषों को रीसाइकल करके बनाया गया प्रॉडक्ट है. इस सामान की प्राकृतिक रूप से उपलब्धता कम है. प्रॉडक्ट के निर्माण के लिए, रीसाइकल की गई सामग्री की मांग बढ़ रही है. हालांकि, मैन्युफ़ैक्चरिंग की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले अवशेषों को, रीसाइकल करके मिलने वाला कबाड़, इस मांग को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं है.”
इस समस्या की जड़ तक जाने के लिए, साल 2021 में Google ने Amazon, Apple, Dell, और Microsoft के साथ हाथ मिलाया. ये सभी कंपनियां, Corporate Eco Forum नाम के संगठन के साथ जुड़ी हुई हैं. Google ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को रीसाइकल करने वाली कंपनी, Retrievr के साथ साझेदारी की और फ़रवरी 2022 में, एक नया पायलट प्रोग्राम लॉन्च किया.
कोलोराडो के डेनवर शहर में, एक साल के लिए, डोरस्टेप रीसाइकलिंग पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट को तैयार करने का मकसद, यह जानना है कि आखिर वे कौनसी वजहें हैं कि ग्राहक अपना ई-कचरा घर से बाहर नहीं निकालते. साथ ही, इस प्रोजेक्ट की मदद से, इन अवशेषों में मौजूद सामग्रियों और खनिजों को, टेक इंडस्ट्री की सप्लाई चेन में वापस पहुंचाना है.
बॉर्न कहते हैं, “Google की पूरी कोशिश है कि अपनी सप्लाई चेन से रीसाइकल की गई और ईको-फ़्रेंडली सामग्रियों को इकट्ठा किया जाए. इसके लिए, हमने कुछ सार्वजनिक घोषणाएं भी की हैं. इसके बावजूद, सप्लाई चेन, रीसाइकल की गई सिर्फ़ उतनी चीज़ें दे पा रही है जितनी उपलब्ध हैं.”
घर में कबाड़ की तरह पड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
जब इस्तेमाल न होने वाला कोई डिवाइस, उपभोक्ता के घर के किसी कोने में पड़ा रहता है, तो इसे “प्रॉडक्ट हाइबरनेशन” कहा जाता है. डेनवर शहर में लॉन्च किया गया पायलट प्रोजेक्ट, साल 2021 में पब्लिश की गई उस रिसर्च पर आधारित है जिसमें प्रॉडक्ट हाइबरनेशन के बारे में गहराई से बात की गई थी. Electronics Hibernation: Understanding Barriers to Consumer Participation in Electronics Recycling Services , यह हमारा व्हाइट पेपर है. इसमें, हाइबरनेशन की सात सामान्य वजहों के बारे में बताया गया है:
- डिवाइस को रीसाइकल के लिए देने के विकल्पों को लेकर जागरूकता की कमी—उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके पास रीसाइकलिंग के कौनसे और कितने विकल्प मौजूद हैं या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उनके पास इतने सारे विकल्प हों कि उन्हें पता ही न हो कि किसका इस्तेमाल किया जाए.
- डिवाइस के बदले, आर्थिक या सामाजिक रूप से कुछ मिलने की उम्मीद—उपभोक्ता को लगना चाहिए कि डिवाइस को रीसाइकल के लिए देना “एकदम सही फै़सला है”. भले ही, इसके बदले उन्हें आर्थिक रूप से कोई मुआवज़ा मिले या उनके मन में किसी की मदद करने की भावना हो.
- डिवाइस से जुड़ी पुरानी यादें—उपभोक्ता, इस्तेमाल न होने वाले इन डिवाइसों से, अपनी ज़िंदगी की कुछ घटनाओं या लोगों को जोड़कर देखते हैं. कुछ लोगों को यह भी लगता है कि पुराने डिवाइस, ऐतिहासिक हैं या घर की सुंदरता बढ़ाते हैं.
- डिवाइस को स्पेयर या अतिरिक्त मानकर रखना—कई बार उपभोक्ता कुछ डिवाइसों को यह सोचकर घर में रखते हैं कि “क्या पता कभी इनकी ज़रूरत पड़ जाए.”
- डेटा बचाकर रखने के लिए—अपना पुराना डिवाइस रीसाइकलिंग के लिए देने से पहले, ज़रूरी है कि उपभोक्ता अपने पुराने डिवाइस में मौजूद डेटा को सुरक्षित तरीके से नए डिवाइस पर ट्रांसफ़र कर लें.
- डेटा हटाना—अपने पुराने डिवाइस को रीसाइकलिंग के लिए भेजने से पहले, उपभोक्ता उसमें मौजूद संवेदनशील डेटा को मिटाना चाहता है.
- डिवाइस को हैंडओवर करने की सुविधा की कमी—उपभोक्ता को पता है कि उसे अपना ई-कचरा किसे देना है, लेकिन यह सुविधाजनक प्रक्रिया नहीं है.
यहां बताई गई हर एक रुकावट में एक मानवीय जुड़ाव दिखता है—जिसके बारे में रीसाइकलिंग की प्रक्रिया में बात नहीं होती और वह है: भावनाएं.
बॉर्न कहते हैं, “जब रीसाइकलिंग की बात आती है, तो अक्सर बातचीत सिर्फ़ इस बारे में होती है कि प्रॉडक्ट को तोड़ने और उसमें मौजूद सामग्री को अलग-अलग करने के लिए, किस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है. इनमें से किसी भी विषय की बात तब तक अहमियत नहीं रखती, जब तक उपभोक्ता अपने डिवाइसों को रीसाइकल होने के लिए न भेजें.”
हमारी रिसर्च से, यह बात साफ़ हो गई है कि ऊपर बताई गई बाधाओं या रुकावटों को दूर करने के लिए, भावनात्मक दृष्टिकोण की ज़रूरत है, ताकि उपभोक्ता रीसाइकलिंग के लिए अपने डिवाइस भेज सकें.
Retrievr आपके घर तक
अनिश्चितता और कार्रवाई नहीं होने के एहसासों को काबू करने के लिए, पायलट प्रोजेक्ट का पहला चरण घर-घर से कलेक्शन करने पर केंद्रित है. Retrievr, उपयोगकर्ता के लिए आसान ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम की सुविधा देता है. इससे लोगों को अपने ई-कचरे के बारे में बताने और उसे उठाने के लिए, एक तय समय चुनने में मदद मिलती है. पार्टनर ब्रैंड से मिले पैसों की मदद से, Retrievr पायलट प्रोजेक्ट के दौरान, इस सुविधा को बिना किसी शुल्क के लागू कर पाया है.
Retrievr के सीईओ कबीरा स्टोक्स का कहना है, "हमें खुशी है कि इस पायलट कार्यक्रम को लॉन्च करने के लिए, हमें टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की कुछ दिग्गज कंपनियों का साथ मिल पाया. हम सभी सहमत हैं कि अगर साथ मिलकर काम किया जाए, तो हम पर्यावरण से जुड़ी ई-कचरे की इस अहम समस्या को हल करने के काफ़ी करीब होंगे. इन ब्रैंड ने इस मिशन में, सचमुच हमारी मदद करने के लिए कदम बढ़ाए हैं."
बॉर्न ने आगे कहा, "आम तौर पर, हमारी अर्थव्यवस्था में कचरा इकट्ठा करने पर प्रमुखता से ध्यान नहीं दिया जाता. स्थानीय सरकारों को इसका ध्यान रखना चाहिए. इसमें ई-कचरा या कोई भी अन्य कचरा शामिल हो सकता है."
हालांकि, दिक्कत यह है कि स्थानीय सरकारें, ग्राहकों को लुभाने के लिए ज़रूरी उपयोगकर्ता अनुभव देने या सेवाएं तैयार करने में सक्षम नहीं होती हैं.
बॉर्न ने कहा, "ग्राहक से डील करने वाले प्रमुख ब्रैंड के तौर पर, हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रॉडक्ट और सेवाएं, लोगों के बीच कैसे अपनी जगह बनाती हैं. हमारे पास कम्यूनिकेशन, फ़ायदों, और सुविधा देने वाले फ़ीचर तैयार करने का अनुभव है. इससे ग्राहकों के लिए, कचरे को सप्लाई चेन में दोबारा शामिल करना आसान हो सकता है. इस तरह इनसे काम की चीज़ें दोबारा बनाई जा सकती हैं.”
जागरूकता फैलाने वाले शुरुआती कैंपेन के साथ, इस कार्यक्रम को अभी चलाया जा रहा है. फ़रवरी, 2022 तक की स्थिति के अनुसार, डेनवर के निवासी Retrievr.com/Denver पर जाकर, ऑनलाइन अपना पिकअप शेड्यूल कर सकते हैं.
एक-दूसरे के साथ बेहतर ढंग से काम करने वाली सप्लाई चेन बनाने के लिए, उद्योग के बीच आपसी सहयोग के भविष्य की नींव तैयार करना
कार्यक्रम के आगे बढ़ने के साथ, हमें उम्मीद है कि हम इलेक्ट्रॉनिक्स रीसाइकलिंग में भागीदारी बढ़ाने के लिए, इस काम से जुड़े सबसे सही तरीकों के बारे में सीखेंगे. हम इस जानकारी को सरकारी समूहों, नगर निगमों, और अन्य टेक्नोलॉजी ब्रैंड के साथ शेयर करेंगे.
यह पायलट प्रोजेक्ट, इन ब्रैंड के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की रीसाइकलिंग के लिए, हमारी पहली साझा कोशिश है. हमारा मानना है कि यह इस तरह मिलकर काम करने की बस एक पहल है. इससे, इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को रीसाइकल किए जाने को बढ़ावा देने में आने वाली चुनौतियों को दूर किया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद है कि हम दुनिया भर में फैली खूबसूरत प्राकृतिक जगहों को खनन से हो रहे ग़ैर-ज़रूरी नुकसान से बचाएं. इससे संसाधनों को आने वाली कई पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है.