पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट

आप जितना ज़्यादा जान सकते हैं उतना बेहतर: पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी का इस्तेमाल, उसे बेहतर बनाने के लिए करना

सितंबर 2018

कार्बन के बड़े डेटा सेट काे पैमाना मानते हुए, न्यूयॉर्क, बर्लिन, ओस्लो, और रियो डे जेनैरो जैसे अलग-अलग शहरों ने अगले 30 सालाें में अपने कार्बन फ़ुटप्रिंट को 80% तक कम करने का वादा किया है. लेकिन कई छोटे और मध्यम शहरों में, इमारताें से हाेने वाले कार्बन उत्सर्जन का डेटा इकट्ठा करने वाले संसाधनों की कमी है. इस वजह से इन शहराें में कार्बन उत्सर्जन काे कम करने की याेजना बनाने में मुश्किल आती है.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) एक ऐसा ऑनलाइन टूल है जिसे Google ने ग्लाेबल कवनेंट ऑफ़ मेयर्स फ़ॉर क्लाइमेट ऐंड एनर्जी (GCoM) के साथ मिलकर बनाया है. यह टूल बड़े शहराें में हाेने वाले कार्बन उत्सर्जन के बारे में जानकारी देने और छाेटे शहराें के लिए भी इससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने के लिए बनाया गया है. साथ ही, इसकी मदद से आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में तेज़ी लाने की भी काेशिश है.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) का अपने-आप जानकारी इकट्ठा करने वाला इंटरफ़ेस पाँच श्रेणियाें में डेटा दिखाता है. इसमें इमारताें और वाहनाें से हाेने वाले कार्बन उत्सर्जन का और इस बात का डेटा शामिल हाेता है कि किसी शहर में कितनी साैर ऊर्जा पैदा की जा सकती है.
पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) का अपने-आप जानकारी इकट्ठा करने वाला इंटरफ़ेस पाँच श्रेणियाें में डेटा दिखाता है. इसमें इमारताें और वाहनाें से हाेने वाले कार्बन उत्सर्जन का और इस बात का डेटा शामिल हाेता है कि किसी शहर में कितनी साैर ऊर्जा पैदा की जा सकती है.

Google Earth Outreach टीम ने पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) काे बनाया है. यह टूल Google Maps के डेटा का इस्तेमाल करके वातावरण से जुड़ी ज़रूरी जानकारी देता है. पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) इस जानकारी को तीसरे पक्ष के डेटा और ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन से जुड़े मानकाें के साथ जोड़ता है. इससे पूरी दुनिया के शहराें में हाेने वाले कार्बन के उत्सर्जन और इसे कम करने की संभावनाएं देखी जाती हैं. पहले किसी जगह के डेटा सेट को इकट्ठा करने के लिए, उस जगह जाना पड़ता था, लेकिन अब पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) की मदद से किसी भी डेटा सेट का आकलन वर्चुअल तरीके से किया जा सकता है. इससे शहराें में कार्बन उत्सर्जन काे घटाने में आ रही मुश्किलें कम हुई हैं.

GCoM के ग्लोबल सेक्रेटेरियट की कार्यकारी निदेशक अमांडा आइशेल कहती हैं, "कुछ बड़े और प्रमुख शहरों में इन्वेंट्री बनाने के लिए उत्सर्जन का डेटा आसानी से मिल जाता है." बता दें कि जीकॉम एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है जिसमें करीब 10,000 शहर और वहां के स्थानीय प्रशासन शामिल हैं. इसे जलवायु परिवर्तन से लड़ने के मकसद से बनाया गया है. आइशेल के मुताबिक, "इनमें से ज़्यादातर शहर, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ऐसी प्रक्रिया पर खर्च नहीं कर सकते जिसमें ज़्यादा समय और पैसा लगता है. इनमें छोटे से लेकर मध्यम शहर और दुनिया के विकासशील क्षेत्र शामिल हैं. देखा जाए, तो जलवायु परिवर्तन पर हुए पैरिस समझौते के मुताबिक सबसे ज़्यादा काम इन ही जगहाें पर हाेगा. यही वजह है कि पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) को एक बड़े मौके के रूप में देखा जाना चाहिए.”

शहराें की मौजूदा इन्वेंट्री को देखें, तो इस बात को समझा जा सकता है. अब तक, 9,500 शहरों ने पैरिस समझौते का पालन करने का वादा किया है. इस समझाैते के तहत, जीवाष्म ईंधन पर निर्भरता को खत्म करने के लिए एक औपचारिक योजना और टाइमलाइन बनाई गई है. लेकिन, उन शहरों में से सिर्फ़ 65% के पास ऐसी इन्वेंट्री हैं जिनमें इमारताें और परिवहन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन जैसी जानकारी शामिल है. काफ़ी कम शहरों के पास पूरी इन्वेंट्री है. इमारताें और परिवहन से होने वाले उत्सर्जन के इस डेटा काे ईआईई देगा. इससे शहरों को उत्सर्जन के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए एक आधार मिलेगा और फिर यहां से इसे आगे बढ़ाया जाएगा.

तुरंत कार्रवाई करने के लिए बनाया गया डेटा

पिछले एक दशक से हम जलवायु परिवर्तन, संसाधन बचाने, और हवा की क्वॉलिटी जैसे विषयों पर काम कर रहे शोधकर्ताओं और सरकारों को, Google के सैटलाइट मैप करने वाले टूल और डेटा विश्लेषण उपलब्ध करा रहे हैं. वैज्ञानिक ताैर पर जुटाए गए डेटा से, जिम्मेदार लाेगाें काे सही फैसला लेने की ताकत मिलती है.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) की मदद से, हम अलग-अलग क्षेत्र पर उत्सर्जन के असर को समझने के लिए इन ही नियमाें को लागू कर रहे हैं.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) को, आसानी से डेटा इकट्ठा करने के लिए बनाया गया है. इससे शहर, कुछ क्लिक में ही अपने मौजूदा डेटा की इन्वेंट्री बना सकते हैं. पूरी इन्वेंट्री होने पर, शहरों के पास सबसे सटीक जानकारी वाला डेटा होता है. इसकी मदद से ही आगे की नीतियां बनाई जाती हैं. साथ ही, प्रगति का अंदाज़ा लगाया जाता है. बेहतर डेटा इन्वेंट्री वाले शहराें के लिए भी ईआईई का डेटा काम आ सकता है, क्याेंकि यह सबसे नए कार्बन फ़ुटप्रिंट के आंकड़ों की पुष्टि करने के साथ, इसे बेहतर तरीके से दिखाने में मददगार हाेता है.

शुरुआत में, हमने डेटा को चार तरह से बांटा है: इमारताें से उत्सर्जन, परिवहन उत्सर्जन, सौर ऊर्जा क्षमता, और अगले 20 साल के जलवायु का अनुमान. उदाहरण के लिए, "इमारताें से उत्सर्जन" पर क्लिक करने से, एक रंगीन मैप दिखता है, जिसमें आप घरों और कारोबारी इमारताें से होने वाले उत्सर्जन को देख सकते हैं.

इसमें सामान्य से खास तक सभी तरह के आंकड़े माैजूद होते हैं. जैसे कि अलग-अलग तरीकाें से होने वाले उत्सर्जन का प्रतिशत, जिस समयावधि के लिए डेटा निकाला गया, और इससे जुड़े ज़रूरी अनुमान. साइट पर उत्सर्जन को कम करने के तरीकाें जैसी दूसरी ज़रूरी जानकारी भी है. उपयोगकर्ता, उत्सर्जन से जुड़ा अलग-अलग डेटा देख सकते हैं. इसके लिए उपयोगकर्ता, उत्सर्जन के तरीकों, समयावधि, और दूसरी चीज़ों को अपने हिसाब से बदल सकते हैं.

आप साइट काे जितना एक्सप्लाेर करते हैं, कार्बन उत्सर्जन का डेटा उतना सटीक हाेता जाता है.
आप साइट काे जितना एक्सप्लाेर करते हैं, कार्बन उत्सर्जन का डेटा उतना सटीक हाेता जाता है.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) का कई चीज़ाें के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. नीति बनाने वाले, योजना बनाने वाले, और शोध करने वाले लाेगाें को जानकारी देने के अलावा शहर के लिए उत्सर्जन की नीतियां, डेटा से खास परियोजनाओं में मदद मिल सकती है. उदाहरण के लिए, ऐसा शहर जहां परिवहन के लिए नई लाइन शुरू की गई है, वह इस बारे में जानकारी पा सकता है कि इस लाइन का शहर के उत्सर्जन पर क्या असर होगा. इस जानकारी की मदद से यह तय किया जा सकता है कि इस परियोजना को आगे बढ़ाना चाहिए या इसे पूरी तरह से बदल देना चाहिए.

पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE), जिसे सितंबर 2018 में लॉन्च किया गया था, वह बीटा प्रोजेक्ट के तहत कुछ शहरों से शुरुआत कर रहा है. इन चुनिंदा शहरों में मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया, बूएनेस आइरेस, अर्जेंटीना, विक्टोरिया, कैनेडा, पिट्सबर्ग, और पेन्सिलवेनिया शामिल हैं. साथ ही, माउंटेन व्यू, कैलिफ़ोर्निया भी शामिल है, जहां Google का ग्लोबल हेडक्वार्टर है. छोटे स्तर पर शुरुआत करके, हम शहरों से मिले सुझावों के हिसाब से आकलन कर सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि हमारा डेटा किस तरह उनके लिए काम का साबित हो. इस समय Google की योजना है कि पर्यावरण से जुड़ी यह जानकारी, दुनिया भर के हज़ारों नगरों, शहरों, और इलाकों तक पहुंचाई जाए.

जानकारी में आ रही कमी को साथ मिलकर दूर करना

ईआईई की शुरुआत Google के, जलवायु से जुड़े दूसरे प्रोजेक्ट से हुई. इनमें Project Air View और Project Sunroof शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट ने मिलकर शहरों में कार्बन के प्रभाव से जुड़ी ऐसी बहुत सारी कैश मेमोरी तैयार की जिसमें बेहतरीन क्वालिटी का डेटा शामिल था. हमने महसूस किया कि यह एक ऐसी जानकारी थी जिसकी मदद से नीतियां बनाने वाले, शहर के अधिकारी, और दूसरे लोग साथ मिलकर इस दिशा में आगे कदम बढ़ा सकते हैं. असरदार तरीके से ऐसा करने के लिए, हमें इस जानकारी को रॉ डेटा के ऐसे पैकेज में बदलना ज़रूरी था जो काम में लाए जा सकें. साथ ही, आसानी से इस्तेमाल किए जा सकें.

ऐसा हम अकेले नहीं कर सकते थे, इसलिए हमने सही पार्टनर की तलाश शुरू की. GCoM (जिसकी स्थापना ब्लूमबर्ग फ़िलैंथ्रोपी और यूरोपियन कमीशन की मदद से ग्लोबल सिटी नेटवर्क ने की है) भी उसी व्यापक डेटा को इकट्ठा कर रहा था, जिसे हम लोगों तक पहुंचाना चाहते थे, लेकिन उसके स्रोत और तरीके अलग थे. GCoM के पास पर्यावरण से जुड़ी नीतियों की पेचीदगी के बारे में पूरी जानकारी है. साथ ही, बदलाव और कार्रवाई करने में आने वाली राजनैतिक रुकावटों के बारे में अच्छी तरह से जानता है.

हमारी Google Earth Outreach टीम ने इस प्लैटफ़ॉर्म को बनाने के लिए, Google के साथ काम कर रहे कार्बन अकाउंटिंग विशेषज्ञ, पाइपलाइन सॉफ़्टवेयर इंजीनियर, कहानीकारों, और डेटा विज़ुअलाइज़ेशन गुरुओं को एक साथ लाने का काम किया. हमने Google की डेटा एनालिटिक्स और उपयोगकर्ता अनुभवों में गहरी विशेषज्ञता की मदद ली. साथ ही, Google की बेहतरीन डेटा इन्वेंट्री भी मुहैया कराई.

Google Earth Outreach टीम की लीडर, रिबेका मूर कहती हैं, "GCoM ने डेटा की कमियों को पहचानने का काम किया". वह आगे बताती हैं, “हमने उनके स्टाफ़ से मुलाकात की और घंटों तक उनसे बात की. उन्होंने अलग-अलग शहरों से जुड़ने में हमारी मदद की, ताकि हम उन शहरों में जाकर इस विषय के बारे में गहराई से जान सकें. GCoM ने उस खास जानकारी को जुटाने में हमारी मदद की जिसकी शहरों को ज़रूरत थी.”

जानकारी जुटाने के लिए इस्तेमाल किए गए Google के दूसरे टूल के साथ-साथ, ईआईई डेटा सेट का पता लगाने, उन्हें इकट्ठा करने, और उन्हें अलग करने के लिए इस्तेमाल किया गया तरीका साइट पर देखा जा सकता है. हमने लॉन्च करने के कई महीने पहले, क्वालिटी तय करने की एक प्रक्रिया भी शुरू की थी.

अपने डेटा की, बड़े शहरों की इन्वेंट्री से मिलान करने की एक चुनौती भी हमारे सामने आई. शहरों के डेटा को सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह अलग-अलग तरीके से इकट्ठा किए जाते हैं. GCoM के स्टैंडर्ड रिपोर्टिंग फ़्रेमवर्क के लॉन्च होने के बाद इसमें बदलाव आ रहा है. इस मानक की मदद से, सभी शहर एक सी जानकारी देंगे और यह एक मानक फ़ॉर्मैट में होगी. पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारी खोजने वाला टूल (EIE) का मकसद हर जगह के लिए एक ऐसा स्रोत बनाना है, जिसके लिए एक ही तरीके का इस्तेमाल किया जाए, ताकि हर शहर एक ही स्तर की जानकारी पर काम कर सके. यह खासकर उन शहरों के लिए फ़ायदेमंद होगा, जहां आकलन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए संसाधन नहीं हैं.

Google में, हम यह समझते हैं कि हज़ारों शहरों को बड़े पैमाने पर काम के डेटा सेट मुहैया कराना कोई आसान काम नहीं है. यह एक बहुत लंबी प्रक्रिया की शुरुआत है, लेकिन जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में सिर्फ़ एक अध्याय भर है. इस सफ़र का कोई अंत नहीं है—इसका एक ही मकसद है, काम करते रहने की प्रेरणा देना.

मूर कहती हैं, “सोचिये कि अगर दुनिया का हर शहर, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में शामिल हो जाए, तो हम क्या हासिल कर सकते हैं. “ऐसा होने पर यह दुनिया कैसी दिखाई देगी?”