पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
किसी काम को सिर्फ़ एक बार करना काफ़ी नहीं होता
शायद आप Google के उन एक प्रतिशत से भी कम कर्मचारियों में से एक हैं, जिन्हें डेटा केंद्र में जाने की इजाज़त है. अगर ऐसा है, तो आपको सबसे पहले कैंपस की सुरक्षा गेट पर अपनी पहचान की पुष्टि करवानी होगी, फिर रिसेप्शन पर सुरक्षा स्क्रीनिंग से गुज़रना होगा. फिर, आप एक सुरक्षित बाहरी गलियारे से गुज़रेंगे. उसके बाद आप मल्टीफ़ैक्टर ऐक्सेस कंट्रोल प्रोसेस से होकर निकलेंगे, जिसमें लेंटिकुलर बैज और बायोमेट्रिक्स होते हैं.
आखिर में "फ़्लोर" पर आप खुद को कई सारे सर्वर और मीलों लंबे फ़ाइबर ऑप्टिक्स से घिरा हुआ पाएंगे. नीले रंग की रोशनी के बीच, इन सभी से भिनभिनाने जैसी आवाज़ें आ रही होंगी. नॉर्थ कैरोलिना के लनवार में बना यह डेटा केंद्र और दुनिया की अलग-अलग जगहों पर बने Google के 13 और डेटा केंद्र, सच में डिजिटल युग के दिल की धड़कन हैं. नई इकॉनमी यानी सर्कुलर इकॉनमी पर स्विच करने की Google की कोशिशों के असली सितारे भी यही हैं.
आज कल की अर्थव्यवस्था सीधी चलती है: यह एक जगह से शुरू होती है और दूसरी जगह पर खत्म. कंपनियां बहुत मेहनत करके सामग्री इकट्ठा करती हैं, इन सामग्रियों को उत्पाद का रूप देती हैं, और उस उत्पाद को इस्तेमाल करने वालों तक पहुंचाती हैं. लेकिन, इस्तेमाल के बाद आखिरकार ये कचरे के डिब्बे में ही फेंक दिए जाते हैं. इस सिस्टम में बदलाव लाना होगा. हमारी धरती एक साल में जितने संसाधन पैदा कर सकती है, 2017 में उसके मुकाबले मांग 1.7 गुना ज़्यादा थी. इसका मतलब है कि जल्द ही सीधा चलने वाला इकॉनमी मॉडल खतरे के निशान पर पहुंच जाएगा.
सर्कुलर इकॉनमी मॉडल में चीज़ों को फिर से इस्तेमाल और जनरेट किया जा सकता है. सर्कुलर इकॉनमी में उत्पाद, पुर्ज़े, और सामग्रियां इस तरह बनाई जाती हैं जिससे कि इस्तेमाल के बाद उन्हें फिर से वापस बनाया जा सके - वे इस तरह तैयार किए जाते हैं कि उनकी मरम्मत की जा सके या आसानी से नए जैसा किया जा सके. साथ ही, रीसाइकिल या दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया जा सके. Google के सप्लाई चेन मैनेजर, क्रिस एडम बताते हैं, “मज़बूत सर्कुलर इकॉनमी की शुरुआत डिज़ाइन के स्तर पर ही हो जाती है.” “हमारे सामने चुनौती है कि शुरुआत से उत्पादों को इस तरह बनाया जाए और तकनीकों को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि उन्हें दोबारा जनरेट किया जा सके और उनकी परफ़ॉर्मेंस से भी समझौता न हो.”
एलन मैकआर्थर फांउडेशन (गैर-लाभकारी संस्था) के साथ साझेदारी के केंद्र में, Google की लंबे समय से चली आ रही वे कोशिशें हैं जिनसे उसके डेटा केंद्रों की हर एक चीज़ का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा लिया जा सके. एलन मैकआर्थर फांउडेशन, दुनिया भर में कंपनियों को सर्कुलर इकॉनमी अपनाने और बेशुमार फ़ायदे पाने में मदद करता है. एलन मैकआर्थर फांउडेशन के इयान बैंक्स कहते हैं, "सर्कुलर इकॉनमी के सिद्धांत, डिजिटल इंडस्ट्री के साथ-साथ तमाम सेक्टर को कई नए मौके देते हैं, वह भी मौजूदा संसाधनों के ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल किए बिना."
Google ने Search, Gmail, और YouTube जैसे उत्पाद, अरबों लोगों को 24/7 उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाने वाले डेटा केंद्रों को, एलन मैकआर्थर फांउडेशन टीम के साथ मिलकर विश्लेषण के लिए चुना है. इसकी वजह यह है कि डेटा केंद्रों में आम तौर पर बहुत ज़्यादा सामानों का इस्तेमाल होता है. डेटा केंद्र छोटे शहरों जैसे होते हैं जिनमें सर्वर, ड्राइव, राउटर, और दूसरी चीज़ों की भरमार होती है. बहुत ज़्यादा इस्तेमाल और तकनीक के क्षेत्र में बदलाव की रफ़्तार की वजह से पहले ये कम समय तक ही इस्तेमाल होते थे. उस माहौल में किसी भी चीज़ के बेहतर बनाने से बहुत बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. किसी तरह की पहल या कोशिश को बेहतर तौर पर समझने और उसके असर को मापने के लिए यह बिल्कुल सही जगह थी.
एलन मैकआर्थर फांउडेशन टीम के साथ मिलकर, Google ने अपने डेटा केंद्रों में अपनाए जा रहे सर्कुलर इकॉनमी के तरीकों का विश्लेषण करने के लिए चार रणनीतियां अपनाईं.
रखरखाव: सीधे तौर पर कहा जाए, तो रखरखाव का मतलब है डेटा केंद्र के हर एक सामान का ज़्यादा समय तक इस्तेमाल करना. जब सर्वर की मरम्मत की ज़रूरत होती है, तो ठीक किए जाने वाले हिस्से में ऐसे पुर्ज़ों को लगाया जाता है जो Google के पुराने सर्वर से लिए गए हैं. इससे हार्ड ड्राइव लंबे समय तक इस्तेमाल में रहती है. 2016 में Google ने मशीन अपग्रेड करने के लिए जो पुर्ज़े इस्तेमाल किए थे, उनमें से 22% ऐसे थे जो पुरानी मशीन के थे और उन्हें नए जैसा बनाया गया था.
पुर्ज़ों को नया जैसा करना: Google, शुरुआत से ही पुर्ज़ों को नया जैसा बनाकर इस्तेमाल किए जाने की संभावना को ध्यान में रखता है. इसकी मदद से Google, खुद के सर्वर को मनमुताबिक या दोबारा भी बनाता है. लेकिन किसी भी हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करना बंद करने से पहले, पूरा डेटा ओवरराइट किया जाता है. पूरे डिस्क को रीड (पढ़कर) करके ओवरराइड की पुष्टि की जाती है. इस प्रोसेस से यह पक्का किया जाता है कि किसी भी ग्राहक का कोई भी डेटा हार्ड ड्राइव पर न छूटे. फिर, जिन सर्वर का इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है उन्हें एक नई ज़िंदगी मिलती है—इनके पुर्ज़े अलग-अलग कर लिए जाते हैं (मदरबोर्ड, सीपीयू, हार्ड ड्राइव वगैरह). अलग किए गए पुर्ज़ों की जांच की जाती है. इसके बाद, इन्हें नए जैसे किए गए पुर्ज़े के रूप में इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है. नए जैसे किए गए पुर्ज़ों का इस्तेमाल, दोबारा बनाए गए सर्वर में होता है. ये सर्वर बिल्कुल नई मशीन की तरह काम करते हैं. साल 2016 में Google ने जो सर्वर इस्तेमाल किए उनमें से 36% दोबारा बनाए गए थे. मरम्मत और सर्वर अपग्रेड करने में भी ऐसे पुराने पुर्ज़ों का इस्तेमाल होता है जिन्हें नए जैसा बनाया जाता है.
दोबारा इस्तेमाल: अगर Google को किसी तकनीक से जुड़ी कोई एक चीज़ की ज़रूरत नहीं रही, तो इसका यह मतलब नहीं कि उस चीज़ का कोई मोल नहीं रहा. हर तीन महीने में Google, डेटा केंद्रों के पुर्ज़ों की इन्वेंट्री का मूल्यांकन करता है. अगर ऐसे पुर्ज़ों की इन्वेंट्री बहुत ज़्यादा होती है जिन्हें कारोबारी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, तो उन्हें बांट दिया जाता है. इस्तेमाल न हुए पुर्ज़ों को सेकंडरी मार्केट (पहले इस्तेमाल हो चुकी चीज़ों का बाज़ार) में बेचने से पहले, उनकी कई बार जांच की जाती है. साथ ही, उनका पूरा डेटा मिटा दिया जाता है. क्रिस एडम कहते हैं, “सर्कुलर इकॉनमी ने हमें चीज़ों को दोबारा इस्तेमाल करने के नए रचनात्मक तरीके ढूंढने के लिए बढ़ावा दिया है. हमने बेहतर टूल और प्रोसेस तैयार किए हैं, जो पूरे Google में कहीं भी चीज़ें दोबारा इस्तेमाल किए जाने के मौके तलाश करते हैं. साथ ही, ऐसे सामानों को दोबारा बेचे जाने के नए रास्ते तलाशते हैं, जिन्हें शायद पहले कचरे में फेंक दिया जाता था". पिछले साल, Google ने 21 लाख से ज़्यादा यूनिट बेचीं. इन्हें खरीदने वाले दुनिया के अलग-अलग संगठनों ने इनका बखूबी इस्तेमाल किया.
रीसाइकल: Google, डेटा केंद्रों की पूरी सामग्री रीसाइकल करने को बढ़ावा देता है. ऐसी हार्ड ड्राइव जो दोबारा बेची नहीं जा सकतीं, Google ने उन्हें नष्ट करने के लिए कई चरणों वाली एक प्रक्रिया बनाई है. इस प्रक्रिया को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह पक्का किया जा सके कि हार्ड ड्राइव का डेटा कभी दोबारा ऐक्सेस नहीं किया जा सके. इनमें से एक चरण है "क्रशर" जिसमें ड्राइव के बीचों-बीच स्टील के पिस्टन से छेद किया जाता है, जिससे प्लैटर का आकार बिगड़ जाता है और उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता. इसके बाद ड्राइव को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है और फिर सुरक्षित तरीके से प्रोसेस करने के लिए दूसरे इलेक्ट्रॉनिक कचरे के साथ ही, बची हुई चीज़ें रीसाइकल करने वाले हमारे पार्टनर को भेजी जाती हैं.
सामग्री इस्तेमाल करने के नए तरीके खोजने के वादे के साथ ही, कई रणनीतियों की वजह से 2016 में दुनिया भर में डेटा केंद्रों का लैंडफ़िल डाइवर्ज़न रेट 86% था. वहीं, Google के 14 डेटा केंद्रों का डाइवर्ज़न 100% पहुंच गया.
Google के डेटा केंद्रों में सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में किए गए पहलों से प्राकृतिक संसाधनों को भी कम नुकसान पहुंचता है और कारोबार को भी फ़ायदा होता है. Google नेटवर्किंग प्लानिंग लीड, शोभित राणा कहते हैं, “हम जिस पैमाने पर सामग्री के इस्तेमाल के लिए नए रास्ते ढूंढते हैं और दोबारा इस्तेमाल करते हैं वह बेमिसाल है. इसका सकारात्मक प्रभाव सिर्फ़ पर्यावरण पर ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है.”
डेटा केंद्रों में जारी प्रक्रियाओं के अलावा, Google दुनिया भर में, मौजूदा समय में और आने वाले समय के लिए, सर्कुलर इकॉनमी के मुताबिक कई बदलाव कर रहा है—इसमें, Google के कैफ़े में खाना बेकार होने से बचाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना और अक्षय ऊर्जा खरीदने वाला दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार बने रहना शामिल है.
Google की सस्टेनिबिलिटी टीम की लीड, केट ब्रैंट कहती हैं, “हमारा लक्ष्य Google के इंफ़्रास्ट्रक्चर, कामकाज, और संस्कृति में सर्कुलर इकॉनमी के सिद्धांतों को लाना है.”
“इसका मतलब है कि हम सर्कुलर डिज़ाइन से बर्बादी कम करने के मौके ढूंढेंगे. चाहे बात हमारे डेटा केंद्रों के अवशेष की हो, किचन की हो, हमारे कैंपस की हो या फिर हर उस चीज़ की जो हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में करते हैं.