सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे प्रोजेक्ट जो कॉर्पोरेट की सामाजिक ज़िम्मेदारियों (सीएसआर) को निभाते हैं

Luna Smelter के साथ मिलकर, खनिज को ट्रेस करने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना

नवंबर 2021
खदान की साइट से शिपिंग के लिए तैयार सामान पर मौजूद क्यूआर कोड की इमेज

हम जितने भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, करीब-करीब सभी में टिन मौजूद होता है. यह हमारे स्मार्टफ़ोन या दूसरे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में, किसी गोंद की तरह पुर्ज़ों को आपस में जोड़कर रखता है. यह डिवाइस तक कैसे पहुंचता है? यह बताना एक चुनौती है कि यह टिन किन खदानों और स्मेलटर से आता है और यहां तक पहुंचने के लिए कितने चरणों से गुज़रता है.

ऐसा खनिज की सप्लाई चेन के काफ़ी जटिल हो जाने की वजह से है. यह जटिलता, खनिज की पूरी लाइफ़ साइकल में इससे बने सभी पार्ट और मटीरियल को ट्रेस करना और मुश्किल बनाती है. ऐसा खासकर दूर दराज़ के इलाकों में होता है, क्योंकि अक्सर वहां जानकारी जुटाना मुश्किल होता है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की मदद से, ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सेदार, सप्लाई चेन में आ रही मुश्किलों के बारे में जान पाते हैं. साथ ही, इससे पूरी सप्लाई चेन में पारदर्शिता को बेहतर करने और हिस्सेदारों की ज़िम्मेदारी तय करने में मदद मिलती है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के पायलट प्रोग्राम का पहला चरण—2018 में, Google, Cisco, SGS, Volkswagen, और Minsur ने साथ मिलकर, पेरू में Minsur की सैन रफ़ाएल खान में शुरू किया था. रवांडा के ग्रेट लेक इलाके में, सप्लाई चेन में शुरू से आखिर तक खनिज को ट्रेस करने के लिए, साल 2020 में हमने रवांडा माइन्स, पेट्रोलियम, ऐंड गैस बोर्ड, बर्लिन की स्टार्टअप कंपनी Minespider, रिस्पॉन्सिबल मिनरल्स इनिशिएटिव (आरएमआई), और रवांडा की LuNa Smelter के साथ दूसरे चरण के पायलट प्रोग्राम के लिए पार्टनरशिप की. LuNa Smelter, पर्यावरण और लोगों को ध्यान में रखकर किए गए खनन से मिलने वाले अच्छी क्वालिटी के टिन का प्रोडक्शन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. साथ ही, यह अफ़्रीका की अकेली ऐसी टिन स्मेलटर कंपनी है जो आरएमआई के रिस्पॉन्सिबल मिनरल्स ऐश्योरेंस प्रोसेस (आरएमएपी) के मुताबिक काम करती है.

इसमें शामिल सभी कंपनियां आरएमआई इकोसिस्टम का हिस्सा हैं. इनमें, Google, Cisco, और Volkswagen, आरएमआई के सक्रिय सदस्य हैं, Minsur और Luna RMAP के मुताबिक काम करने वाली स्मेलटर कंपनियां हैं, और SGS, आरएमआई से मंज़ूरी पा चुकी ऑडिट फ़र्म है. Minespider के ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करने से, हमारे पायलट प्रोग्राम में खनिजों को ट्रैक करने में मदद मिली. इसकी मदद से हम, खनिजों को खदान से लेकर उपभोक्ता तक, वैल्यू चेन में हर टचपॉइंट पर ट्रैक कर पाए.

पेरू में चलाए गए पायलट प्रोग्राम से जो कुछ हमने सीखा उससे हमें रवांडा के पायलट प्रोग्राम के लक्ष्य तय करने में मदद मिली. हमारा पहला लक्ष्य Minespider के OreSource टूल का आकलन करना था, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इससे, हम यह जानना चाहते थे कि इस टूल से, स्मेलटर और खनन से जुड़ी कंपनियों को ग्लोबल नियमों के मुताबिक काम करने में आसानी होती है या नहीं. इनमें, खनिजों से जुड़े यूरोपियन यूनियन के नए नियम भी शामिल हैं. हमारा दूसरा लक्ष्य इस बात की जांच करना था कि खनिज को ट्रेस करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे अलग-अलग डिजिटल टूल के बीच जानकारी का लेन-देन हो पा रहा है या नहीं. साथ ही, यह देखना था कि इनमें इंटरऑपरेबिलिटी (टूल का एक-दूसरे के साथ काम करना) है या नहीं और कई प्लैटफ़ॉर्म पर चल रहे काम के बावजूद डेटा प्राइवेसी बनी रहती है या नहीं. तीसरा लक्ष्य यह दिखाना था कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की मदद से, Minsur की सैन रफ़ाएल खदान जैसी बड़ी और नामी खदान से लेकर, कम संसाधनों वाली आर्टिज़नल खदानों (छोटी खदानें, जहां आम तौर पर हाथ से इस्तेमाल होने वाले टूल से खनन किया जाता है) से निकलने वाले खनिज को भी ट्रेस किया जा सकता है.

LuNa Smelter के निगरानी बोर्ड की सदस्य एलेक्ज़ेंड्रा कोलेवा कहती हैं, “OreSource जैसे टूल से ऐसी खदानों को मदद मिल सकती है जहां लोगों और पर्यावरण के हितों को ध्यान में रखते हुए खनन किया जाता है. साथ ही, इसकी मदद से, सप्लाई चेन में अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम काम कर रहे हिस्सेदारों के बीच सीधा लिंक बन जाता है, जिससे उन समुदायों पर भी अच्छा असर पड़ेगा, जिसके लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है.”

आरएमआई की मदद से सप्लाई चेन के कई हिस्सों को साथ लाने में मदद मिलती है. आरएमआई में स्टैंडर्ड्स ऐंड एश्योरेंस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर मरियाना स्मिरनोवा कहती हैं, “आरएमआई, पूरी वैल्यू चेन में किसी मटीरियल को ट्रेस करने में भरपूर मदद करता है. साथ ही, आरएमआई यह मानता है कि इस प्रोसेस में आर्टिज़नल या छोटी खदानों को शामिल करना भी काफ़ी ज़रूरी है.” “इसके अलावा, आरएमआई OreSource ब्लॉकचेन में और सहायता करने के लिए 'आरएमएपी के मुताबिक काम करने का स्टेटस' शामिल करना चाहता है.”

रवांडा के किगाली में, LuNa Smelter में काम कर रहा कर्मचारी
रवांडा के किगाली में, LuNa Smelter में टिन की ईंट का प्रोडक्शन.

नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए खनिज के खनन से जुड़ी नीतियों के मुताबिक खनन करना

जिन खदानों से टिन और दूसरी धातुओं को निकाला जाता है वहां ज़िम्मेदारी से खनन किए जाने से जुड़ी नीतियों का पालन ज़रूर किया जाना चाहिए. यह ध्यान देने वाली बात है कि यूरोपियन यूनियन ने 2021 में कॉन्फ़्लिक्ट मिनरल्स रेग्युलेशन लागू किया. यह रेग्युलेशन, 2010 में पास किए गए डॉड–फ़्रैक वॉल स्ट्रीट रिफ़ॉर्म और कंज़्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट से मिलता-जुलता है. इस ऐक्ट से अमेरिका में काम कर रही ऐसी कंपनियों को कंट्रोल किया जाता है जिनके शेयर सार्वजनिक तौर पर खरीदे-बेचे जा सकते हैं.

सुरक्षा के इन उपायों का मकसद उन खनिजों को सप्लाई चेन से दूर रखना है जो नीतियों का पालन न करते हुए, संघर्ष वाले इलाकों से निकाले गए हैं. साथ ही, इनका मकसद, मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों को कम करना है. इसमें, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, जबरन काम कराना, समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन करना और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने जैसे मामले भी शामिल हैं.

सुरक्षा के इन उपायों को बनाना और मज़बूत ड्यू डिलिजेंस (कंपनियों का कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम) काफ़ी ज़रूरी है. हालांकि, इसमें कई चुनौतियां भी हैं, जैसे: ज़्यादा प्रोडक्शन की ललक कम करने वाले टैक्स और नीतियों के पालन के लिए ढेर सारे दस्तावेज़ देने की ज़रूरत से, सप्लायर निराश हो सकते हैं. ड्यू डिलिजेंस की कोशिशों से जुड़े खर्चों की वजह से, छोटी खदानों में काम करने वाले लोग अलग-थलग पड़ सकते हैं.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना. ब्लॉकचेन लेजर टेक्नोलॉजी, आभासी मुद्रा में इस्तेमाल की वजह से चर्चा में आई थी. इसकी मदद से, अलग-अलग स्तरों पर, सप्लाई चेन में हुए लेन-देन का रिकॉर्ड रखा जा सकता है. साथ ही, इस रिकॉर्ड की पुष्टि की जा सकती है और इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ को रोका जा सकता है. यह स्थायी होता है और इसे सार्वजनिक तौर पर ऐक्सेस किया जा सकता है. इसके अलावा, इससे डेटा और बौद्धिक संपत्ति की सुरक्षा भी काफ़ी बढ़ जाती है. OreSource टूल का इस्तेमाल करते हुए चलाए गए पायलट प्रोग्राम के दूसरे चरण में ब्लॉकचेन टूल की जांच की गई. इसका मकसद यह जानना था कि टूल खदानों, स्मेलटर, और कारोबारियों को खनन से जुड़ी नीतियों का पालन करने के आसान तरीके उपलब्ध कराने में कितना कारगर है.

Minespider के संस्थापक नेथन विलियम्स इस टेक्नोलॉजी को रूस की नेस्टिंग डॉल जैसा मानते हैं. नेस्टिंग डॉल ऐसी गुड़िया होती है जिसमें एक के बाद एक, बड़ी गुड़िया के अंदर छोटी और उससे छोटी कई गुड़िया रखी जा सकती हैं. ब्लॉकचेन में अपलोड किए गए डेटा में, इनवॉइसों की एक निजी लेयर और मटीरियल की कस्टडी की चेन से जुड़े दस्तावेज़ों के साथ ही अन्य संवेदनशील जानकारी होती है. इस डेटा को, सप्लाई चेन का सिर्फ़ अगला संगठन ही देख सकता है. सप्लाई चेन के दूसरे संगठन सिर्फ़ यह देख सकते हैं कि दस्तावेज़ मौजूद हैं या नहीं. हालांकि, वे दस्तावेज़ों को देखने के लिए सीधे मालिक से अनुरोध कर सकते हैं. इस बात की पुष्टि करने के लिए कि उन्हें खनिज कहां से मिला, कंपनियां स्प्रेडशीट, वीडियो, और अन्य दस्तावेज़ भी अपलोड कर सकती हैं.

विलियम्स कहते हैं, “यह डेटा अहम है और इससे पहले इसे सप्लाई चेन में शेयर नहीं किया जाता था.” “अगर एक बार सप्लाई चेन में तीन या चार कंपनियां शामिल हो जाती हैं, तो इसे ट्रैक करना काफ़ी जटिल हो जाता है.”

जब LuNa, टिन या टिन वाले दूसरे प्रॉडक्ट को शिप करना चाहती है, तो यह क्यूआर कोड को प्रिंट करने के लिए OreSource टूल का इस्तेमाल करती है. इसके बाद, इस क्यूआर कोड को शिपिंग के लिए तैयार सामान पर लगा दिया जाता है. सप्लाई चेन की डाउनस्ट्रीम में, जांच करने वाले लोग इस कोड को स्कैन करते हैं. इससे, वे टिन के अब तक के सफ़र से जुड़े डेटा को ऐक्सेस कर पाते हैं.

कोलेवा कहती हैं कि क्यूआर कोड से शिपमेंट में शामिल सामान की जानकारी मिल जाती है. जैसे, उसका वज़न, मटीरियल की क्वालिटी, ईटों की संख्या, और स्मेलटर का स्टेटस कि वह नीतियों के मुताबिक काम करता है या नहीं. क्यूआर कोड से पता चल सकता है कि प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल किया गया खनिज कहां से आया. साथ ही, इससे उन खदानों और वहां खनन करने वाले समुदायों से जुड़ा डेटा भी मिल जाता है. प्रोजेक्ट के अगले चरण में, LuNa लेज़र की मदद से सीधे धातु पर क्यूआर कोड बनाएगी.

खनिज को ट्रेस करना, हमेशा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है

हमारे प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के लिए, LuNa बिल्कुल सही कंपनी थी. Luma Holding ने 2018 में LuNa को खरीदा और इसे बेहतर बनाने के लिए इसमें कई बदलाव किए. LuNa को पर्यावरण और समाज से जुड़ी ज़िम्मेदारियां निभाने के लिए जाना जाता है. इसका फ़ोकस, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और कम विकसित समुदायों के विकास पर रहता है. जब LuNa ने रवांडा में काम शुरू किया, तब कंपनी ने ड्यू डिलिजेंस को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया. खास तौर पर, उसने खनिजों को डिजिटल तरीके से ट्रेस करने की दिशा में काफ़ी मेहनत की.

रवांडा के किगाली में, टिन के अयस्क से ईंट बना रहे LuNa Smelter के कर्मचारी
रवांडा के किगाली में, टिन के अयस्क से ईंट बना रहे LuNa Smelter के कर्मचारी.

कोलेवा कहती हैं, “हम इस इंडस्ट्री में इस्तेमाल किए जा रहे सबसे सही तरीके अपनाने और पूरी ज़िम्मेदारी के साथ खनन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.” “अपनी सप्लाई चेन की ड्यू डिलिजेंस, शुरू से ही हमारी प्राथमिकता रही है.” पायलट प्रोग्राम का हिस्सा बनने के बाद LuNa इसे और बेहतर कर पा रही है.

आने वाले समय में, हो सकता है कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से मटीरियल के हर ग्राम का रिकॉर्ड रखा जा सके. साथ ही, यह तकनीक छोटी खदानों समेत हर खदान का डेटा रखने में मदद कर सकती है.

कोलेवा कहती हैं, “खनिज को ट्रेस करने को लेकर की जा रही इन कोशिशों में सबको शामिल करना अहम है. खासकर, अफ़्रीका में ऐसा किया जाना बेहद ज़रूरी है.” “वहां आर्टिज़नल खदानों में काम करने वाले काफ़ी लोग हैं, जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता. उन्हें भी इस प्रोसेस में सक्रिय तौर पर भागीदार बनाना होगा.”

बड़ी सप्लाई चेन से छोटी कंपनियों को जोड़ना

कोलेवा कहती हैं कि बड़ी कंपनियों के पास बड़ा बजट होता है, ज़्यादा जानकारी होती है, और उनके लिए खनिज के खनन से जुड़ी नीतियों का पालन करना आसान होता है. Minespider के टूल जैसी सेवाओं से, अब छोटी कंपनियां भी ऐसा कर पा रही हैं.

संघर्ष से प्रभावित इलाकों में ऐसी कई छोटी आर्टिज़नल खदानें हैं जो लोगों और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन करती हैं, लेकिन वे इससे जुड़ी जानकारी नहीं दिखा पातीं कि उन्होंने धातु का खनन ज़िम्मेदारी के साथ किया है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है और वह ज़रूरी जानकारी दी जा सकती है जिसकी मदद से उन खदानों को बड़ी सप्लाई चेन से जोड़ा जा सके.

विलियम्स कहते हैं, “हम प्रोसेस को ज़्यादा पारदर्शी बनाने और ड्यू डिलिजेंस से जुड़ी अहम जानकारी को शामिल करने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन हम नहीं चाहते कि इससे किसी पर आर्थिक बोझ बढ़े."

वह कहते हैं कि अगले चरण में ज़्यादा से ज़्यादा खदानों में OreSource टूल का इस्तेमाल कराने पर ध्यान दिया जाएगा, खासकर छोटी खदानों में. इससे यह देखा जा सकेगा कि इस टूल के इस्तेमाल का दायरा बढ़ाने पर यह कैसा काम करता है. वह कहते हैं कि इसके बाद, इस टूल का इस्तेमाल कोबाल्ट और सोने जैसी दूसरी धातुओं के लिए भी किया जाएगा. विलियम्स कहते हैं कि इस टूल में कंपनियां काफ़ी दिलचस्पी दिखा रही हैं.

LuNa, 200 टन से ज़्यादा टिन रवांडा की खदानों से निकाल कर ग्लोबल मार्केट में ला चुकी है. इस काम में, Luna ने Minespider के जनरेट किए गए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया है, जिसकी मदद से खनिज के पूरे सफ़र के बारे में बताया जा सकता है. कोलेवा कहती हैं, “मेरा मानना है कि हम दिखा रहे हैं कि ज़िम्मेदारी के साथ खनन कैसे किया जा सकता है और ऐसा करना मुमकिन है.” “यह टिन के उत्पादन की एक नई दुनिया है और हमें खुशी है कि हम इसका हिस्सा हैं.”