पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
पॉज़िटिव एनर्जी: बेल्जियम का वह क्षेत्र जो सौर ऊर्जा का ऑन-साइट इस्तेमाल करने वाला, Google का पहला डेटा सेंटर बना
आप तब क्या करेंगे, जब आपका डेटा सेंटर कम ऊर्जा का इस्तेमाल करता है, जबकि यह पहले से ही दुनिया में सबसे ज़्यादा ऊर्जा की बचत करने वाली जगहों में से एक है? साफ़ तौर पर, आप खुद अपनी ऊर्जा पैदा करना शुरू करेंगे.
बेल्जियम के सेंट-गिस्लां में मौजूद, Google के डेटा केंद्र के इंजीनियर इसी नतीजे पर पहुंचे थे. ये इंजीनियर 2016 में, बेल्जियम सरकार के साथ हुए वॉलंटरी समझौते के तहत कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के तरीकों पर काम कर रहे थे.
2009 में शुरू की गई, सेंट-गिस्लां साइट में फ़सिलिटी मैनेजर के तौर पर काम कर रहे एलेन डिप्रेज़ बताते हैं, “हम हर साल ऊर्जा के कम इस्तेमाल से जुड़ा प्रोजेक्ट सबमिट करते हैं, लेकिन हम पहले से ही काफ़ी कम ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे थे.” “हम अपने सर्वर को मकैनिकल चिलर का इस्तेमाल किए बिना ठंडा करते हैं और अपनी इमारतों को मोशन से कंट्रोल की जाने वाली एलईडी लाइटिंग से रोशन करते हैं. इसके अलावा, हम अपने उपकरण को तब तक चालू नहीं करते, जब तक ऐसा करना बिल्कुल ज़रूरी न हो जाए. इसलिए, हमें अपने ऊर्जा के प्रभाव को कम करने के लिए दूसरे तरीके खोजने पड़े.”
डिप्रेज़ और उनके इंजीनियरों ने साइट के ऊर्जा स्रोत की समस्या को हल करने का फ़ैसला लिया. इसके लिए, उन्होंने 2.8 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाने का सुझाव पेश किया, ताकि साइट पर ही अक्षय ऊर्जा पैदा की जा सके. साथ ही, इस ऊर्जा का इस्तेमाल, डेटा केंद्र कैंपस में हर साल इस्तेमाल की जाने वाली ग्रिड एनर्जी के एक प्रतिशत की जगह किया जा सके. अक्टूबर 2017 में लॉन्च किए गए 10,665 फ़ोटोवोल्टेइक सोलर पैनल, जो प्लांट की ज़मीन पर लगाए गए, उन्होंने बेल्जियन ग्रिड पर मांग को कम किया और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई. इससे अपनी इच्छा से किए गए करार के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिली. साथ ही, इलाके में अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता भी आई.
यह Google का पहला प्रोजेक्ट था. हालांकि, हम दुनिया में अक्षय ऊर्जा के सबसे बड़े कॉर्पोरेट खरीदार हैं—2017 में, हमने अपने ऑपरेशन में खर्च होने वाली बिजली के लिए, खरीदी गयी अक्षय ऊर्जा का 100% इस्तेमाल करना शुरू कर दिया—सेंट-गिस्लां सोलर प्लांट किसी डेटा सेंटर साइट पर बनाई गई हमारी पहली सोलर फ़ैसिलिटी है.
ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए पहल करना
हम काफ़ी समय से अपने डेटा सेंटर में ऊर्जा के बेहतर इस्तेमाल के लिए पहल करते आ रहे हैं. एडवांस कूलिंग सिस्टम, स्मार्ट टेंपरेचर कंट्रोल, और मशीन लर्निंग जैसे टूल और तकनीकों का इस्तेमाल करके, हमने दुनिया भर में अपने डेटा केंद्रों में साल भर में खर्च होने वाली बिजली के प्रभाव (पीयूई) के औसत को 1.11 तक कम कर दिया है. जबकि, इंडस्ट्री में इसका औसत 1.7 है.1 इसका मतलब है कि हमारे डेटा सेंटर में रोशनी करने, उपकरणों को ठंडा करने, और बिजली के वितरण जैसी चीज़ों में ओवरहेड ऊर्जा का इस्तेमाल दूसरे डेटा केंद्रों की तुलना में करीब छह गुना तक कम होता है.
2017 में, हमारे सेंट-गिस्लां डेटा केंद्र का औसत पीयूई (ऊर्जा के सही इस्तेमाल का डेटा) 1.09 था, जो Google के सभी डेटा केंद्रों के सबसे अच्छे औसत में से एक था. ऐसा इसलिए हो पाया, क्योंकि साइट ने ऊर्जा और संसाधनों को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के लिए कई नए प्रयोग किए. जैसे हमारे कई डेटा केंद्रों की तरह, इस साइट में हमारे सर्वर को ठंडा करने के लिए पानी के वाष्पीकरण का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, कूलिंग टॉवर में पीने के पानी की जगह, साइट के पास मौजूद कारखानों के लिए बनी नहरों से गंदे पानी का इस्तेमाल किया जाता है. इस्तेमाल करने से पहले इस पानी को साइट पर ही साफ़ किया जाता है. इस कूलिंग सिस्टम की वजह से सेंट-गिस्लां की साइट, दुनिया भर में Google का पहला ऐसा डेटा केंद्र बना, जो पूरी तरह से ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले मकैनिकल चिलर के बिना चलता है. हाल ही में, साइट में कूलिंग टॉवर के पानी में कार्बन डाइऑक्साइड को इंजेक्ट करने की शुरुआत भी की गई है, ताकि pH लेवल को नियंत्रित किया जा सके. इससे, अब डेटा केंद्र में ठंडा करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को डिस्चार्ज करने से पहले, दो बार की जगह चार बार तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
ऐसी कोशिशें बेकार नहीं गई हैं. 2018 में, यूरोपियन कमीशन ने हमारे सेंट-गिस्लां डेटा केंद्र को, बड़े डेटा केंद्रों के वर्ग में, पिछले दस सालों में सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाला डेंटा केंद्र माना. साथ ही, इसे ईयू कोड ऑफ़ कंडक्ट फ़ॉर एनर्जी एफ़ीशियंसी इन डेटा सेंटर अवॉर्ड से सम्मानित किया.
हालांकि, हमारा सेंट-गिस्लां डेटा सेंटर काफ़ी लंबे अरसे से पर्यावरण को दुरुस्त बनाए रखने पर काम कर रहा है, लेकिन अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट पर ऑन-साइट काम करना बिल्कुल अलग था. हम Google के तय पैमाने के हिसाब से 100% अक्षय ऊर्जा तक पहुंच चुके थे, लेकिन इससे पहले कई वजहों से हमने अपने डेटा केंद्रों पर ऑन-साइट इंस्टालेशन पर काम नहीं किया था.
इसकी एक वजह यह थी कि जो जगह डेटा केंद्र के लिए सही हो, वही जगह हवा या सूरज की रोशनी से ऊर्जा पैदा करने के लिए भी ठीक हो, यही ज़रूरी नहीं है. दूसरी, सूरज की रोशनी या हवा से डेटा केंद्र को चलाने लायक बिजली पैदा करने के लिए हमें बहुत सारी ज़मीन की ज़रूरत पड़ती. इतनी ज़मीन शायद ही किसी डेटा केंद्र के पास मौजूद थी. तीसरी, हवा या पानी से पैदा हुई बिजली लगातार 24 घंटे मिलती रहे, यह भी ज़रूरी नहीं. जबकि, हमारे डेटा केंद्र बिना रुके काम करते हैं. अगर अक्षय ऊर्जा से जुड़ा कोई नज़दीकी प्रोजेक्ट, डेटा केंद्र की ज़रूरत भर की बिजली पैदा कर भी रहा होता, तब भी हमें इलेक्ट्रिक ग्रिड से जुड़े रहना पड़ता, ताकि हमारे खरीदारों को 24 घंटे, सातों दिन बिना परेशानी के बिजली मिलती रहे.
इसलिए, अपने 100% अक्षय ऊर्जा के मकसद को पाने के लिए, हमारा पहला भरोसा बिजली खरीदारी अनुबंधों (PPAs) पर होता है. हवा या सूरज की रोशनी से बिजली बनाने वालों से सीधे बिजली खरीदने के ये समझौते बड़े पैमाने पर, लंबे वक्त के लिए किए जाते हैं.
लेकिन, सोलर प्रोजेक्ट की तरफ़दारी करते हुए, सेंट-गिस्लां के इंजीनियरों ने इस बात पर ध्यान दिया कि हम जिन जगहों पर काम कर रहे हैं वहां छोटे अक्षय ऊर्जा वाले प्रोजेक्ट भी, हमारी वजह से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को कम कर सकते हैं. यह सच है कि सोलर फ़ार्म, साइट की बिजली की ज़रूरत का एक छोटा हिस्सा ही पूरा कर सकते हैं. फिर भी, इनकी वजह से नज़दीकी इलेक्ट्रिकल ग्रिड से ली जाने वाली बिजली में कुछ तो कमी आती ही है. इनसे इतनी बिजली मिल जाती है कि केंद्र के पानी साफ़ करने के प्लांट को चलाया जा सके. इससे साइट की बिजली की ज़रूरत भी कम होती है और कार्बन फ़ुटप्रिंट भी.
डिप्रेज़ कहते हैं, “हम बेल्जियम के नागरिक होने की अपनी ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लेते हैं. ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए हम जो कुछ कर सकें वह मायने रखता है.”
यहां के कुछ लोग जो आज़ादी के साथ अपनी बात रखने में विश्वास रखते हैं, उन्होंने यह पक्का कर लेने के लिए काफ़ी मेहनत की है कि 30 लाख पाउंड या तकरीबन 37 लाख डॉलर की लागत वाला यह प्रोजेक्ट गिस्लां के लोगों के लिए घाटे का सौदा न हो. साथ ही, निवेश पर उन्हें ठीक-ठाक लाभ भी मिले.
Google के यूरोपियन डेटा केंद्रों के पब्लिक पॉलिसी और गवर्नमेंट रिलेशन्स मैनेजर, एंड्र्यू हायलैंड कहते हैं, “यह प्रोजेक्ट घरेलू होने की वजह से भी दिलचस्प था.” हायलैंड के मुताबिक, “सेंट-गिस्लां के लोगों ने इसके लिए स्थानीय स्तर पर काफ़ी लड़ाई लड़ी, क्योंकि उन्होंने इस प्रोजेक्ट में कुछ अच्छा देखा था. उन्होंने तब तक हार नहीं मानी, जब तक ये हकीकत में नहीं बदल गया.”
स्थानीय लोगों में अक्षय ऊर्जा के लिए जागरूकता बढ़ाना
सेंट-गिस्लां जैसे सोलर प्लांट का एक फ़ायदा यह होता है कि इससे स्थानीय समुदाय में अक्षय ऊर्जा को लेकर जागरूकता बढ़ती है.
हायलैंड कहते हैं, “शुरू में हमने सोचा था कि इस प्लांट से कम बिजली बनेगी. लेकिन जब यह चालू हुआ, तब हमें अंदाज़ा हुआ कि जितना हमने सोचा था यह उससे बड़ा प्लांट है. असल में, यह बेल्जियम के वलून इलाके के सबसे बड़े तीन सोलर प्लांट में से एक है. समुदाय के लिए यह बड़ी बात है, क्योंकि हम सिर्फ़ डेटा केंद्र में निवेश नहीं कर रहे हैं, बल्कि आधुनिक तकनीकों वाले सोलर फ़ार्म में भी निवेश कर रहे हैं.”
इस तरह के प्रोजेक्ट ने सेंट-गिस्लां और बेल्जियम को डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में, सबसे सफल इलाकों की सूची में शामिल कर दिया है. ये ऐसे इलाके हैं जहां डिजिटल विशेषज्ञता और पर्यावरण के क्षेत्र में हुए काम की वजह से, दूसरी बड़ी टेक कंपनियां निवेश करना चाहती हैं.
सोलर साइट इस बात का भी उदाहरण है कि Google, अक्षय ऊर्जा को लेकर प्रतिबद्ध है. डिप्रेज़ कहते हैं, “जैसे ही आप हमारे प्लांट की तरफ़ बढ़ना शुरू करते हैं, आपको दूर से ही सोलर पैनल दिखने लगते हैं." “यह प्लांट, उत्तरी सागर के तट से थोड़ी दूर पर बने विंड फ़ार्म की तुलना में ज़्यादा अच्छे से देखा जा सकता है, क्योंकि उस फ़ार्म को कुछ ही लोग देख पाते हैं. वह Google से भी नहीं जुड़ा है. Google के डेटा केंद्र में बना सोलर प्लांट दूसरे प्लांट की तुलना में छोटा है, लेकिन इससे लोगों को पता चल सकता है कि हम जिस चीज़ का प्रचार करते हैं उसे खुद भी इस्तेमाल करते हैं.”
इससे स्थानीय नेताओं और समुदाय के लोगों में अक्षय ऊर्जा को लेकर ज़्यादा दिलचस्पी पैदा होती है. हायलैंड, नीदरलैंड्स में उस विंड फ़ार्म के बारे में बताते हैं जिसका एलान Google ने उसके चालू होने से दो साल पहले किया था. वह कहते हैं, “जब प्लांट चालू हो गया, तब मैं वहां के लोगों के बीच दोबारा गया." “इन दो सालों में स्थानीय नेता, अक्षय ऊर्जा में ज़्यादा दिलचस्पी लेने लगे थे. वे खुद ही अक्षय ऊर्जा बनाने में लोगों की मदद कर रहे थे. इससे स्थानीय लोगों में अक्षय ऊर्जा को लेकर दिलचस्पी बढ़ी और इससे जुड़े प्रोजेक्ट के लिए अनुदान के आवेदन बढ़ गए.”
सेंट-गिस्लां का प्रोजेक्ट अभी बहुत नया है. इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि स्थानीय लोग यहां भी वैसी ही दिलचस्पी दिखाएंगे या नहीं. हालांकि, बेल्जियम की टीम को इस प्रोजेक्ट से बहुत उम्मीद है.
सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट में दिलचस्पी लेकर टेक कंपनियां आने वाले समय में ऊर्जा को नया स्वरूप दे सकती हैं. इसे बेहतर तरीके से किया जा सकता है.
Google में यूरोपियन ऊर्जा के विकास के प्रमुख फ़ेबियन वियौ कहते हैं, “अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से होने वाली बढ़ोतरी और डिजिटल अर्थव्यवस्था एक-दूसरे के पूरक हैं. अक्षय ऊर्जा के लिए बनीं हमारी नीतियां इसका उदाहरण हैं. हमने अक्षय ऊर्जा के लिए संसाधन खरीदने वाली नई कंपनियों की बढ़ने में मदद की है.” फ़ेबियन कहते हैं कि हमने हाल ही में डेटा केंद्र में सोलर प्लांट लगाया है. हम और क्या कर सकते हैं, इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश में हम आगे बढ़ते रहते हैं.
“Google के लिए बड़ा सवाल यह है कि अब आगे क्या करना है?”
1"Uptime Institute के 2014 में कराए गए, डेटा सेंटर इंडस्ट्री सर्वे के मुताबिक, जवाब देने वालों के सबसे बड़े डेटा केंद्रों का ग्लोबल औसत पीयूई (ऊर्जा के असरदार इस्तेमाल की जांच का तरीका) करीब-करीब 1.7 था.