पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट
जैसे इंटरनेट हर समय उपलब्ध है वैसे ही कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा भी हर समय उपलब्ध होनी चाहिए
हमारे डेटा केंद्रों के लिए बिजली बहुत ज़रूरी है. इसकी मदद से, हम हर दिन Google पर करोड़ों खोज के नतीजे, YouTube वीडियो, और बहुत सी अन्य जानकारी दिखा पाते हैं. सिर्फ़ 2017 में, हमने खास तौर पर Google के लिए बनाए गए सौर और पवन ऊर्जा फ़ार्म से, सात अरब किलोवॉट-घंटे से भी ज़्यादा बिजली खरीदी थी. यह, रोड आइलैंड की सालाना बिजली खपत के बराबर है. इसकी बदौलत, अक्षय ऊर्जा को सीधे तौर पर खरीदकर, हम बिजली की अपनी सालाना खपत की 100% पूर्ति कर सके.
इस उपलब्धि से हमारा उत्साह काफ़ी बढ़ा, लेकिन ऊर्जा से जुड़ी बहुत बड़ी और लंबे समय तक बनी रहने वाली चुनौती को पूरा करने की दिशा में, यह हमारा पहला कदम था. हमारा लक्ष्य है कि हम दुनिया भर में बिजली की जितनी खपत करते हैं उतनी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा खरीदें. इसका मतलब है कि आने वाले समय में Google की सभी इकाइयों में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऐसी ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाए जिसे स्थानीय तौर पर बनाया गया हो.
अक्टूबर 2018 में, अपने लक्ष्य की दिशा में हमने एक अहम कदम उठाया. हमने दुनिया भर में Google को बिजली उपलब्ध कराने वाले स्रोतों की जानकारी पब्लिश की, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए हम क्या कर रहे हैं. इस बारे में ज़्यादा जानकारी देने वाले हमारे पेपर में, इस बात को हाइलाइट किया गया है कि हमारे कुछ डेटा केंद्र इस दिशा में बेहतरीन प्रदर्शन कैसे कर रहे हैं. साथ ही, हमारे अन्य डेटा केंद्र इस दिशा में कैसे आगे बढ़ रहे हैं और उन्हें और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है. इस पेपर में, कुछ जगहों से जुड़े कार्बन हीट मैप शामिल हैं. ये हीट मैप हर घंटे में, Google के डेटा केंद्रों में ऊर्जा के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी को ट्रैक करते हैं.
इस तरह की रिपोर्ट और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी दूसरी पहलों से हमें काफ़ी अहम जानकारी मिल रही है. इसकी मदद से, हम हर समय, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा इस्तेमाल करने के अपने लक्ष्य की तरफ़ बढ़ सकेंगे.
कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा हर समय उपलब्ध होने की अहमियत
बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा खरीदने के बावजूद, Google की इकाइयों में, अब भी कार्बन का उत्सर्जन करने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है. बिजली का इस्तेमाल करने वाले दूसरे उपभोक्ताओं की तरह, Google की हर इकाई, स्थानीय पावर ग्रिड से जुड़ी हुई है. आम तौर पर, हर क्षेत्र के ऊर्जा स्रोतों में, कार्बन का उत्सर्जन करने वाले संसाधन (जैसे कि कोयला, प्राकृतिक गैस, और तेल) और कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्रोत (जैसे कि हवा, धूप, पानी, और रेडियोऐक्टिव पदार्थ) शामिल होते हैं. कार्बन का उत्सर्जन करने वाले इन संसाधनों पर हम खास तौर पर तब निर्भर करते हैं, जब हवा की रफ़्तार या धूप कम होती है. साथ ही, ऐसी जगहों पर भी इनका इस्तेमाल किया जाता है जहां कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा सीमित मात्रा में उपलब्ध होती है.
कार्बन का उत्सर्जन करने वाली ऊर्जा के इस्तेमाल से पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए, हम उन क्षेत्रों में या उस समय में अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा खरीदते हैं जब धूप और हवा भरपूर मात्रा में उपलब्ध होती है. उदाहरण के लिए, एशिया में अक्षय ऊर्जा की कम खरीदारी की भरपाई करने के लिए, हम मिडवेस्ट अमेरिका जैसी जगहों पर बड़ी मात्रा में पवन ऊर्जा खरीदते हैं. कुछ जगहों पर, हम दिन में इस्तेमाल करने के लिए अतिरिक्त सौर ऊर्जा खरीदते हैं, ताकि रात में कार्बन का उत्सर्जन करने वाली ऊर्जा के इस्तेमाल की भरपाई की जा सके.
हम जो ऊर्जा खरीद रहे हैं उसकी वजह से हमारे ग्रिड में अक्षय ऊर्जा की बढ़ोतरी हो रही है. इसे प्रोजेक्ट एडीशनैलिटी के तौर पर जाना जाता है1. इससे, कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आती है. दुनिया भर में सालाना आधार पर, हम जितनी सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा खरीदते हैं उससे बिजली की हमारी खपत का कार्बन फ़ुटप्रिंट पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. हालांकि, यह अधूरा समाधान है. हम चाहते हैं कि आने वाले समय में हम कार्बन का उत्सर्जन करने वाली ऊर्जा पर बिल्कुल निर्भर न रहें. बिजली उद्योग की वजह से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से रोकने के लिए, हर समय, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा की ज़रूरत है.
Google कई ज़रूरी वजहों से, बदलाव की इस दिशा में काम कर रहा है. कारोबार के लिहाज़ से यह ज़रूरी है कि हम मौसम (जलवायु) में आ रहे बदलावों की दिशा में लगातार काम करते रहें. हम बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करने वाले ऐसे उपभोक्ता हैं जो पर्यावरण पर अपना असर कम करना चाहते हैं. साथ ही, हमारा कारोबार लगातार बढ़ रहा है और हम अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को किफ़ायती बनाने के साथ-साथ, वित्तीय सुरक्षा देने में भी मदद करते हैं. लंबे समय के अपने इस मकसद की तरफ़ बढ़ते हुए, हम कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा को बढ़ावा दे सकते हैं. फ़िलहाल, यह ऊर्जा दुनिया भर में बिजली की आपूर्ति के क्षेत्र में अहम मानी जाती है, लेकिन इसका उत्पादन सीमित है. हम इसे ऐसे संसाधन के तौर पर बढ़ावा दे सकते हैं जिसका इस्तेमाल हमारे सभी कामों के लिए किया जा सके. बिजली की ऐसी ग्रिड खड़ी करना हमारा आखिरी लक्ष्य है जिससे कार्बन का उत्सर्जन न होता हो.
कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा का फ़्रेमवर्क हम किसी भी ऐसी बिजली को कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा कहते हैं जिसे बनाने के दौरान, सीधे तौर पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता. इसमें, अक्षय ऊर्जा के कई स्रोत शामिल हैं. जैसे, परमाणु ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय (जियोथर्मल) ऊर्जा, पनबिजली (हाइड्रोपावर), और जैव ऊर्जा2.
ऊर्जा के डेटा का पूरी तरह से विश्लेषण करके, हम यह जान सकते हैं कि स्थानीय ग्रिड को हर घंटे मिलने वाली, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली बिजली की तुलना में, हमारे डेटा केंद्रों में हर घंटे बिजली की कितनी खपत होती है. मौजूदा समय में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली बिजली में दो कॉम्पोनेंट शामिल हैं. पहला- Google किसी क्षेत्र में मौजूद पवन और सौर ऊर्जा वाले प्रोजेक्ट से लंबे समय के लिए, बिजली खरीदारी अनुबंध (पीपीए) करके बिजली खरीदता है3. दूसरा- परमाणु, हाइड्रोपावर, और अक्षय ऊर्जा जैसे स्रोतों से ऊर्जा बनाने वाले बड़े स्थानीय पावर ग्रिड से आने वाली बिजली, जिसके लिए Google ने सीधे तौर पर कोई समझौता नहीं किया है.
किसी डेटा केंद्र में हर घंटे इस्तेमाल होने वाली बिजली, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा से मिली है या नहीं, इसका पता लगाते समय हम सबसे पहले यह देखते हैं कि किसी खास क्षेत्र में Google के पीपीए से जुड़ी इकाइयों में अक्षय ऊर्जा का कितना उत्पादन हुआ.4 Google ने किसी स्थानीय इकाई से जितनी अक्षय ऊर्जा खरीदी है, अगर वह डेटा केंद्र में किसी घंटे हुई बिजली की खपत के बराबर या उससे ज़्यादा है, तो उस दौरान डेटा केंद्र में इस्तेमाल होने वाली बिजली, 100% रूप से कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्रोतों से मिलती है. हालांकि, अगर किसी घंटे, Google के PPA वाली स्थानीय इकाई में बनी अक्षय ऊर्जा, डेटा केंद्र में उस घंटे हुई बिजली की खपत के लिए काफ़ी नहीं है, तो बाकी की बिजली के लिए उस क्षेत्र की ग्रिड से मदद ली जाती है.
डेटा केंद्र के कार्बन हीट मैप
फ़िनलैंड हमने अपने विश्लेषण में पाया कि 2017 में Google के किसी भी डेटा केंद्र में हर समय इस्तेमाल होने वाली बिजली का 100% हिस्सा, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्रोतों से नहीं आया था. हालांकि, कुछ कैंपस से हमें पता चला है कि इस दिशा में आगे कैसे बढ़ा जाए. जैसे कि फ़िनलैंड में मौजूद हमारा डेटा केंद्र. जैसा कि नीचे दिखाया गया है, 2017 में हमारी इकाई में हर घंटे इस्तेमाल होने वाली बिजली, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्थानीय स्रोतों से तैयार की गई थी.
हम इसका श्रेय कुछ खास बातों को देते हैं. पहली बात, नॉर्डिक्स में बिजली बनाकर बेचने वाले बाज़ार को धन्यवाद. इसकी बदौलत, Google इस क्षेत्र में पवन ऊर्जा के लिए कई PPA कर पाया.5 इन PPA से, ग्रिड को बड़ी मात्रा में बिजली मिलती है. साथ ही, फ़िनलैंड में मौजूद हमारे डेटा केंद्र में हर घंटे जितनी ऊर्जा खर्च होती है, PPA वाली ये इकाइयां अक्सर उस दौरान इससे ज़्यादा ऊर्जा बनाती हैं. दूसरी बात, फ़िनलैंड के पावर ग्रिड में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले अन्य स्रोत भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं. इनमें परमाणु, पनबिजली, और जैव (बायोमास) ऊर्जा के स्रोत शामिल हैं.
उत्तरी कैरलाइना ऐसी कई जगहें हैं जहां सौर और पवन ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जा की इकाइयां मौजूद हैं. हालांकि, धूप और हवा जैसे संसाधनों की उपलब्धता तय न होने की वजह से, ये इकाइयां हर समय बिजली नहीं बना पातीं. इससे, उन जगहों पर मुश्किल हो सकती है जहां धूप और हवा कम हो जाने पर, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले वैकल्पिक स्रोत बहुत कम होते हैं. उत्तरी कैरलाइना के लेन्योर शहर में बना हमारा डेटा केंद्र इसका एक उदाहरण है. यहां ऊर्जा बनाने वाली स्थानीय कंपनी के साथ मिलकर, हमने देश में ऐसा पहला कार्यक्रम शुरू किया जिसके तहत, किसी स्थानीय कंपनी से सौर ऊर्जा खरीदी जाती हो. इसकी वजह से, दिन में हमारे डेटा केंद्र में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, रात में हमारे डेटा केंद्र में, कार्बन का उत्सर्जन करने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ जाता है. कुल मिलाकर, साल 2017 में इस डेटा केंद्र में हर घंटे इस्तेमाल होने वाली बिजली का 67% हिस्सा, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्रोतों से आया था.
ताइवान यहां मौजूद हमारे कई डेटा केंद्रों ने कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली बिजली का इस्तेमाल करने की दिशा में काफ़ी तरक्की की है. हालांकि, हमारे कई दूसरे परिसरों को अब भी सुधार की ज़रूरत है. ताइवान के चेंगुआ काउंटी शहर में मौजूद हमारा डेटा केंद्र इसका एक उदाहरण है. यहां के ग्रिड में कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्रोतों (जैसे कि रेडियोऐक्टिव पदार्थ, धूप, और हवा) से भी कुछ मात्रा में ऊर्जा बनाई जाती है. हालांकि, मुख्य तौर पर इस ग्रिड की ऊर्जा कोयले और प्राकृतिक गैस से बनाई जाती है. नीचे दिए गए हीट मैप से साफ़ तौर पर पता चल रहा है कि 2017 में, ताइवान में मौजूद हमारे डेटा केंद्र में बिजली की हर घंटे हुई खपत का 20% से कम हिस्सा, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाले स्थानीय स्रोतों से आया था.
साल 2018 में, हमने एशिया में अक्षय ऊर्जा के अपने पहले समझौते पर हस्ताक्षर किया था. यह ताइवान में किसी कंपनी का पहला बिजली खरीदारी अनुबंध (पीपीए) था. हम ताइवान से, 10-मेगावाट की क्षमता वाले सोलर पैनल से बन रही ऊर्जा खरीदेंगे. यह प्रोजेक्ट, ताइवान में ताइनान शहर के एक बड़े सोलर फ़ार्म का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के तहत, उन तालाबों पर 40,000 सोलर पैनल लगाए जाएंगे जिनमें व्यावसायिक तौर पर मछलियां पाली जाती हैं. इससे, ज़मीन का सही इस्तेमाल होने के साथ-साथ, मछली पालन में भी मदद मिलेगी. इससे, हमारे स्थानीय डेटा केंद्र में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा.
आगे की योजना ऐसा भविष्य बनाना आसान काम नहीं होगा जिसमें कार्बन का उत्सर्जन न हो, लेकिन मौसम में तेज़ी से हो रहे बदलावों की वजह से हमें ठोस कदम उठाने होंगे. अपना लक्ष्य पूरा करने की दिशा में हम कितना आगे बढ़े हैं, यह पता लगाने के अलावा, हमने कई ऐसे तरीकों का भी पता लगाया है जो हमें और पूरी दुनिया को अपनाने चाहिए. इनमें, ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा की खरीद को बढ़ाना शामिल है, ताकि कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा हर समय उपलब्ध हो सके.
इसके लिए, नीति, तकनीक, और कारोबार के मॉडल में नए प्रयोग करने की ज़रूरत है. हमें नीति और बाज़ार में ऐसे सुधार करने होंगे जिनसे कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा खरीदने में आने वाली रुकावटें दूर हो सकें. साथ ही, ऐसी नई नीतियां बनानी होंगी जिनमें यह बताया गया हो कि कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा समाज के लिए कितनी ज़रूरी है और जिनके तहत, अलग-अलग स्रोतों से मिलने वाली ऊर्जा की कीमत तय की जा सके. Google, बिजली के बाज़ार में सुधार को बढ़ावा देता रहेगा, ताकि दुनिया भर में कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा पहुंच सके.
यह काम जितना मुश्किल है, इसे करने के लिए हम उतने ही उत्साहित हैं.
1 Google, ग्रिड तक स्वच्छ ऊर्जा ला रहा है, यह पक्का करने के लिए हमारे सभी प्रोजेक्ट "एडीशनल" होने चाहिए. इसका मतलब यह है कि हम ऊर्जा पैदा करने वाली उन इकाइयों से बिजली खरीदेंगे जो अभी बनी तक नहीं हैं. इन इकाइयों में, मौजूदा नियमों (रेगुलेशन) से भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
2 आम तौर पर, हम जैव (बायोमास) ऊर्जा को कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा मानते हैं, क्योंकि कुछ खास मामलों में इससे कार्बन का उत्सर्जन नहीं होता. हालांकि, इससे बिजली बनाते समय, जैव कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है. पिछले कुछ सालों में, वैज्ञानिकों ने बायोमास और पनबिजली (हाइड्रोपावर) की वजह से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का मुद्दा दुनिया के सामने उठाया है. ऊर्जा पैदा करने के इन दोनों तरीकों को हम अपने मौजूदा फ़्रेमवर्क में, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली श्रेणी में रखते हैं. इसकी वजह यह है कि अगर इन्हें ज़िम्मेदारी से मैनेज किया जाए, तो पर्यावरण पर इनका असर बेहद कम किया जा सकता है. हम पर्यावरण, समाज, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर इनके असर की लगातार निगरानी कर रहे हैं. हम पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाली और कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली पहलों को बढ़ावा देना चाहते हैं. साथ ही, हम उन्हें अपने फ़्रेमवर्क के हिसाब से काम करने के लिए तैयार करना चाहते हैं.
3 Google की किसी PPA साइट पर, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा, उसी क्षेत्र में चलने वाली ग्रिड में बनाई जाती है जिसमें किसी डेटा केंद्र के लिए ऊर्जा बनाई जाती है. हालांकि, इसका डेटा केंद्र से कोई सीधा संबंध नहीं होता. जब यह ऊर्जा बन जाती है, तो इसे सामान्य सप्लाई वाली उस बिजली में मिला दिया जाता है जो Google के डेटा केंद्र के साथ-साथ, इलाके में बिजली के सभी ग्राहकों तक पहुंचाई जाती है.
4 कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली स्थानीय ऊर्जा के साथ, डेटा केंद्र की हर घंटे की ऊर्जा खपत का हिसाब लगाते समय, हम सबसे पहले, Google के रिन्यू हो सकने वाले PPA गिनते हैं. हम ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि समझौते के तहत हमारे पास, बिजली के उस उत्पादन और पर्यावरण पर उसके असर के बारे में जानने का अधिकार है. साथ ही, कार्बन का उत्सर्जन न करने वाली ऊर्जा को ग्रिड तक लाने में, PPA सीधी भूमिका निभाते हैं.
5 साल 2017 में, नॉर्डिक क्षेत्र में Google की ज़्यादातर अक्षय ऊर्जा का उत्पादन, फ़िनलैंड के बजाय, स्वीडन में हुआ. तकनीकी तौर पर, दोनों देश अलग-अलग ग्रिड ऑपरेट करते हैं. हालांकि, ये देश, बिजली बनाकर बेचने वाले बाज़ार (नॉर्ड पूल) का हिस्सा हैं और फ़िनलैंड बड़ी मात्रा में स्वीडन से बिजली आयात करता है. इस तरह, हम स्वीडन में हर घंटे जितनी पवन ऊर्जा बनाते हैं उसे फ़िनलैंड में बिजली की हमारी खपत के साथ "बराबर" की श्रेणी में रखते हैं.