पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट

जैव-विविधता की खूबसूरती के साथ-साथ उसके नाज़ुक पक्ष को दिखाने में Wildlife Insights की भूमिका

मार्च 2021
जैगुआर

कंज़र्वेशन इंटरनैशनल के एक वरिष्ठ वन्यजीव संरक्षक हॉर्हे अऊमादा कहते हैं, "किसी ट्रॉपिकल जंगल में जाने पर आपको वहां करीब 90 फ़ीसदी जानवर नहीं दिखते." भले ही, हमें दक्षिण अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में या उत्तरी अमेरिका की पर्वत श्रेणियों में वन्यजीव न दिखें, लेकिन वहां पर जानवर होते हैं. वे शांत और छिपकर रहते हैं, ताकि इंसानों के वहां से जाने के बाद, वे जंगल में बाहर निकल कर शिकार कर सकें.

मोशन से ट्रिगर होने वाले ट्रेल कैमरे, Google Cloud, और एआई (AI) मॉडल की मदद से अऊमादा जैसे संरक्षित इलाकों के जानकार, कोलंबिया में कैनू क्रिस्तालेस नदी घाटी जैसी जगहों पर वन्यजीव देख सकते हैं. इनका मकसद जैव-विविधता और अलग-अलग प्रजातियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करके, उनका अध्ययन करना है. इस अध्ययन में, चींटी खाने वाले उत्तरी टमैंडुआ, जैगुआर, और बंदर जैसे आसानी से नज़र न आने वाले जानवरों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है. मोशन से ट्रिगर होने वाले ट्रेल कैमरे को कैमरा ट्रैप भी कहा जाता है. Wildlife Insights, Google Earth Outreach के प्राकृतिक संरक्षण कार्यक्रम से जुड़ी एक पहल है, इसका एलान साल 2019 में हुआ था. यह कार्यक्रम, तस्वीरों को छांटने और उसके आकलन में लगने वाले समय को कम करके संरक्षित इलाकों के जानकारों के साथ-साथ स्थानीय समुदायों की मदद करता है. साथ ही, इससे दुनिया भर के शोधकर्ताओं के साथ जानकारी शेयर करने के अलावा विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने में मदद मिलती है.

Wildlife Insights प्लैटफ़ॉर्म, वन्यजीवों की तस्वीरें ऑनलाइन शेयर करने, उनकी पहचान करने, और मैनेज करने के साथ-साथ उनका विश्लेषण करने में जीव-जंतुओं का संरक्षण करने वाले लोगों की मदद करता है. Wildlife Insights के वेब ऐप्लिकेशन पर, दुनिया भर के वन्यजीवों की तस्वीरों का सबसे बड़ा कलेक्शन मौजूद है, जिसे कोई भी देख सकता है.

एआई (AI), वन्यजीवों की तस्वीरों का तेज़ी से विश्लेषण करता है

ऐसा कोई भी वन्यजीव संरक्षण प्रोजेक्ट जिसमें ट्रेल कैमरे से ली गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें लाखों तस्वीरों को मैन्युअल तरीके से देखकर प्रजातियों की पहचान करने में सबसे ज़्यादा मेहनत लगती है. इस दौरान, हो सकता है कि करीब 80 फ़ीसदी तस्वीरों में किसी भी तरह के वन्यजीव न हों, क्योंकि कभी-कभी हवा चलने की वजह से घास के हिलने पर भी रिमोट कैमरा ट्रिगर हो जाता है. कई तस्वीरें बहुत धुंधली हो सकती हैं या हो सकता है कि तस्वीर में दिख रहे जानवर, पेड़ों या झाड़ियों के पीछे छिपे हों और उन्हें देखना आसान न हो. कई बार प्रजातियों की पहचान पूरी होने के बाद भी, इकट्ठा किए गए आंकड़े उस प्रोजेक्ट तक ही सीमित रह जाते हैं. दुनिया भर के संरक्षण समुदायों को यह जानकारी मिल ही नहीं पाती.

Google में, हमारी कोशिश रहती है कि दुनिया भर के संगठनों के साथ तकनीक और नए तरीके शेयर किए जाएं. साथ ही, उन्हें अनुदान देकर दुनिया को बेहतर बनाने में मदद की जा सके. Wildlife Insights तस्वीरों का विश्लेषण करने के लिए, Google Cloud अपने AI Platform के अनुमानों और अपनी ही टीम के बनाए गए कस्टम एआई मॉडल का इस्तेमाल करता है. इसकी मदद से, ट्रेल कैमरा से ली गई तस्वीरों को इंसानों की तुलना में 3,000 गुना तेज़ी से अलग-अलग किया जा सकता है. इस रफ़्तार से Wildlife Insights, एक घंटे में 36 लाख तस्वीरों का विश्लेषण कर सकता है. शोधकर्ताओं के तस्वीरें अपलोड करने के बाद, Wildlife Insights अपने-आप यह अनुमान लगाता है कि वन्यजीवों को दिखाने वाली कौनसी तस्वीरें सबसे ज़्यादा सटीक हैं और कौनसी नहीं. फिर, एआई (AI) प्रजातियों का अनुमान लगाता है. इसके बाद, वन्यजीव शोधकर्ता, एआई (AI) मॉडल के अनुमानों को स्वीकार करते हैं या उनमें सुधार करते हैं. इससे मॉडल की विश्वसनीयता बेहतर होती है.

पहचान करने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए, प्लैटफ़ॉर्म ने संरक्षण करने वाले इन छह भागीदारों के साथ मिलकर 90 लाख तस्वीरों का विश्लेषण करना शुरू किया: वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन सोसाइटी, स्मिथसोनियन कंज़र्वेशन बायलॉजी इंस्टिट्यूट, नॉर्थ कैरोलाइना म्यूज़ियम ऑफ़ नैचुरल साइंस, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़, ज़ूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ लंदन, और कंज़र्वेशन इंटरनैशनल.

Google ने वन्यजीवों की 90 लाख तस्वीरों का इस्तेमाल ट्रेनिंग डेटा के तौर पर किया, ताकि TensorFlow के साथ मिलकर प्रजातियों की पहचान करने वाला मॉडल बनाया जा सके. जैसे-जैसे नया डेटा जुड़ रहा है, यह ट्रेनिंग डेटासेट और भी बड़ा हो रहा है; Wildlife Insights से जुड़े हाल ही में हुए बदलावों में, ज़्यादा से ज़्यादा प्रजातियों की पहचान करना शामिल है. Google Cloud Platform पर, इस पूरे प्लैटफ़ॉर्म को बेहतरीन तरीके से डिज़ाइन किया गया है. इससे, वह नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है.

Wildlife Insights का अनुमान है कि यहां एक उत्तरी टमैंडुआ है.
Wildlife Insights का अनुमान है कि यहां एक उत्तरी टमैंडुआ है.

इस तरह Wildlife Insights ने प्रजातियों से जुड़े डेटा को सभी के साथ शेयर करना शुरू किया और काम की जानकारी कम समय में ही मिलने लगी. इसमें Map of Life के दुनिया भर के वन्यजीवों से जुड़े डेटा को बेहतर बनाना भी शामिल है. वन्यजीव शोधकर्ता, किसी प्रजाति की संख्या, उनकी जगह की जानकारी जानने के साथ-साथ यह भी पता कर सकते हैं कि वे एक जगह से दूसरी जगह कैसे जाते हैं. इस अहम जानकारी की मदद से, नीतियां बनाने वाले लोग यह तय कर सकते हैं कि संरक्षित क्षेत्रों की सीमाओं में किस तरह से और कहां बदलाव करना है. हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में प्रकृति से प्यार करने वाले लोग, अपने घर के पीछे के हिस्से में ट्रेल कैमरा लगाना शुरू करेंगे. इससे, बड़े स्तर पर डेटा इकट्ठा करने में सभी अपना योगदान दे पाएंगे.

ऐमेज़ॉन के जंगलों में बुश डॉग.
ऐसी तस्वीरें ऐमेज़ॉन के जंगलों में, बुश डॉग की मौजूदगी की पुष्टि करती हैं.

सबूत के तौर पर कोई तस्वीर कितनी कीमती होती है, इसे अऊमादा ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से सीखा. कोलंबिया के जंगल में जब वह स्पाइडर मंकी के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे थे, तब उन्हें एक बुश डॉग दिखा. उस समय किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि उस प्रजाति के मौजूद होने का कोई सबूत नहीं था. बीस साल बाद, वह उसी तरह के जंगल में लगे ट्रेल कैमरों के नेटवर्क से डेटा इकट्ठा कर रहे थे. यह देखकर उन्हें हैरानी हुई कि उस डेटा में, उसी प्रजाति के कुत्ते की एक तस्वीर मौजूद थी जिसे उन्होंने कई साल पहले देखा था. उस तस्वीर से, यह पक्का हो गया कि कुत्ते की वह प्रजाति उस जंगल में रहती थी.

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग के बाद, वन्यजीवों की स्थिति के बारे में जानकारी इकट्ठा करना

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में 2019 और 2020 की गर्मियों में लगी आग से करीब तीन अरब जानवरों पर असर पड़ा था. Wildlife Insights ऑस्ट्रेलिया में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले समूहों, जैसे कि वर्ल्ड वाइड फ़ंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़) फ़ॉर नेचर ऑस्ट्रेलिया की मदद कर रहा है. वह जंगल की आग से प्रभावित हिस्सों की ट्रेल कैमरे से ली गई सभी तस्वीरों को अपलोड और शेयर करना चाहता है. इसका मकसद यह पता लगाना है कि जंगल में लगी आग के बाद, ऑस्ट्रेलिया के वन्यजीव, इस हादसे से किस तरह उबर रहे हैं. 2021 की शुरुआत में, 600 से ज़्यादा ट्रेल कैमरों को आग से प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौनसी प्रजातियां अपने क्षतिग्रस्त आवासों में लौट रही हैं.

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़ ऑस्ट्रेलिया के हेल्दी लैंड ऐंड सीस्केप्स के हेड, डैरेन ग्रोवर ने पहले 100 कैमरे दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के कंगारू टापू पर लगाए थे. ये कैमरे कंगारू टापू में रहने वाले डनआर्ट का पता लगाने के लिए लगाए गए थे. डनआर्ट रात में जागने वाला, स्लेटी रंग का एक मार्सुपियल होता है, जो कि अक्सर शोधकर्ताओं की नज़र से बच निकलता है. डनआर्ट काफ़ी हद तक चूहे जैसा दिखता है, इसलिए ग्रोवर जैसे संरक्षित इलाके के जानकारों को उसकी पहचान करने के लिए, हज़ारों तस्वीरों को मैन्युअल तरीके से देखना पड़ता है.

डनआर्ट
यह एक डनआर्ट है.

अच्छी बात यह है कि वहां लगे एक कैमरे में डनआर्ट की एक तस्वीर कैद हो गई. ग्रोवर कहते हैं, “अगर किसी व्यक्ति ने अपनी छुट्टियों के दौरान हज़ारों तस्वीरें खींची हों, तो उनसे आपको पता चलेगा कि कैमरे की इन तस्वीरों और फ़ुटेज को छांटने और व्यवस्थित करने में कितनी मेहनत और समय लगता है.” “आम तौर पर, कैमरा सेंसर से ली गई तस्वीरों को छांटने के लिए, विशेषज्ञता की ज़रूरत होती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह तय करना मुश्किल होता है कि कौनसी तस्वीरें सबसे अच्छी हैं और किन तस्वीरों को मिटाया जा सकता है. इतना ही नहीं, सबसे बेहतरीन तस्वीर छांटने के दौरान, हो सकता है कि आपको ऐसी सौ से भी ज़्यादा तस्वीरें दिखें जो आपके किसी काम की न हों”

Wildlife Insights की मदद से, ग्रोवर जैसे शोधकर्ता अपनी तस्वीरों को अपलोड कर सकते हैं और डनआर्ट जैसे जानवरों की सौ से भी ज़्यादा प्रजातियों की तुरंत पहचान कर सकते हैं. साथ ही, वे उन तस्वीरों को भी फटाफट मिटा सकते हैं जो किसी काम की नहीं हों. ग्रोवर आगे कहते हैं, “इन तस्वीरों की मदद से, हमारे लिए यह समझना आसान होगा कि जंगलों में आग लगने के बाद, जानवरों की कौनसी प्रजातियां बची हैं. साथ ही, इस बात की भी पहचान हो पाएगी कि जंगल के किस इलाके में राहत और बचाव से जुड़ी कार्रवाई की ज़रूरत सबसे ज़्यादा है.”

समय और जानवरों के रहने की कुदरती जगह खत्म होने के ख़िलाफ़ एक जंग

जंगल, पहाड़, और समुद्री इलाके जहां खास तौर पर जानवर अपना घर बनाते हैं, वहां जाने पर कई लोगों को ऐसा महसूस हो सकता है कि इन इलाकों में समय काफ़ी धीरे बीतता है. हालांकि, इस बारे में शोधकर्ता ऐन्जेलिका डियाज़ पुलिडो का कुछ और ही मानना है. डियाज़ पुलिडो, हमबोल्ट इंस्टिट्यूट की शोधकर्ता हैं, जो अऊमादा के साथ कोलंबिया के वर्षावन में काम करती हैं. उनका मानना है कि जानवरों के रहने की कुदरती जगहें इतनी तेज़ी से खत्म हो रही हैं कि इंसान उसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता. यही वजह है कि Wildlife Insights के शेयर किए गए फ़ील्ड डेटा के बारे में पढ़ना और उसे दूसरों के साथ शेयर करना बेहद ज़रूरी है.

डियाज़ पुलिडो कहती हैं, “जैव-विविधता से जुड़ी रिसर्च के दौरान, चुनौतियों का सामना करते समय शोधकर्ताओं का पूरा ध्यान इस बात पर होता है कि किस तरह से रिसर्च को फटाफट पूरा किया जाए, ताकि उसे समय रहते ही ज़रूरी फै़सले लेने वाले लोगों तक पहुंचाया जा सके.” “ऐसे में जब आपको कैनू क्रिस्तालेस (कोलंबिया की रंग-बिरंगी नदी) जैसा कुछ बेहद खास मिल जाता है, तो आपको यह सोचने पर विवश करता कि इसे सुरक्षित रखना कितना मुश्किल है.” Wildlife Insights और Google की टेक्नोलॉजी की मदद से, डियाज़ पुलिडो जैसी वन्यजीव संरक्षक, जानवरों की प्रजातियों को बचाने में मदद कर सकती हैं, ताकि हमारी दुनिया की प्राकृतिक खूबसूरती बनी रहे.

जैगुआर (पैंथेरा ऑन्का) की हीरो इमेज. यह तस्वीर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ़ फ़्रांस के इमैनुअल रॉन्डो ने फ़्रेंच गियाना के नॉरेग्यूज़ नैचुरल रिज़र्व के घने जंगल में जाकर खींची है. डीएसएलआर कैमरा ट्रैप की मदद से खींची गई इमेज

बुश डॉग इमेज क्रेडिट: मिसौरी बोटैनिकल गार्डन, TEAM Network के सौजन्य से