पर्यावरण से जुड़े प्रोजेक्ट

Google यूरोप में स्थानीय डेटा केंद्र बना रहा है

जुलाई 2018
Google का एक ऐसा यूरोपीय डेटा केंद्र जिसके पीछे पवन चक्कियां (विंड टरबाइन) मौजूद हैं

फ़्लाइट का इंतज़ार करते हुए बोर हो रहा कोई यात्री जब फ़िल्म देखता है या छात्र-छात्रा पढ़ाई में मन लगाने के लिए अपनी पसंदीदा प्लेलिस्ट चलाते हैं, तो इसका पूरा श्रेय अक्सर डिवाइस को ही जाता है. लेकिन, असली सुपरहीरो तो डेटा केंद्र ही होते हैं, जो पर्दे के पीछे रहते हुए सारे बड़े-बड़े काम करते हैं, ताकि डिजिटल सेवाएं बिना रोक-टोक चलती रहें.

डेटा केंद्रो में कतार से बड़े-बड़े सर्वर लगे होते हैं—बेहतरीन प्रदर्शन वाले कंप्यूटर, जो डेटा सेव करते हैं और 24/7 उसकी सप्लाई करते हैं. रोज़, कंप्यूटिंग की मांग आसमान छू रही होती है, क्योंकि हर महीने लाखों लोग इंटरनेट से जुड़े जाते हैं.

ज़्यादा डेटा की ज़रूरत होने पर, ज़्यादा डेटा केंद्रों की ज़रूरत पड़ती है. Google ने 2007 से लेकर अब तक, चार डेटा केंद्र, यूरोप में बनाए हैं और उन्हें चलाने के लिए करीब तीन खरब रुपये खर्च किए हैं. इन डेटा केंद्रों की मदद से, पूरे यूरोप के दूर-दराज़ के इलाकों में आर्थिक निवेश, नौकरियों, शिक्षा के अवसरों, और समुदाय को मिलने वाली मदद में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, कई दूसरी सुविधाएं भी दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुंची हैं.

एक यूरोपीय Google डेटा केंद्र की ऊपर से ली गई तस्वीर
डबलिन में मौजूद Google डेटा केंद्र को अपने सर्वर ठंडा करने में ज़्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है. इसके लिए, उसे आयरलैंड के मौसम से मदद मिल जाती है.

क्लाउड की बढ़ती ज़रूरत, मतलब ज़्यादा अवसर

पूरी दुनिया में क्लाउड पर डेटा सेव करने की बढ़ती मांग को देखते हुए, फ़िनलैंड के हमिना, बेल्जियम के सेंट जिस्लां, आयरलैंड के डबलिन, और नीदरलैंड्स के एमशेवेन में Google के डेटा केंद्र बनाए गए हैं. ये सभी पिछले 11 साल में बने हैं. डेटा केंद्र को चलाने का सालाना खर्च करीब 24 अरब रुपये है, जिससे बिल्कुल अलग-थलग पड़े इलाको में अच्छी-खासी तादाद में नौकरियां मिलनी शुरू हुईं. इनमें विशेष आईटी तकनीशियन और इंजीनियर से लेकर खान-पान प्रबंध (कैटरिंग), सुविधाओं (कैंटीन, शौचालय वगैरह), सिक्योरिटी स्टाफ़, और माली तक शामिल हैं.

हालांकि, नौकरियों की संख्या में उतार-चढ़ाव आता रहता है, जैसे जब केंद्र बन रहा होता है, तो नौकरियों की संख्या ज़्यादा होती है. Google के यूरोपीय डेटा केंद्रों की वजह से मिलने वाली कुल फ़ुल-टाइम नौकरियों का औसत 6,600 नौकरियां हर साल है. 2007 से यह आंकड़ा बना हुआ है, इससे यहां के समुदायों पर बहुत अच्छा असर पड़ा है. बेल्जियम में Google डेटा केंद्र फ़ैसिलिटी मैनेजर, फ़्रेडेरिक डेस्कैंप के शब्दों में, “हर रोज़ Google सेवाओं की मांग बढ़ती जा रही है, हमारे डेटा केंद्र का इंफ़्रास्ट्रक्चर भी इस मांग के हिसाब से बढ़ रहा है, जिससे नौकरियां बढ़ रही हैं और समुदायों को फ़ायदा मिल रहा है.”

एक बड़े कंटेनर के सामने खड़ी महिला
नीदरलैंड्स में Google डेटा केंद्र के कूलिंग टावर पर खड़ीं, पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा विशेषज्ञ ऐनामिएक एह्लहार्ड.

Google की तरक्की, हमारे समुदायों की तरक्की है

नौकरियों और अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी जैसे फ़ायदे अक्सर हाइलाइट किए जाते हैं. हालांकि, Google दूसरे तरीकों से भी स्थानीय डेटा केंद्र से जुड़े समुदायों की सहायता करता है. पिछले कुछ सालों में करीब दो खरब रुपये की सहायता, हमिना, सेंट जिस्लां, डबलिन, और एमशेवेन में बांटी गई है. इनमें से ज़्यादातर फ़ंड पाठ्यक्रम और कोडिंग कार्यक्रमों जैसी पहलों को दिया गया है. साथ ही, इलाके के कॉलेजों के साथ पढ़ाई से जुड़ा सहयोग करके शिक्षा में भी मदद की जा रही है. इन कॉलेज में स्थानीय कौशल को बढ़ावा मिलता है.

इसी तरह की सहायता बेल्जियम के एक स्कूल ला मेसन द मैथ्स को दी गई थी, ताकि वहां विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, और गणित (एसटीईएम) की पढ़ाई को बढ़ावा मिल सके. ला मेसन द मैथ्स के संस्थापक, इमैनुअल होदार्त कहते हैं, “गणित बड़ों के लिए जितना ज़रूरी है उतना ही ज़रूरी बच्चों के लिए भी है, क्योंकि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां डिजिटलाइज़ेशन और कोड का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है.” “मुझे नहीं लगता कि लोग समझ पा रहे हैं कि Google के डेटा केंद्र के इस इलाके में आने के कुछ खास फ़ायदे हैं. हमें और एसटीईएम पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित करने वालों में वे सबसे आगे थे. साथ ही, वे छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) देने वाले भी सबसे पहले व्यक्ति थे. अगर Google ने यहां डेटा केंद्र नहीं बनाया होता, तो आज ला मेसन द मैथ्स का कोई वजूद नहीं होता.”

दूसरी सहायता नीदरलैंड्स में कोडिंग प्रोग्राम को दी गई है. ये ऐसे प्रोग्राम हैं जो नौजवानों को प्रेरित करते हैं, ताकि वे आयरलैंड में काम करने की तैयारी कर सकें. साथ ही, मदद के लिए फ़िनलैंड में एक छोटा डेटा केंद्र भी बनाया गया है. यह छात्र-छात्राओं को शुरू से ही सिखाता है कि डेटा केंद्र के माहौल में कैसे काम किया जाता है.

पर्यावरण को हरा-भरा रखने में मदद करना

चौबीसों घंटे पूरी दुनिया में डेटा पहुंचाने के लिए, कई एकड़ में बने बेहतरीन प्रदर्शन वाले सर्वरों को बिजली देने और ठंडा रखने के लिए ऊर्जा ज़रूरी है. ऐसे में इन्हें ऊर्जा कैसे दी जाती है और यह अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) स्रोत से ली जा रही है या नहीं, इसका असर पर्यावरण पर पड़ता है.

ऊर्जा खर्च करने के मामले में Google डेटा केंद्र दुनिया में सबसे बेहतर जगहों में से एक हैं. हाल ही में इस उपलब्धि के लिए सेंट जिस्लां डेटा केंद्र को यूरोपियन कमीशन से अवॉर्ड मिला. पिछले 10 से ज़्यादा साल हमने अपने डेटा केंद्रों के लिए कम ऊर्जा खर्च करने वाले नए से नए तरीके विकसित करने में गुज़ारें हैं. हमने खुद के बहुत कम ऊर्जा खर्च करने वाले सर्वर बनाए हैं, कम ऊर्जा खर्च में अपने डेटा केंद्रों को ठंडा रखने के तरीके ईजाद किए हैं, यहां तक कि हम जितने भी वॉट ऊर्जा इस्तेमाल करते हैं उसका पूरा फ़ायदा लेने के लिए बेहतर मशीन लर्निंग का भी सहारा लेते हैं.

साल 2017 में, Google ने दुनिया भर में अपने डेटा केंद्रों में खर्च होने वाली ऊर्जा का 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा खरीदने का लक्ष्य पूरा किया. इसका मतलब है कि पूरे साल में दुनिया भर में Google के डेटा केंद्रों और दफ़्तरों में जितनी बिजली खर्च हुई उसीके बराबर अक्षय ऊर्जा (MWh में) खरीदी गई. यूरोप में, Google अक्षय ऊर्जा इस्तेमाल करने का लक्ष्य बिजली खरीदारी अनुबंधों (PPA) पर हस्ताक्षर करके पूरा करता है. ये ऊर्जा खरीदने वाले और अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट डेवलप करने वाले के बीच लंबे समय का समझौता होता है. इन समझौतों से ही Google दुनिया में अक्षय ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार बनता है. साल 2010 से Google ने लंबे समय के जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं उनसे दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा के प्रोजेक्ट में निवेश का आंकड़ा करीब दो खरब रुपये तक जा पहुंचा है. इसमें से करीब 80 अरब रुपये का निवेश यूरोप में किया गया.

Google के तकनीकी इंफ़्रास्ट्रक्चर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उर्स होल्ज़ले कहते हैं, “हम नए डेटा केंद्र और दफ़्तर बना रहे हैं. जैसे-जैसे Google उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है, बिजली की खपत भी बढ़ती जा रही है.” “इस मांग की पूर्ति करने के लिए हमें अपने पोर्टफ़ोलियो में लगातार अक्षय ऊर्जा जोड़नी होगी. इसलिए, अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) खरीदने के लिए हम समझौते करना जारी रखेंगे. ऐसे इलाकों में जहां हम अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) नहीं खरीद सकते वहां हम इसका बाज़ार तैयार करने के लिए काम करते रहेंगे.”

मौजूदा बाज़ारों को बढ़ावा देने और नए बाज़ार तैयार करने के साथ-साथ, लंबे समय के समझौते जैसे कि Google ने किए हैं, यूरोप को 2020 और 2030 के लिए उसके अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) लक्ष्य पूरे करने में मदद कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) इस लक्ष्य को पूरा करने की स्थिरता को सुनिश्चित करती है. साथ ही, प्रोजेक्ट डेवलप करने वालों और निवेश करने वालों को होने वाले खतरों को भी कम करती है.

11 शहरों और उनसे जुड़ी वायु और सौर ऊर्जा क्षमता का मैप
Google ने यूरोप में 10 जगहों के लिए 11 PPA पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे तकरीबन 710 मेगावॉट की क्षमता वाली पवन और सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है. फ़िलहाल Google अक्षय ऊर्जा खरीदने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है. स्रोत: cloud.google.com/environment/

ज़्यादा विकास के लिए पूरी तरह से तैयार

Google के पहले चार डेटा केंद्र बनने और इनमें फ़ाइबर नेटवर्क के साथ-साथ, अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के इस्तेमाल का यूरोप की अर्थव्यवस्था पर काफ़ी बड़ा असर पड़ा है—इससे, साल 2007 से 2017 तक, यूरोप के कुल सकल घरेलू उत्पाद में करीब साढ़े पांच अरब यूरो का योगदान मिला. आने वाले समय में और ज़्यादा विकास के लिए भी योजनाएं हैं. आंकड़ों के हिसाब से 2010 से अब तक डेटा केंद्र इंडस्ट्री में सालाना 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. उम्मीद है कि अगले दशक में भी यह बढ़ोतरी जारी रहेगी. इस बढ़ोतरी में Google की भी हिस्सेदारी है. हाल ही में, Google ने बेल्जियम में मौजूद अपने डेटा केंद्र को और बड़ा करने के लिए, करीब 25 करोड़ यूरो का निवेश करने की घोषणा की है. साथ ही, Google ने आयरलैंड के डेटा केंद्र में 15 करोड़ यूरो और नीदरलैंड्स के डेटा केंद्र में 50 करोड़ यूरो निवेश करने की बात कही. ऐसा करके, Google, यूरोप में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है.